चन्द्रप्रभु जिनालय जिर्णोंद्धार चल प्रतिष्ठा शुक्रवार को

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  • जिनालय जीर्णोंद्धार में भागीदारी से पुण्यों का उदय

बीकानेर, 18 जुलाई। आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी आदि ठाणा 18, साध्वीश्री विचक्षणश्रीजी की शिष्या साध्वी विजय प्रभा, साध्वीश्री चन्द्रप्रभाकी शिष्या साध्वीश्री प्रभंजनाश्रीजी के सान्निध्य में बेगानियों के चौक में स्थित 188 वर्ष प्राचीन भगवान श्री चन्द्रप्रभु के जिनालय का आमूलचूल जीर्णोंद्धार का चल प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुक्रवार को सुबह साढ़े पांच बजे शुरू होगा।

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आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने गुरुवार को ढढ्ढा चौक के यशराग प्रवचन पांडाल में कहा कि जिनालय निर्माण व जीर्णोंद्धार से पापों का क्षय व पुण्यों का उदय होता है। देव, गुरु व धर्म के कार्यों, मंदिर जीर्णोंद्धार, निर्माण के कार्य में सकारात्मक सोच व भावना रखनी चाहिए। नकारात्मक सोच व टिप्पणी से कर्म व पाप बंधन होते है।

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मुनिश्री सम्यक रत्न सागर ने कहा कि प्रभु के वचन, संदेश व वाणी का अनुसरण उपकारी, कल्याणकारी व मंगलकारी है। उन्होंने बताया कि जिन सौभाग्य सूरीजी के सान्निध्य में चंदा प्रभुजी के मंदिर की प्रतिष्ठा 188 वर्ष पूर्व करवाई गई थी। ’’ जीर्णोद्धार करता आठ गुणाफल होय’ जिनालय के जीर्णोंद्धार से 8 गुणा पुण्यों के फल की प्राप्ति होती है।

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श्री चन्द्र प्रभु मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष बीकानेर निवासी मुंबई प्रवासी विख्यात चिकित्सक डॉ. मानमल बेगानी ने बताया कि मंदिर के जीर्णोंद्धार व नवीनीकरण का कार्य समस्त बेगानी परिवारों, बेगानी मोहल्लावासी व श्री चन्द्र प्रभु मंदिर ट्रस्ट के संयुक्त प्रयासों से होगा।

बेगानी का गुरुवार को आचार्यश्री के सान्निध्य में डॉ. बेगानी का श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के संरक्षक पवन पारख व पूनमचंद नाहटा ने श्रीफल, पगड़ी व दुप्पटें से सम्मान किया।

ट्रस्ट के मंत्री देवेन्द्र, उपाध्यक्ष झंवर लाल बेगानी, भीखमचंद व मालचंद बेगानी आदि ने बताया कि जैन धर्म के 8 वें तीर्थंकर भगवान चन्द्र प्रभु या चंदा प्रभु के मंदिर में भगवान आदिनाथ, सुपार्श्व नाथ, नेमीनाथ, शांतिनाथ, यक्ष देव तथा दादा गुरुदेव जिन कुशल सूरी की प्राचीन प्रतिमाएं प्रतिष्ठित है। जीर्णोंद्धार के बाद गणधर गौतम स्वामी व ओसिया की सच्चियाय माताजी की प्रतिमाएं स्थापित की जाएगी।

उन्होंने बताया कि शुक्रवार को सुबह 5.31 बजे शुक्र उत्सव में स्नात्र पूजा, सुबह 6.11 पर नवग्रह, दशदिग्पाल, अष्टमंगल, क्षेत्रपाल आदि आदि देवों का पूजन, सुबह 8.36 बजे प्रवचन, 9.31 बजे जीर्णोंद्धार मुर्हूत व चल प्रतिष्ठा होगी। इसके बाद गोगागेट स्थित गौड़ी पार्श्वनाथ परिसर में स्वधर्मी वात्सल्य का आयोजन होगा। स्वधर्मी वात्सल्य का लाभ श्री चन्द्रप्रभु मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष, मुंबई प्रवासी बीकानेर निवासी डॉ.मानमल बेगानी, श्रीमती फूदादेवी लक्ष्मीचंद जी, माणकचंद बेगानी व समस्त बेगानी परिवार ने लिया है।

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