केजरीवाल की रिहाई HC में सुनवाई के चलते फिलहाल टली
- ED की याचिका पर HC में सुनवाई जारी, तब तक ट्रायल कोर्ट के जमानत के फैसले पर रोक
नयी दिल्ली , 20 जून। दिल्ली शराब नीति केस में राउज एवेन्यू कोर्ट ने 20 जून को अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी। ED ने इसका विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट की वेकेशनल बेंच में याचिका लगाई है।
ED की ओर से ASG एसवी राजू, केजरीवाल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी और विक्रम चौधरी दलीलें रख रहे हैं। जस्टिस सुधीर जैन और जस्टिस रविंदर डुडेजा की बेंच सुनवाई कर रही है।
ED के वकील एसवी राजू ने कहा कि हमें दलीलें रखने का मौका नहीं मिला। इस पर केजरीवाल के वकील बोले- आपने कल 7 घंटे अपनी बातें रखीं। शालीनता से कुछ बातें स्वीकार करनी चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा- ED की याचिका पर सुनवाई होने तक ट्रायल कोर्ट के आदेश को प्रभावी नहीं माना जाएगा। यानी हाईकोर्ट का जब तक फैसला नहीं आ जाता तब तक केजरीवाल जेल में ही रहेंगे।
कोर्ट रूम लाइव…
ASG एसवी राजू: एक केस है, जिस पर मैं तत्काल रोक लगाने की मांग कर रहा हूं। आदेश अभी अपलोड नहीं हुआ है। शर्तें पता नहीं हैं। हमें जमानत याचिका का विरोध करने का पूरा मौका नहीं दिया गया।
मैंने कहा कि मुझे अपनी दलीलें पूरी करने दी जाएं। मुझे ऐसा करने की इजाजत नहीं दी गई। मेरी दलीलें कम कर दी गईं।
विक्रम चौधरी (केजरीवाल के वकील): क्या सात घंटे की दलीलें काफी नहीं हैं। किसी को शालीनता से भी कुछ स्वीकार कर लेना चाहिए।
ASG एसवी राजू: सरकारी वकील को एक मौका दिया जाना चाहिए। वह मौका नहीं दिया गया। रोक लगाने की मेरी अपील पर भी विचार नहीं किया गया। मैं यह आरोप पूरी गंभीरता से लगा रहा हूं। आदेश पर रोक लगाई जाए। मामले की जल्द से जल्द सुनवाई हो।
विक्रम चौधरी: यह हैरानी की बात है। वे शालीनता से कुछ स्वीकार नहीं कर सकते। ईडी के साथ यही समस्या है।
अभिषेक मनु सिंघवी: क्या मैं कुछ कह सकता हूं?
ASG एसवी राजू: आप तब मौजूद नहीं थे।
सिंघवी: शोर-शराबा और गरमागरमी से कोई समस्या हल नहीं होने वाली। सुप्रीम कोर्ट के 10 फैसले हैं कि जमानत रद्द करना, जमानत देने से बिल्कुल अलग है।
ASG एसवी राजू: इस बीच जमानत पर रोक लगनी चाहिए।
हाईकोर्ट: फाइल आने दीजिए। हमने अभी अंतिम आदेश नहीं दिया है। फाइल 10-15 मिनट में मेरे पास आ जाएगी। उसके बाद आप दलीले दे सकते हैं। केजरीवाल को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका पर सुनवाई होने तक ट्रायल कोर्ट के आदेश को प्रभावी नहीं माना जाएगा।