रिश्तों की डोर, न हो कमजोर कार्यशाला का हुआ भव्य आयोजन
कोयंबतूर,4 अगस्त। तेरापंथ जैन भवन कोयंबतूर में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी जी के सुशिष्य मुनि श्री दीप की ठाणा 2 के सान्निध्य में रिश्तों की डोर, न हो कमजोर विषयक कार्यशाला का आयोजन श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा कोयम्बतूर द्वारा किया गया।
मुनि श्री दीप कुमार जी ने कहा सांसारिक दुनिया संबंधों की दुनिया है,वहां रिश्तों में मधुरता रहे ,रिश्तों की डोर कमजोर न हो, उसे प्रेम की डोरी से बांधे रखना जरूरी है।परिवार की ताकत प्रेम है। प्रेम है तो परिवार वास्तव में परिवार है। परिवार के प्रति आप जिम्मेवारी निभाते रहेंगे तो परिवार भी आपके प्रति जिम्मेवारी निभाता रहेगा। जरूरत है आपको अपना हाथ आगे बढ़ाने की। परिवार में जहाँ सास बहु प्रेम से रहते हैं, भाई भाई हिल मिलकर रहते हैं, बड़े बुजुर्गों का सम्मान करते है,देवरानी जेठानी बहनों जैसी रहती है,वह घर धरती का मानो जीता जागता स्वर्ग है।
मुनि श्री ने कहा कि घर का हर सदस्य संकल्प ले किसी का दिल नहीं दुखाएगा। बच्चों में अच्छे संस्कार अवश्य दें।बच्चों में अच्छे संस्कार से ही परिवार का भविष्य बनेगा। मुनि श्री ने परिवार के विविध रिश्तों के बारे में विस्तार से चर्चा की। मुनि श्री ने मानो उपस्थित जनता को अपने प्रवाह में बहा दिया।
मुनिश्री काव्य कुमारजी ने कहा- परिवार में सामंजस्य स्थापित करना बहुत बड़ी कला है। सामंजस्य के लिए विनम्रता का होना जरूरी होता है। अहंकार हर बात में आड़े आ जाता है।अहंकार के कारण विवाद पैदा होते हैं।जिस घर रूपी मंदिर में संस्कारों के दिए जलते हैं ,उस परिवार रूपी मंदिर में हमेशा खुशहाली का आलोक रहता है।इस अवसर पर स्थानीय समाज के श्रावक समाज ने बहुत उत्साह के साथ हिस्सा लिया।