कानून मंत्री के बेटे ने AAG पद से इस्तीफा क्यूं दिया
5 महीने पहले जोधपुर हाईकोर्ट में हुई थी नियुक्ति, कांग्रेस ने विधानसभा में किया था हंगामा
जोधपुर , 25 अगस्त। कानून मंत्री जोगाराम पटेल के बेटे मनीष पटेल ने अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) नियुक्त होने के 5 महीने बाद अपना इस्तीफा दे दिया है। विधि विभाग ने 12 मार्च 2024 को पटेल को मुख्य पीठ जोधपुर में एएजी के पद पर नियुक्ति दी थी।
मनीष पटेल समेत हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 6 अतिरिक्त महाधिवक्ताओं की नियुक्ति हुई थी। मनीष पटेल की नियुक्ति को लेकर विधानसभा में 5 अगस्त को हंगामा हुआ था। अब मनीष पटेल ने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसमें उन्होंने निजी कारणों का हवाला दिया है।
मनीष पटेल ने बताया- उन्होंने काफी दिन पहले ही सीएम भजनलाल को अपना इस्तीफा दे दिया था। यह सूचना अब बाहर आई है। मनीष ने बताया कि वह इस पद पर कम्फर्ट महसूस नहीं कर रहे थे। इसलिए उन्होंने सीएम के पास जाकर पद से इस्तीफा दे दिया।
जूली ने लिखा- क्या कोई राजनीतिक दबाव आया
कानून मंत्री के बेटे मनीष पटेल के एएजी के पद से इस्तीफा देने पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने X पर पोस्ट किया। जूली ने लिखा- राजस्थान सरकार के विधिमंत्री जोगाराम पटेल जिनके पुत्र मनीष पटेल को पहले तो गैर कानूनी तरीके से अतिरिक्त अधिवक्ता बनाया गया और जब इस बारे में हमारे द्वारा सवाल पूछा गया तो सरकार की तरफ से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया।
एएजी की 6-7 लाख रुपए महीने की इनकम
अतिरिक्त महाधिवक्ता की महीने की करीब 6 से 7 लाख रुपए की आमदनी होती है। उसे फिक्स वेतन के रूप में सवा लाख रुपए मिलते हैं। वही प्रति केस 5 हजार रुपए पैरवी के भी मिलते हैं। एएजी को एक दिन में अधिकतम 5 केसेज में पैरवी का भुगतान किया जा सकता है। ऐसे में प्रतिदिन 25 हजार रुपए पैरवी के फिक्स वेतन से अलग मिलते हैं।
वहीं हर नया केस पेश करने पर ड्राफ्टिंग के 5 हजार रुपए देय होते हैं। इसके अलावा हाईकोर्ट में चैंबर, स्टाफ और स्टेशनरी का पूरा खर्चा राज्य सरकार की ओर से वहन किया जाता है।
इनकी हुई थी नियुक्तियां
राज्य सरकार ने 12 मार्च को आदेश जारी करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ताओं की नियुक्ति की थी। एडवोकेट विज्ञान शाह और एडवोकेट संदीप तनेजा को जयपुर पीठ में एएजी नियुक्त किया गया था। वहीं मुख्य पीठ जोधपुर में एडवोकेट राजेश पंवार, महावीर विश्नोई और मनीष पटेल की एएजी के पद पर नियुक्ति की गई थी।
इसी तरह से सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट शिवमंगल शर्मा को अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया गया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट निधि जसवाल को एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड और सौरभ राजपाल, दिव्यांक पंवार, क्षितिज मित्तल और अनिशा रस्तोगी को पैनल लॉयर के रूप में नियुक्ति दी गई।
विधानसभा में कांग्रेस ने नियुक्ति पर उठाए थे सवाल
कानून मंत्री के बेटे को अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त पर कांग्रेस ने विधानसभा में सवाल उठाए थे। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक नियुक्ति बताते हुए हंगामा किया था। इसके चलते लाडनूं विधायक मुकेश भाकर को विधानसभा से 6 महीने के लिए निलंबित कर दिया गया था। इसके विरोध में कांग्रेस विधायकों ने रातभर विधानसभा में धरना भी दिया था।
मनीष पटेल ने अधिवक्ताओं के एक वाट्सएप ग्रुप में अपने इस्तीफे की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा सौंप दिया है। इस फैसले के पीछे कानून मंत्री के बेटे के खिलाफ वकीलों के बीच बढ़ती नाराजगी और संभावित विरोध के संकेत माने जा रहे हैं। वकील समूहों में चल रही चर्चा के मुताबिक, कुछ नाराज एडवोकेट्स ने प्रधानमंत्री मोदी तक अपनी बात पहुंचाने की योजना बनाई थी।
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पहले इस्तीफे की खबर ये संकेत देती है कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में कोई व्यवधान नहीं चाहती है।