साध्वीश्री विचक्षणश्रीजी की पुण्यतिथि पर स्नात्र पूजा व उनके आदर्शों का स्मरण

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महावीर जयंती की शुभकामनाएं
महावीर जयंती की शुभकामनाएं

बीकानेर,12 मई। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की साध्वी विचक्षणश्रीजी की 44 वीं पुण्यतिथि पर रविवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे परिसर में भगवान अजीतनाथजी के मंदिर सामूहिक स्नात्र महोत्सव व गुणानुवाद सभा आयोजित की गई।

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श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट, जिनेश्वर युवक परिषद व श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के तत्वावधान में विचक्षणश्रीजी की शिष्या विजयप्रभाश्री, प्रवर्तिनी साध्वीश्री चन्द्रप्रभा की शिष्या चंदबाला, प्रभंजनाश्रीजी, सुचेष्ठाश्रीजी सान्निध्य में हुई स्नात्र पूजा व गुणानुवाद सभा में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने सामयिक व विभिन्न तपस्याओं को करते हुए भागीदारी निभाई।

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श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारीवाल ने बताया कि जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ से सम्बद्ध ज्ञान वाटिका के बच्चों ने सामूहिक शांति स्नात्र पूजा भक्ति गीतों के साथ की। उन्होंने सभी 24 तीर्थंकरों का जन्मोत्सव मनाया तथा शांति कलश के माध्यम से प्राणी मात्र के कल्याण की प्रार्थना की । साध्वी प्रभंजनाश्रीजी व सुचेष्ठाश्रीश्री व ज्ञान वाटिका की सुनीता नाहटा, रविवारीय जिनालय पूजा समन्वयक ज्ञानजी सेठिया व पवन खजांची के नेतृत्व में सामूहिक गुरुवंदना की तथा भक्ति गीत प्रस्तुत किए। पूजा में शामिल बच्चों का पूनम चंद जिनेन्द्र कुमार दुग्गड़, भीखम चंद नाहटा परिवार, सूरजमल पुगलिया, सुन्दरलाल, महावीरजी व गुलाबजी बोथरा तथा हरी सिंह विमला देवी पारख परिवार की ओर से प्रभावना से सम्मानित किया गया।

तन में व्याधि मन में समाधि

साध्वीश्री विचक्षण जयोति की पुण्य तिथि पर सुगनजी महाराज के उपासरे में हुई गुणानुवाद सभा में साध्वीश्री सुचेष्ठाश्रीजी ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का स्मरण दिलाते हुए कहा कि महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलकर अपने देव, गुरु व धर्म के प्रति समर्पण रखे। विचक्षणश्रीजी जन-जन के मन को आकर्षित करने वाली संयम साधिका थीं। उन्होंने आजीवन संयम साधना करते हुए विनय, विवके व धैर्य का परिचय दिया।

साध्वीश्री प्रभंजनाश्रीजी ने कहा कि वैशाख सुदी चतुर्थी 18 अप्रेल 1980 को अरिहंत शरण हुई विच़क्षणश्रीजी ने लाईलाज शारीरिक व्याधि को सहन करते हुए जप, तप, साधना व आराधना को नहीं छोड़ा। व्याधि को वे अपने कर्म बंधन को काटने का माध्यम बताते हुए कभी दवाई का उपयोग नहीं किया। उन्होंने तन में व्याधि के बावजूद मन में समाधि लिए हुए पांच महाव्रतों की पालना पूर्ण निष्ठा से की। विचक्षण महिला मंडल, ज्ञान वाटिका के बच्चों, कुशल दुगड़ व राजश्री छाजेड़ ने गीत के माध्यम से उनको भावान्जलि दी। श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, विचक्षण महिला मंडल की प्रमुख वरिष्ठ श्राविका मूला बाई दुग्गड़, जिनेश्वर युवक परिषद के मंत्री मनीष नाहटा ने पुष्पाजंलि दी तथा साध्वीश्री विचक्षण श्रीजी के व्यक्तित्व को विराट व जिन शासन की शोभा बढाने वाला बताया।

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