साध्वीवृन्द के उद्बोधन से लाभान्वित हुए संस्कार निर्माण शिविरार्थी
गंगाशहर , 14 जून। जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के तत्वावधान में तेरापंथी सभा गंगाशहर के द्वारा आयोजित पांच दिवसीय “संस्कार निर्माण शिविर “के तीसरे दिन आज शिविरार्थी बच्चों को नैतिकता के शक्ति पीठ के आशीर्वाद भवन से शांतिनिकेतन सेवा केंद्र में विराजित साध्वियो के दर्शनार्थ लाया गया |
इस अवसर पर प्रवचन कार्यक्रम में साध्वी श्री प्रांजल प्रभा जी ने शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि जानना अलग बात है, सुनना अलग बात है ,देखना अलग बात है और जीवन व्यवहार में क्रियान्वित करना अलग बात है। हमें अच्छी बातों को जीवन व्यवहार में उतरना है। माता-पिता बच्चों से केवल आदर सम्मान की अपेक्षा रखते हैं।
हमें काफी समय अपने परिवार के बड़े बुजुर्गों के साथ बिताना चाहिए, उन्हें सम्मान देना चाहिए ,झूठ नहीं बोलना चाहिए ,नशा मुक्त जीवन व्यतीत करना है, जीव हिंसा से बचना है और किसी भी प्रकार की बुराई हमारे जीवन में नहीं आनी चाहिए | ऐसा हमें शिविर के माध्यम से अपने जीवन में संकल्प लेना है, भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए हमें प्रतिदिन प्रयास करने होंगे |
इस अवसर पर साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा जीवन में हमें ना कहना भी सीखना चाहिए ,कहां पर हां करनी है और कहां मना करना है, यह विवेक हमें जागृत करना होगा ,यह सतत प्रयासों से ही संभव है। किस व्यक्ति को मित्र बनाना है यह हमें बड़ी जागरूकता से तय करना चाहिए । अच्छा मित्र हमें अच्छा नागरिक बनने में सहयोगी बन सकता है। अच्छा नागरिक बनने के लिए हमें छोटे-छोटे संकल्पो को बड़ी मजबुती से पालन करना चाहिए।साध्वी श्री जी ने बच्चों को आत्महत्या नहीं करने का संकल्प दिलाया।
तेरापंथी महासभा के भैंरूदान सेठिया ने शिविर की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उसके बाद शिविरार्थियों को तेरापंथ भवन ले जाया गया, जहां मुनि श्री श्रेयांश कुमार जी ने एक गीतिका के माध्यम से शिविरार्थी बच्चों को लक्ष्य निर्धारित करके आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी एवं मौन का महत्व समझाया। आचार्य श्री तुलसी निर्वाण स्थल के दर्शन किये।
उसके बाद शिविरार्थियों को आचार्य तुलसी के अंतिम प्रवास स्थल बोथरा भवन ले जाया गया, जहां बच्चों ने गुरुदेव तुलसी की चित्र दीर्धा का अवलोकन किया। कार्यक्रम का संयोजन तेरापंथ सभा के कोषाध्यक्ष रतनलाल छलाणी ने किया । इससे पूर्व प्रातः परीक्षा ध्यान प्रशिक्षक धीरेंद्र बोथरा व प्रदीप ललवानी ने योग के प्रयोग करवाए। डॉ. समणी श्री मंजूप्रज्ञा जी, समणी श्री स्वर्णप्रज्ञा जी, पीयूष नाहटा, चक्रवर्ती नारायण श्रीमाली, सुश्री कोमल पुगलिया ने विभिन्न सत्रों में प्रशिक्षण दिया।