जिन प्रतिमा व मंदिर शुद्धिकरण अभियान शनिवार से , श्री 45 आगम तप व प्रदर्शनी 28 से
बीकानेर, 26 जुलाई। आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी आदि ठाणा 18, प्रवर्तिनी विचक्षणश्रीजी व चन्द्रप्रभाश्रीजी सुशिष्या विजय प्रभा व प्रभंजनाश्रीजी आदिठाणा 5 के सान्निध्य में श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के तत्वावधान में भवोदधितारक शिव सुखकारक श्री 45 आगम तप व ताड़ पत्र पर उत्कीर्ण आगमों की प्रदर्शनी 28 जुलाई से शुरू होगी। शनिवार को आचार्यश्री के सान्निध्य में जिन प्रतिमा व मंदिर शुद्धिकरण अभियान सुबह छह से आठ बजे तक शुरू होगा।
आचार्यश्री पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने शुक्रवार को ढढ्ढा चौक में प्रवचन में कहा कि गणधरां और श्रुत केवलियों द्वारा संकलित जैन धर्म के शाश्वत साहित्य को आगम साहित्य के रूप में जाना जाता है। आगम जैन धर्म के पवित्र ग्रंथ है इनके दर्शन, वंदन व अध्ययन करने से पापों से मुक्ति व पुण्यों की प्राप्ति होती है।
आत्मिक,आध्यात्मिक व धर्म प्राप्ति अज्ञान से मुक्ति के लिए अरिहंत उपदिष्ट एवं गणधरादि कृत आगमों पर आधारित भवोदधितारक शिवसुखकारक श्री 45 आगम तप कल्याणकारी है। आगम की तपस्या करने वाले प्रतिदिन एकासना व आगम की क्रिया व वंदना श्रद्धा भाव से करें।
बीकानेर के मुनिश्री सम्यक रत्न सागर ने कहा कि दृढ संकल्प के साथ, सुदेव, सुगुरु व सुधर्म के बताएं मार्ग पर चलते हुए श्रद्धा व विश्वास रखते हुए जप, तप, ध्यान, साधना, आराधना व भक्ति कल्याणकारी होती है। गुरु ही हमें तीन त्रिलोकी के नाथ की सही साधना व भक्ति का मार्ग बताते है।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा ने बताया कि ढढ्ढा चौक के इंद्रलोक में बीकानेर में पहली बार जैन आगमों की यंत्रों सहित प्रदर्शनी लगेगी। जैन धर्म के प्रमुख 45 आगमों को आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में खरतरगच्छ सहस्त्राब्दी वर्ष पर पवित्र तीर्थ स्थल पालीताणा में ताड़पत्रों पर जंगलो की औषधि युक्त विशेष स्याही से उड़ीसा के लिपिकारकों से लिपिबद्ध करवाया था।
भगवान महावीर स्वामी के केवल्य ज्ञान के समय दिए उपदेशों को गणधर गौतम सहित गणधरो व आचार्यों ने लिपिबद्ध कर आगम रूप् दिया। प्रदर्शनी 28 जुलाई से 60 दिन चलेगी । प्रथम दिन परमात्मा, गणधर गौतम स्वामी, दादा गुरुदेव की प्रतिमा व कुंभ की स्थापना की जाएगी। श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन इन आगमों के दर्शन वंदन के साथ मंत्रों का भी जाप कर सकेंगे।
श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने बताया कि आचार्य श्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य 28 जुलाई से होने वाले श्री 45 आगम तप व आगम प्रदर्शनी, 29 जुलाई से 17 अक्टूबर तक 81 दिवसीय पांच करोड़ नवकार जाप महा अनुष्ठान का लाभ बीकानेर के सभी जैन श्रावक-श्राविकाओं को मिले इसके लिए सभी जैन संघों को आमंत्रण पत्र भिजवा जा रहे है।
शनिवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में जिन प्रतिमा व मंदिर का शुद्धिकरण किया जाएगा । शुक्रवार को आयम्बिल की तपस्या शर्मिला खजांची व अट्ठम तप की बबीता नाहटा, बालक मनन डागा, श्राविका राखी सुखानी, संतोष खजांची तथा श्रावक पन्नालाल बोथरा के 7 दिन की तपस्या की अनुमोदना की गई। शुक्रवार को संघ पूजा का लाभ वीर विमल चंद सुराणा परिवार ने लिया।
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शुद्ध व उत्तम भाव व भावना से ही कल्याण संभव- मुनिश्री
बीकानेर, 26 जुलाई। जैन श्वेताम्बर तपागच्छ के मुनिश्री पुष्पेन्द्र विजय .ने शुक्रवार को रांगड़ी चौक की तपागच्छीय पौषधशाला में राजकुमार वंकचुल की कहानी के माध्यम से कहा कि कुछ नियमों की पालना कर हम हिंसा, क्रोध आदि कषायों से बच कर पवित्र जीवन व्यतीत कर सकते है।
उन्होंने कहा कि अहिंसा धर्म का पालन करने, सात्विक आहार ग्रहण करने अभक्ष्य सामग्री का त्याग करने, सुदेव, सुधर्म व सुगुरु की आज्ञा का पालन करने से जीवन निर्मल व पवित्र बनता है तथा हम अनेक पापों व कर्म बंधनों से मुक्त हो जाते है।
मुनिश्री श्रुतानंद विजय ने आचार्य हरिभद्र सूरी के समरादित्य कथा सूत्र के जब माध्यम से कहा कि ’’ भावे भावना भाविए, भावै दीजै दान, भावै जिनवर पूजिए, भावै केवल्य ज्ञान’’। उन्होंने राजा प्रशन्न चन्द्र के दृष्टांत से बताया कि मन के भाव विशुद्ध हुए बिना चित स्फटिक की तरह निर्मल नहीं होगा । कितनी ही साधना आराधना व भक्ति करलें मोक्ष का मार्ग नहीं मिलेगा। हमारी भावना व भाव पर कर्म बंधन टिका है। शुद्ध व उत्तम से भाव व भावना ही कल्याण संभव है।