पंच परमेष्ठी की स्तुति, वंदना के साथ पांच करोड़ नवकार जाप महाअनुष्ठान शुरू, सामूहिक जाप से प्रवचन पांडाल गूंजा

बीकानेर, 29 जुलाई। आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी आदि ठाणा 18, प्रवर्तिनी विचक्षणश्रीजी व चन्द्रप्रभाश्रीजी सुशिष्या विजय प्रभा व प्रभंजनाश्रीजी आदिठाणा 5 के सान्निध्य में सोमवार को सोमवार से 5 करोड़ नवकार जाप महा अनुष्ठान शुरू हुआ।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

आचार्य श्री ने पंच परमेष्ठी की स्तुति, वंदना के साथ जाप के लिए आध्यात्मिक व धार्मिक क्रियाओं से श्रावक-श्राविकाओं मन व आत्म शुद्धिकरण करवाया । आचार्य श्री के नेतृत्व में चतुर्विद संघ (साधु-साध्वी,श्रावक-श्राविकाओं) ने नवकार महामंत्र का सामूहिक जाप कर प्रवचन पंडाल को पंच परमेष्ठी मय बना दिया।

mmtc
pop ronak

आचार्यश्री ने कहा कि णमोकार मंत्र अनादि है। णमोकार मंत्र को नवकार मंत्र, नमस्कार मंत्र या पंच परमेष्ठी नमस्कार मंत्र भी कहा जाता है। इस मंत्र में अरिहंतों, सिद्धों, आचार्यों, उपाध्यायों और साधुओं को नमस्कार किया गया है। नवकार मंत्र के 9 पद है, 8 संपदा, 7 गुरु अक्षर है और 61 लघु अक्षर सहित कुल 68 अक्षर है। णमोकार मंत्र में णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, नमो उवज्जयाणम, नमो लोई सव्व साहूणं एसो पंच णमोक्कारो (ये पांच पूजाएं), सव्व पावप्पणासणो (सभी पापों का नाश करने वाले), पधामं हवै मंगलम (यह सर्वोत्तम कल्याणकारी) है। इस मंत्र का जाप द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव, आसन, विनय, मन, वचन व काय शुद्धि से करने से पापों का क्षय होता है तथा आत्मा के शुद्ध-प्रबुद्ध होती है।

khaosa image changed
CHHAJER GRAPHIS

मुनि सम्यक रत्न सागर ने कहा कि नवकार के एक अक्षर से सात सागरोपम यानि हाथी के वजन जितनी स्याही को पानी में घोलकर लिखने जितना), एक पद से पचास, सम्पूर्ण नवकार से पांच सौ सागरोपम के पाप नष्ट होते है। विधिपूर्वक जिनेश्वर भगवान की पूजा करके गुरु के बताए मार्ग पर चलते हुए श्रद्धा व विश्वास से एक लाख जाप करने वाली आत्मा तीर्थंकर नामक का बंध करती है। आठ करोड़ आठ लाख आठ हजार आठ सौ आठ नवकार जाप करने वाला तीसरे भव में मोक्ष प्राप्त करता है। जाप के दौरान माला भूमि पर, आसन पर, चरवला, अथवा मुंह पति नहीं रखनी चाहिए। जाप के समय माला हृदय के नजदीक, नाभि से ऊपर नाक के नीचे होनी चाहिए। नवकार जाप पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर करें।

श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा ने बताया कि बीकानेर में पहली बार होने वाले नवकार जाप महा अनुष्ठान के प्रति श्रावक-श्राविकाओं में श्रद्धा व भक्ति नजर आ रही है ।

खरतरगच्छ संघ के साथ अन्य गच्छ व समुदाय के जैन श्रावक-श्राविकाएं भी महाअनुष्ठान में बढ़कर चढ़कर हिस्सा ले रहे है। महा अनुष्ठान 17 अक्टूबर तक चलेगा। श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ व मंत्री मनीष नाहटा ने बताया कि जाप करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को आसन, माला व कार्ड दिया जा रहा है। प्रत्येक श्रावक -श्राविकाओं को प्रतिदिन नौ माला व्यक्तिगत या परिवार के सदस्यों को मिलकर गिननी होगी। अपरिहार्य परिस्थिति में जाप पूर्व पश्चात करके पूरा कर सकते है। नवकार जाप से पूर्णाहुति के समय 9 लक्की ड्रा निकाले जाएंगे व जाप करने वालों का अभिनंदन किया जाएगा। संघ पूजा का लाभ सुश्रावक जेठमल मैना देवी पारख परिवार ने लिया।

———————–

नियम व अनुशासन से मृत्यु योग कम होते है-मुनिश्री

बीकानेर, 29 जुलाई। जैन श्वेताम्बर तपागच्छ के मुनिश्री पुष्पेन्द्र विजय .ने सोमवार को रांगड़ी चौक की तपागच्छीय पौषधशाला में वंकचुल की कहानी के माध्यम से कहा कि जीवन में धर्म, नियम व अनुशासन से मृत्यु के योग कम होते है। देव, गुरु व धर्म के बताए नियम पर आड़िंग रहने से वंचचुल की मृत्यु योग टल गया था।

मुनिश्री श्रुतानंद विजय ने आचार्य हरिभद्र सूरी के समरादित्य कथा सूत्र के माध्यम से कहा कि योग्यता कितनी भी हो जब नीमित नहीं मिलता वह व्यक्ति आगे नहीं बढ पाता। गणधर गुरु गौतम स्वामी ने भगवान महावीर को नीमित रूप में प्राप्त कर स्वयं केवल्य ज्ञानी बन गए। गोशालक महावीर स्वामी के मिलने पर भी योग्यता के अभाव में अपना कल्याण नहीं कर सका।
————————————————–

bhikharam chandmal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *