आचार्य भिक्षु का जन्म दिवस व बोधि दिवस मनाया

गंगाशहर , 19 जुलाई। तेरापंथी सभा गंगाशहर ने आज तेरापंथ धर्म संघ के प्रथम आचार्य श्री भिक्षु का 299 वां जन्मदिवस व 267 वां बोधि दिवस शांतिनिकेतन में साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी व प्रांजल प्रभा जी के सानिध्य में मनाया गया। संत भीखण जी का जन्म 1783 आषाढ़ शुक्ला त्रयोदशी को कंटालिया राजस्थान में हुआ।

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इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी ने कहा कि विक्रम संवत 1808 में भीखण जी मुनि बने | उन्होंने विक्रम संवत 1817 में तेरापंथ का प्रर्वतन किया।

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उस समय के विभिन्न धर्म संघ के आचार और अनुशासनहीनता ने उनके मन को अतिशय उद्वेलित किया। मानसिक उद्वेलन कि इस दिशा में उनको सत्यशोधक बना दिया। उन्होंने जैन आगमों का अध्ययन किया और उससे प्राप्त निष्कर्षों के आधार एवं विचार की सम्यकता का निर्धारण किया।

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आचार्य भिक्षु ने जीवन में सत्य की अवधारणा के लिए अपने सुख समान‌ और सुविधाओं का बलिदान किया एवं अनेक कष्टों को सहा। एक छोटी सी अंधेरी ओरी में चार महीने चातुर्मास किया। आहार -पानी , रहने के स्थान आदि अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा |

साध्वी श्री ने कहा कि आचार्य भिक्षु प्रतिस्रोतगामी थे। उन्होंने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। वे अपने हर विरोध को सकारात्मकता की दृष्टि से देखते थे।

इस अवसर पर तेरापंथ सभा के जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि राजनगर संत भीखण जी का बोधि क्षेत्र है | जहां उन्हें नया आलोक मिला और आलोकमय पथ पर चलने की क्षमता मिली। राजनगर के श्रावक जागरुक एवं तत्व ज्ञानी थे। आज जरुरत राजनगर जैसे श्रावक बनने की है। आचार्य भिक्षु ने आचार शिथिलता और विचारों के धुंधलेपन पर गहरा प्रहार किया जिसका परिणाम है कि तेरापंथ बना। उन्होंने आचार्य भिक्षु के साहित्य को पढ़ने व जीवन में धारण करने की बात पर बल दिया।

सभा के मंत्री जतनलाल संचेती ने बताया कि साध्वी श्री गौतम प्रभा जी ने गीतिका का संगान किया। महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती संजू लालाणी ने काव्य पाठ किया। तेयुप अध्यक्ष महावीर फलोदिया ने अपने विचार व्यक्त किए।निर्मल बैद ने गीतिका का संगान किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती रुचि छाजेड़ ने किया।

समारोह में राजेंद्र सेठिया, अमरचंद सोनी, जतनलाल संचेती , रतनलाल छलाणी सहित अनेक श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रहे। अनेक श्रद्धालुओं ने जप व तप के संकल्प स्वीकार किए। मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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