तिब्बत में आया 7.1 तीव्रता का भूकंप, बिहार से दिल्ली तक महसूस हुए झटके

नई दिल्ली, 7 जनवरी । नेपाल-तिब्बत सीमा क्षेत्र में मंगलवार सुबह रिक्टर पैमाने पर 7.1 तीव्रता का भूकंप आया। इसके चलते चीन में दर्जनों लोगों के मारे जाने की जानकारी मिली है। भूकंप का केंद्र एशियाई और इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेटों के टकराव वाले क्षेत्र में था। इस विनाशकारी भूकंप के आने की वजह इन दोनों प्लेटों के बीच होने वाली टक्कर और इससे निकलने वाली विशाल ऊर्जा है। यह पहली बार नहीं है जब नेपाल या इसके आसपास के क्षेत्र में इतना बड़ा भूकंप आया है। बड़े भूकंप को लेकर नेपाल बेहद संवेदनशील है।

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नेपाल में क्यों आते हैं बड़े भूकंप ?

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नेपाल दुनिया के सबसे भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है। यहां बड़े-बड़े भूकंप आते रहते हैं। इसकी वजह जमीन के नीचे 130-190 किलोमीटर की गहराई में स्थिति टेक्टोनिक प्लेटें हैं। पृथ्वी की पपड़ी विशाल टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है। इन प्लेटों पर समुद्र और महाद्वीप बने हैं। ये लगातार हिलते और एक-दूसरे से टकराते रहते हैं। नेपाल दो विशाल टेक्टोनिक प्लेटों (एशियाई और इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट) की सीमा पर स्थित है। इन दो प्लेटों के टकराने से हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ। जब दोनों प्लेटें टकराती हैं तो बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा पैदा होती है। इसके चलते भूकंप आते हैं। इन प्लेटों के टकराने के चलते ही हिमालय के पर्वतों की ऊंचाई लगातार बढ़ रही है।
हर साल इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट एशियाई प्लेट के नीचे लगभग चार से पांच सेंटीमीटर घुस रहा है। भले ही यह बहुत ज्यादा न लगे, लेकिन इसके चलते इतनी अधिक ऊर्जा पैदा होती है कि विनाशकारी भूकंप आ जाते हैं।

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कैसी है धरती की संरचना?
पृथ्वी की तीन मुख्य परतें (क्रस्ट, मेंटल और कोर) हैं। क्रस्ट सबसे बाहरी परत है। इसके बाद मेंटल और कोर है। क्रस्ट दो अन्य परतों की तुलना में बहुत पतली है। महासागर के नीचे मौजूद क्रस्ट की मोटाई आम तौर पर केवल 5 किलोमीटर होती है। यह बेसाल्ट से बना होता है। हालांकि, महाद्वीपों के नीचे की परत मोटाई में बहुत अधिक अंतर होता है। यह औसतन लगभग 30 किलोमीटर मोटी होती है। बड़ी पर्वत श्रृंखलाओं के नीचे यह 100 किलोमीटर की गहराई तक फैल सकती है।

क्या हैं टेक्टोनिक प्लेटें?
टेक्टोनिक प्लेटें पृथ्वी की क्रस्ट और ऊपरी मेंटल को बनाने वाली चट्टानों की बड़ी, अनियमित आकार की स्लैब हैं। वे एस्थेनोस्फीयर नामक चट्टान की अर्ध-तरल परत के ऊपर तैरती हैं। ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, जिससे पहाड़ बनते हैं और भूकंप आते हैं।

 

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