कवि व्यक्ति के लिए नहीं समष्टि के लिए लिखता है…

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  • लिखुंगी मैं क्या क्या तुझ पर तेरे कितने रुप पिया..
  • पंछियों की कलरव बीच.. भास्कर रश्मि की सीध

 

बीकानेर, 7अप्रेल। मां सरस्वती की अनुपम अनुकम्पा वशात आज राष्ट्रीय कवि चौपाल की 510 वीं कड़ी नवरात्रि में साक्षात् नव दुर्गा आराधना को समर्पित रही। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती इंद्रा व्यास , मुख्य अतिथि श्रीमती मनीषा आर्य सोनी, विशिष्ट अतिथि श्रीमती सुनिता सेवग व सरस्वती कट्टा मंच पर शोभित हुए। कार्यक्रम शुभारम्भ करते हुए रामेश्वर साधक ने बताया कि साक्षात् नव दुर्गा आराधना जो प्रत्यक्ष में शैक्षिक, व्यवसायिक, औधोगिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, राजनैतिक, प्रशासनिक, विधिक, राष्ट्रीय-क्रांति क्षेत्र में संघर्षरत रही साक्षात् नव दुर्गा आराधना श्रेयस्कर है।

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इस नवरात्रि की विशेष साहित्य सभा डॉ सुलक्षणा दत्ता, श्रीमती इला पारीक, , श्रीमती सुषमा व्यास, डॉ मनस्वीनी सोनी, श्रीमती आरती छंगाणी, श्रीमती ज्योति स्वामी,श्रीमती पार्वती पांडेय, श्रीमती मंजू मंडोरा, श्रीमती अरुणा कट्टा आदि का चंदन तिलक शाल साफा पहनाकर व उनके व्यक्तित्व कृतित्व को सभा मध्य साझा कर नवरात्रि में 9 साक्षात् दुर्गा प्रतिभाओं का सम्मान किया गया।

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श्रीमती मंजू मंडोरा ने हे भारती मां सुवासिनी मां.. हो शारदाम्बा स्वरात्मिका हो मां सरस्वती की प्रार्थना की और महेश बड़गुर्जर ने हो जी म्हारा धिन धिन मोटा भाग, महारे पावणा पधारिया सा.. नव प्रतिभा मंचासीन अतिथियों के लिए स्वागत गीत गाया।

कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीमती इन्द्रा व्यास ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि कवि व्यक्ति के लिए नहीं समष्टि के लिए लिखता है… रवि किरणों को दे चुनोती, पौ फटने से पहले रश्मि को.. मुख्य अतिथि श्रीमती मनीषा आर्य सोनी ने ..लिखुंगी मैं क्या क्या तुझ पर तेरे कितने रुप पिया। विशिष्ट अतिथि प्राचार्या श्रीमती सुनीता सेवग ने पंछियों की कलरव बीच भास्कर रश्मि की सीध पंक्ति से साहित्य साधकों को प्रोत्साहित किया। श्रीमती सुषमा व्यास ने मेरे देश का जवान मेरी आन बान शान … सुलक्षणा दत्ता ने दम घुटता है। अब बस्ती में ऐ दिल तूं बंजारा बनजा..श्रीमती इला पारीक ने भारत मां की ललनाओं अपने को दुर्गा जानों.. डॉ मनस्वीनी सोनी ने मेरी गलती बतादे मां, क्यूं मुझको छोड़ा है, कासिम बीकानेरी ने शबरी रा मीठा बैर खावै राम जी,दीन दुखियों रै काम आवे राम जी..रचना सुनाकर सदन का मन मोह लिया।

श्रीमती ज्योति स्वामी ने म्हे बेटी हूं तो क्या, पंख लगा कर उड़ान भरुंगी.. श्रीमती मंजू मंडोरा ने नव प्रभात की नव किरण मृदुलता से गा रही .. श्रीमती आरती व्यास ने जका म्हारे खातर हमेशा तैयार मिले… श्रीमती अरुणा कट्टा ने ओ गवरा मां चुनरिया थोंरी लहराई… श्रीमती पार्वती पाण्डेय ने पवन पुत्र हनुमान राम के परम भक्त कहलाए आध्यात्म रचना सुनाकर सदन में दाद बटोरी।

कार्यक्रम में श्रीमती सरस्वती कट्टा, राजकुमार ग्रोवर, विप्लव व्यास, के के व्यास, हरि किशन व्यास, माजिद खान, शमीम अहमद, ओमप्रकाश भाटी, नत्थू खां, गौरीशंकर शंकर सोनी, धर्मेंद्र राठौड़, हनुमान कच्छावा, परमेश्वर सोनी, पवन सोनी, पवन चड्ढ़ा, आदि कई कवि साहित्य वृंद उपस्थित थे। कार्यक्रम संचालन बाबू बमचकरी ने किया आभार रामेश्वर साधक ने ज्ञापित किया।

 

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