राजस्थान के विधायकों और सांसदों पर 51 केस दर्ज, सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश टेंशन बढ़ाने वाला


जयपुर , 11 अप्रैल। जयपुर. राजस्थान सरकार ने प्रदेश में सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की सुनवाई में तेजी लाने का निर्णय लिया है। सरकार ने सभी लोक अभियोजकों को निर्देश दिए हैं कि वे ऐसे मामलों में अनावश्यक तारीखें न लें और अदालती कार्यवाही में पूरा सहयोग करें। यह जानकारी राज्य सरकार की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में बुधवार को दी गई।



राजस्थान सरकार लोक अभियोजकों को दिए सख्त निर्देश



मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए सरकार से अपने आदेशों की लिखित प्रति प्रस्तुत करने को कहा। साथ ही अगली सुनवाई के लिए 12 मई की तारीख तय की गई है। सरकारी महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार सांसदों-विधायकों से जुड़े लंबित केसों को प्राथमिकता दे रही है। लोक अभियोजकों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे मामलों की सुनवाई में देरी के लिए जिम्मेदार न बनें और अदालतों के साथ समन्वय बनाकर केसों का निपटारा जल्द से जल्द करवाएं।
कोर्ट ने सरकार को रिपोर्ट जल्द पेश करने को कहा…
राज्य में 51 केस लंबित हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल की ओर से बताया गया कि फिलहाल राजस्थान में सांसदों और विधायकों के खिलाफ कुल 51 आपराधिक मुकदमे लंबित हैं। हालांकि इनकी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को अब तक नहीं सौंपी गई है। कोर्ट ने सरकार से यह रिपोर्ट जल्द मंगवाने और सुनवाई के अगले चरण में पेश करने को कहा है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने भी स्वयं लिया संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद बढ़ी निगरानी उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया था कि वे जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मामलों की नियमित निगरानी करें और जरूरत पड़ने पर विशेष अदालतों का गठन करें। इसी के तहत राजस्थान हाईकोर्ट ने भी स्वयं संज्ञान लेकर याचिका दायर की है।