श्री 45 आगम तप, प्रदर्शनी व शोभायात्रा और महावीर कॉलेज फॉर बेसिक नॉलेज रविवार

बीकानेर, 27 जुलाई। आचार्य श्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी आदि ठाणा 18, प्रवर्तनी विचक्षण श्रीजी व चन्द्रप्रभा श्रीजी सुशिष्या विजय प्रभा व प्रभंजना श्रीजी आदि ठाणा 5 के सानिध्य में श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के तत्वावधान में रविवार को श्री 45 आगम तप शुरू होगा। आगमों की शोभायात्रा निकलेगी तथा 45 दिवसीय प्रदर्शनी शुरू होगी। महावीर कॉलेज फॉर बेसिक नॉलेज शिविर सुबह पौने नौ बजे से प्रवचन पंडाल व सुगनजी महाराज के उपासरे में शुरू होगा।

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आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने शनिवार को कहा कि भवोदधितारक शिव सुखकारक श्री 45 आगम तप सभी तरह के ज्ञान को प्रदान करने वाला तथा ताड़ पत्र पर उत्कीर्ण आगम के दर्शन वंदन करने, उनके मंत्रों का जाप करने अज्ञान दूर होता है तथा आत्म-परमात्म के ज्ञान में वृद्धि होती है। गणधरां और श्रुत केवलियों द्वारा संकलित जैन धर्म के शाश्वत साहित्य को आगम साहित्य के रूप में जाना जाता है। आगम जैन धर्म के पवित्र ग्रंथ है इनके दर्शन, वंदन व अध्ययन करने से पापों से मुक्ति व पुण्यों की प्राप्ति होती है।

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बीकानेर के मुनिश्री सम्यक रत्न सागर ने कहा कि आगमों में तीर्थंकरों के त्रिकाल ध्रुव सत्य वचन है। जैन आगम हजारों वर्षों से जैन धर्म के पथ प्रदर्शक बने रहेगे। जिन बिम्ब व जिन आगम वंदनीय व पूजनीय है। आगम शब्द स्वरूप ईश्वर रूप है। अपनी देववाणी भाषा संस्कृत, प्राकृत व राष्ट्रभाषा हिन्दी व मातृभाषा को सम्मान देते हुए आगमों को अपनी भाषा में समझने, अध्ययन करने का प्रयास व पुरुषार्थ करना चाहिए।

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मुनि शाश्वत रत्न सागर ने बताया आगमों में परमात्मा की वाणी व देशना को गणधर गौतम स्वामी सहित गणधरो ने लिपिबद्ध किया वहीं दादा गुरुओं व आचार्यों ने इनके गूढ़ रहस्यों को जन-जन तक पहुंचाया।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा ने बताया रविवार को सुबह आठ बजे आगमों की शोभायात्रा चातुर्मास स्थल के आस पास के क्षेत्रों में ढढ्ढा चौक के इन्द्रलोक भवन में आगम प्रदर्शनी स्थल पहुंचेगी। जहां स्थापित भगवान पार्श्वनाथ, गणधर गौतम स्वामी व दादा गुरुदेव की प्रतिमाओं व 45 आगमों का पूजन किया जाएगा।

श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ व मंत्री मनीष नाहटा नाहटा ने बताया कि आगम तप व आगमों की प्रदर्शनी के प्रति बीकानेर के सभी गच्छ व पंथ के श्रावक-श्राविकाओं में श्रद्धा व विश्वास प्रकट करते हुए आगम पूजा के आमंत्रण पत्र ले जा रहे है। आमंत्रण पत्रों में आगमों के नाम व उनके मंत्र को प्रकाशित किया गया है।

तपस्वी बालक मनन डागा का अभिनंदन
आचार्य श्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सानिध्य में शनिवार को ढढ्ढा चौक में प्रवचन स्थल पर 12 वर्षीय लूणकरणसर के बालक मनन डागा पुत्र सुरेन्द्र-शुभ रेखा डागा द्वारा 8 दिन की तपस्या करने पर अभिनंदन किया गया। लूणकरणसर के कक्षा छठी के छात्र मनन ने तपस्या के दौरान आहार के रूप में केवल सीमित जल का ही उपयोग किया।

श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के मंत्री चन्द्र पारख, श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, वरिष्ठ श्रावक महावीर सिंह खजांची, धनराज गुलगुलिया व जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने डागा के साथ गोंदिया महाराष्ट्र से आए वरिष्ठ श्रावक प्रकाश चंद व महेश चंद का अभिनंदन श्रीफल, दुपट्टा आदि से किया। । संतोष खजांची तथा श्रावक पन्नालाल बोथरा के तपस्या की अनुमोदना की गई। शनिवार को संघ पूजा का लाभ सुनील, शंकर लाल बोहरा, खुशबू छाजेड़, बाडमेर व नेमचंद भंवरी देवी ने लिया।

जिन प्रतिमा व मंदिर शुद्धिकरण

आचार्यश्री के सान्निध्य में जिन प्रतिमा व मंदिर शुद्धिकरण अभियान शनिवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में शुरू हुआ। अभियान में मुनि व साध्वीवृंद के सान्निध्य में श्रावक-श्राविकाओं ने उत्साह से हिस्सा लिया। उपासरे के ऊपरी हिस्से में भगवान अजीत नाथजी के मंदिर, नीचले हिस्से में क्षमा कल्याणजी महाराज के देवळी का शुद्धि करण किया व मंदिर को साफ सुथरा कर स्वच्छ बनाया गया।

महावीर कॉलेज फॉर बेसिक नॉलेज रविवार को
आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में रविवार को ढढ्ढा चौक के प्रवचन पांडाल में तथा रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में महावीर कॉलेज फॉर बेसिक नॉलेज शिविर रविवार को सुबह पौने नौ बजे होगा। प्रवचन पांडाल में 15 वर्ष से अधिक आयु के श्रावक-श्राविकाएं तथा सुगनजी महाराज के उपासरे में छह से 15 वर्ष तक के बच्चे हिस्सा ले सकेंगे।

नियम व आत्म अनुशासन की पालना करें-मुनिश्री

बीकानेर, 27 जुलाई। जैन श्वेताम्बर तपागच्छ के मुनिश्री पुष्पेन्द्र विजय .ने शनिवार को रांगड़ी चौक की  तपागच्छीय पौषधशाला में राजकुमार वंकचुल की कहानी के माध्यम से कहा कि जीवन में नियम व आत्म अनुशासन की पालना करें। नियम आत्मानुशासन से ही हम पाप कर्मों से बचकर पुण्यों का सृजन कर सकते है।
मुनिश्री श्रुत आनंद विजय ने आचार्य हरिभद्र सूरी के समरादित्य कथा सूत्र के माध्यम से कहा कि निर्मल चित ही आंतरिक उच्च कोटि का धन है। प्राणी मात्र के प्रति दया, करुणा व प्रेम के भाव रखने, राग-द्वेष का त्याग करने से जीवन में वास्तविक शांति मिलती है। अनादिकाल से पड़ी अशांति में जीने की आदत से श्रावक-श्राविकाओं को धार्मिक क्रियाओं में शांति नहीं मिलती।

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