राष्ट्रीय दवा निर्माता कंपनियों की मनमानियों से दवा विक्रेता त्रस्त

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तीनों “राष्ट्रीय दवा निर्माता कंपनियों के एसोसिएशनों” को पत्र लिख तेज़ की अपनी प्रमुख “तीन” मांगें रखने का निर्णय

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बीकानेर , 19 जुलाई। संपूर्ण राष्ट्र में दवा निर्माता कंपनियां दिन प्रति दिन अपनी मनमानियां तेज करती जा रही है। जिससे दवा व्यापारियों का अस्तित्व खतरे में आता जा रहा है। वर्तमान व्यवस्था में दवा व्यापारी की समस्याओं की सुनवाई नहीं होती है। इन्हीं समस्याओं के हल के लिए बीकानेर जिला दवा विक्रेता संघ (रजिस्टर्ड) की एक बैठक अध्यक्ष जगदीश चौधरी की अध्यक्षता में रखी गई।

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बैठक में निर्णय लिया गया कि दवा निर्माता कंपनी लगातार मनमानी कर रही है जिससे दवा व्यापारियों को सीधी हानि होती है। इस पर अंकुश लगाने के लिए पत्र के माध्यम से एक संदेश कंपनियों के तीनों राष्ट्रीय संगठनों को दिया जाए। जिस पर उनके द्वारा तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की अपेक्षा की जाएगी। जिन राष्ट्रीय दवा निर्माता कंपनियों के एसोसिएशनों को पत्र लिखना तय हुआ उसमें ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ फार्मास्यूटिकल प्रोड्यूसर्स ऑफ़ इंडिया ( AIOPPI) ,2 इंडियन फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IPMA), 3 ऑल इंडिया फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन (AIPMDA) है। प्रमुख रूप से बीकानेर जिला दवा विक्रेता संघ (रजि) द्वारा तीन मांगे उठाई जाएंगी।

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एक्सपायर दवाओं की वापसी पर लगाई गई 180 दिनों की समय सीमा समाप्त होनी चाहिए।

कोई भी दवाई निर्माता कंपनी “स्वेच्छा से” अपनी दवा बनाती है एवं उसकी “बिक्री करने के लिए / बिक्री में बढ़ोतरी” के लिए MR तथा अन्य “फील्ड स्टाफ” रखती है, जिनका मूल कार्य उसे दवा की बिक्री को करवाना होता है। परंतु जब यह “फील्ड स्टाफ” काम नहीं करता, तो यह दवाएं एक्सपायर हो जाती है जिसे निर्माता कंपनी वापस लेने से इनकार कर देती है या समय सीमा में बांध देती है। इस प्रक्रिया में सीधा नुकसान दवा व्यापारी को होता है जो कंपनी के “फील्ड स्टाफ” के कहने पर अपना पैसा लगाकर उक्त दवाई मंगवाता है।
अतः समिति की मांग है कि एक्सपायर दवाओं को वापस लेने के लिए कोई समय सीमा की बाध्यता नही होनी चाहिए।

चिकित्सक और अस्पतालों को सीधी सप्लाई बंद हो

सर्वविदित है कि आजकल सभी चिकित्सक के क्लिनिक और अस्पतालों में केमिस्ट दुकान खुल गई हैं। इन दुकानों में कंपनियां दवाओं की सीधी सप्लाई करती हैं और बाजार मूल्य से 50% से 70% तक अतिरिक्त मुनाफ़ा देती हैं। दुःखद यह है कि इन दुकानों में यह पूरा मुनाफा चिकित्सक रख लेता है और मरीज़ को कोई लाभ नही मिल पाता। यानी कम्पनी द्वारा चलाई जा रही यह प्रक्रिया मरीज़ को कोई लाभ नही देती किन्तु इससे दवा व्यापारी नुकसान उठाते है। क्योंकि हर चिकित्सक अनेक ऐसी दवाएं लिखता है जो सिर्फ उसी की दुकान में मिलती है वो भी 50-70% अतिरिक्त मुनाफ़े के साथ।
अतः समिति की मांग है कि या तो “सीधी सप्लाई बंद हो” या फिर सप्लाई में सभी के लिए मूल्यों की “एकरूपता”हो।

कंपनियों द्वारा दवा व्यापारियों को मनमानी सप्लाई बंद हो

कॉमर्स में “डिमांड और सप्लाई” को स्पष्ट रूप से समझाया गया है। व्यापारी उसी वस्तु की डिमांड करेगा जो बिकेगी। परन्तु हाल में भारत की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी “SUN PHARMA” द्वारा SSD BIlling की व्यवस्था को लागू किया गया है जिसमे कम्पनी का कहना है कि वे अपने स्टॉकिस्ट को अपनी मर्ज़ी से दवा सप्लाई करेगी जिसे उसे हर हाल में स्वीकार करना होगा। यह नियम कम्पनी का गलत और अतार्किक है जो अगर परम्परा बन गया तो पूरे विश्व मे व्यापार की दशा को बिगाड़ देगा।
विश्व मे प्रत्येक ग्राहक स्वतंत्र है। उसे कोई भी वस्तु खरीदने के लिए बाधित नही किया जा सकता परन्तु SUN PHARMA अपने ग्राहक (स्टॉकिस्ट/डिस्ट्रीब्यूटर) को अपनी मर्ज़ी से दवा खरीदने को बाधित करना चाहती है जो सभी नियमों के विपरीत है।अतः यह नियम अविलम्ब वापस होना चाहिए

बीकानेर जिला दवा विक्रेता संघ (रजि) द्वारा तीनों संगठनों को चेताया गया है कि आगामी 5 अगस्त को मेरठ में समिति की अगली प्रादेशिक बैठक होगी। जिसमें सम्पूर्ण देश से दवा व्यापारी पधारेंगे। यदि ये तीनों संगठन उपरोक्त्त बिंदुओं कोई ठोस निर्णय नही लेते है तो इस बैठक में आगे की रणनीति बनाई जाएगी जो कि निश्चित ही दवा व्यापार को एक नई दिशा और दशा देगी।

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