सूर्य की तरह दैदीप्यमान है आचार्य श्री महाश्रमण – साध्वी डॉ गवेषणाश्री
- बुधवार से प्रारंभ होगा पंचदिवसीय कन्या संस्कार निर्माण शिविर
चेन्नई , 28 मई। (स्वरूप चन्द दांती ) अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी का अभिवन्दना समारोह साध्वी डॉ. गवेषणाश्री ठाणा 4 के सान्निध्य में परमार हाउस में अणुव्रत समिति की आयोजना में आयोजित हुआ।
अनुशास्ता की अभिवन्दना में साध्वीश्री ने कहा कि आचार्यश्री स्थितप्रज्ञ की तरह है। उन्हें यश की चाह नहीं है। वे किसी भी परिस्थिति में अडिग, अडोल रहते हैं। न नेपाल का भूंकप, न सेरापूंजी की बारिश, न करोना महामारी उन्हें डीगा सकी। भीषण गर्मी में भी जन प्रतिबोधन के लिए आप सदैव गतिशील है।
साध्वीश्री ने कहा कि आपके आभामंडल में आने वाला व्यक्ति अपने आप को तृप्त बना लेता है। अधिक सुनना और कम शब्दों में मुस्कुराहट के साथ जवाब देने से दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। आपका ललाट सूर्य की तरह दैदीप्यमान है।
आपने अनुशास्ता के जीवन प्रंसगों का उल्लेख से विशेष पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि उनकी अभिवन्दना के साथ, उनके गुणों का जीवन में अवरण होना ही हमारी सच्ची भावांजलि होगी।
इससे पूर्व साध्वी श्री दक्षप्रभा ने अणुव्रत गीत के संगान से मंगलाचरण किया। साध्वी मंयकप्रभा ने अनुशास्ता के संयम निष्ठा, इन्द्रिय संयम इत्यादि गुणों का विवेचन करते हुए कहा कि संयम के अंकन से ही साधना के शिखर को प्राप्त किया जा सकता है।
किल्पौक तेरापंथ सभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अशोक परमार ने कहा कि दृढ़ विश्वास और पूर्ण श्रद्धा के साथ गुरु के प्रति समर्पण भाव से ही सिद्धि प्राप्त होती हैं। मुख्य व्यक्ता गौतमचंद सेठिया ने कहा कि आचार्यश्री का जीवन पराक्रमता, निरन्तरता, नियमितता, समर्पणता, निरहंकारिता से परिपूर्ण है। अणुविभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्षा श्रीमती माला कातरेला ने ग्यारहवें आचार्य की अभिवन्दना में उनके ग्यारह गुणों का व्यख्यान किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए अणुव्रत समिति मंत्री स्वरूप चन्द दांती ने अपने विचारों के साथ धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर कोषाध्यक्ष पंकज चौपड़ा के साथ अनेकों गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित थे।
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा के तत्वावधान में साध्वीवृन्द के सान्निध्य में तेरापंथ सभा भवन, साहुकारपेट में पाँच दिवसीय कन्या संस्कार निर्माण शिविर का आयोजन होगा।