गजल में दर्द छिपा होता है – टी. एम. लालानी
बीकानेर 26 मई। गजल के बारे में कहा जाता था कि गजल पढ़ी या कही जाती है, गाई नहीं जाती। यह बात आज टी. एम. ऑडिटोरियम में देश भर से समागत संगीत साधकों द्वारा गजल एवं ठुमरी की प्रस्तुतियों के अवसर पर विरासत संवर्द्धन संस्थान के अध्यक्ष टोडरमल लालानी ने कही।
लालानी ने कहा कि गजल के बारे कहा जाता था कि किसी हिरण के पीछे शिकारी हो और आगे कांटों की बाड़ में वह उलझ जाये, उस समय उसके मुंह से जो चित्कार निकलती है, वह गजल होती है। वस्तुतः गजल में दर्द छिपा होता था। समय के साथ गजल का सरलीकरण हुआ। उन्होंने गजल की पुरानी परम्पराओं का स्मरण करते हुए कहा कि नये गजल गायकों ने गजल गाने लगे, जिससे आम रसिक श्रोता सुन व समझ सके।
आज की प्रमुख प्रस्तुतियों में बनारस से समागत पूजा राय ने गिरजादेवी की ठुमरी ’मेरे सैंया बुलाये’, दादरा ’चला रे परदेशिया नैना लगाके’, चैती ’चैत मास फुलवा’ बेगम अख्तर द्वारा गाई गई गजल ’ए मोहब्बत तेरे अंजाम’ व दादरा ’हमारी अटरिया पे आवो सांवरिया’ प्रस्तुत की। जिन्हें सुनकर दर्शक भाव विभोर हो गये।
रतनगढ़ से समागत यश कत्थक ने हाकिम हसन शायर द्वारा रचित व मेहंदी हसन द्वारा गाई गई गजल ’जिन्दगी को नाव बना ले’ सुनाई। बनारस से आई नेहा यादव ने मिर्जापुर के लोकगीत ’कजरी’ सुनाकर सबका मन मोह लिया। भिलाई की श्रद्धा साहू ने ’प्यार भरे दो शर्मीले नैंन को श्रोताओं ने खूब पसन्द किया। इस अवसर पर रफीक सागर ने ’दीवारों से बातें करना अच्छा लगता है’ एवं ’रंजिश ही सही’ गजलों पर खूब दाद बटोरी। इस अवसर पर गुरूकुल बी.एल.मोहता स्कूल, सींथल की छात्रा कुमारी सुमन ने भी ’नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो’ गाकर अपनी भक्ति भाव की प्रस्तुति की।
बीकानेर के प्रसिद्ध संगीत प्रशिक्षक पं. पुखराज शर्मा ने ’क्या तुझ पे नज्म लिखूं’ गाकर शमां बांध दिया शमां बांध दिया। इस अवसर पर आयोजन का सफल संचालन करते हुए हेमन्त डागा ने भी तलक महमूद की गजल ’सीने में सुलगते हैं अरमान’ प्रस्तुत कर सबको आनन्द विभोर कर दिया।
इस अवसर पर हारमोनियम पर पं. पुखराज शर्मा व तबले पर गुलाम हुसैन, ढ़ोलक पर लियाकत अली, ऑर्गन पर कमल ऑक्टोपेड पर मौसीन खान ने संगत की।
आज उच्च स्तरीय भारतीय संगीत प्रशिक्षण कार्यशाला के तीसरे दिन के सत्र में पं. भवदीप ने प्रशिक्षुओं को आज भीम पलाशी , काफी राग का प्रशिक्षण व अभ्यास करवाया।
सुर संगम के अध्यक्ष के.सी.मालू ने बताया कि विरासत संवर्द्धन संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में यह प्रशिक्षण कार्यशाला बहुत सार्थक है। यहां की सभी समुचित व्यवस्थाओं के साथ प्रशिक्षक पं. भवदीप के कुशल प्रशिक्षण एवं पं. पुखराज व गुलाम हुसैन की संगत के साथ ही संगीत साधक प्रशिक्षु जिस लग्न से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहें हैं उससे आत्म संतुष्टि हुई है।