विदेशी सेना में भारतीय मूल की कैप्टन, भारत-अमेरिकी सेना ने युद्धाभ्यास में दुश्मन का किया खात्मा
- महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में धमाकों की गूंज
बीकानेर , 20 सितम्बर। भारत-अमेरिका संयुक्त युद्धाभ्यास 2024 अपने अंतिम पड़ाव पर है। महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में गुरुवार से 72 घंटों का युद्ध शुरू हुआ था, जिसका शुक्रवार को दूसरा दिन है। आज दो चरण में काल्पनिक युद्ध हुआ।
b। जवानों ने दूर से ही अपना टारगेट सेट कर करीब 25 किमी दूर से निशाना साधा। एयरफोर्स के अपाचे, एलसीएच और थल सेना के हेलिकॉप्टर रुद्र से दुश्मनों पर हमला किया गया। दूसरे चरण में आतंकियों के ठिकानों को खत्म किया गया।
अमेरिकी सेना की हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम को तैनात किया गया। इस सिस्टम से लंबी दूरी तक सटीक हमला किया। काल्पनिक युद्ध के दौरान भारतीय और अमेरिकी सैनिकों ने लाइव-फायर ड्रिल्स और संयुक्त वायु अभियानों का भी प्रदर्शन किया। खास बात है कि अमेरिका के 600 जवानों में भारतीय मूल की कैप्टन दुर्रानी भी हैं। वह भारतीय जवानों से हिंदी में ही बात करती हैं।
हेलिकॉप्टरों से जवान एक जगह से दूसरी जगह गए
उन्नत लाइट हेलिकॉप्टर (एएलएच) और अपाचे एएच-64 हेलिकॉप्टरों के सहयोग से जवान एक से दूसरे स्थान पर पहुंचे। इन हेलिकॉप्टर के संचालन की ट्रेनिंग भी दोनों देशों के जवानों ने ली थी। इस दौरान पिनाका एमबीआरएल सहित कई हथियारों का उपयोग हो रहा है।
एयर फायरिंग से टारगेट को उड़ाया
काल्पनिक युद्ध में टारगेट को फिक्स कर पिनाका से करीब 25 किलोमीटर दूर चिड़ासर से हमले किया गया। पिनाका आर्टरी की क्षमता 40 किलोमीटर तक है। आज इसे महज 25 किलोमीटर तक रखा गया।
पैदल जवान टारगेट तक पहुंचे, तब तक फायरिंग रही जारी
युद्ध के दौरान जब तक इन्फेंट्री यानी पैदल जवान टारगेट तक नहीं आए, तब तक फायरिंग चलती रही। आधा किलोमीटर की दूरी तय करने तक दो गाड़ियों से भारतीय और अमेरिकी जवान फायरिंग करते रहे।
अमेरिकी हॉवित्जर तोप से साधे निशाने
भारत-अमेरिका सेना के जवानों ने मिलकर अपने-अपने हथियारों की मारक क्षमता का प्रदर्शन किया। अभ्यास के दौरान यूएस एम-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर तोपों ने भारतीय तोपखाने की यूनिट्स के साथ मिलकर प्रैक्टिस की है। एक्यूरेसी के साथ हॉवित्जर ने इस काल्पनिक युद्ध में सटीक निशाने साधे। हॉवित्जर के हमलों ने पूरे महाजन फील्ड फायरिंग रेंज को हिला दिया।
आग में से होकर निकले जवान
युद्धाभ्यास के दौरान आग को पार करके दुश्मन के ठिकानों तक पहुंचने का भी प्रशिक्षण दिया गया। युद्धाभ्यास के अंतिम चरण में ऐसे दृश्य भी नजर आए, जब जवानों ने आग से होकर दुश्मन के ठिकानों पर निशाना साधा। इसके अलावा घायल होने वाले जवानों को मेडिकल सेवा देने और इन जवानों को हवाई सेवा से अन्यत्र ले जाने के दृश्य भी नजर आए।
अभ्यास के अंतिम क्षणों में युद्ध जैसे दृश्य नजर आए। जब दोनों देशों के हथियारों का भरपूर उपयोग हुआ। अमेरिकी हॉवित्जर के हमलों से दूर लगे टारगेट उड़ा दिए ग्ए। वहीं हाई मोबिलिटी रॉकेट से कई सौ किलोमीटर दूर पर लगे टारगेट भी नष्ट किए गए।
अमेरिका की सेना में भारतीय मूल की कैप्टन
युद्धाभ्यास के दौरान अमेरिकी सेना में कैप्टन दुर्रानी आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। अमेरिकी जवान इंग्लिश में बात करते नजर आते हैं, लेकिन दुर्रानी भारतीय जवानों से हिंदी में बात करती है।
कैप्टन दुर्रानी ने मीडिया को बताया- उनके दादा भारतीय थल सेना की पंजाब रेजिमेंट में ऑफिसर रहे हैं। वह अपने घर में हमेशा हिंदी बोलते हैं। उनके परिवार के अन्य सदस्य भी हिंदी में ही बात करते हैं। दुर्रानी को मलाल है कि वह युद्धाभ्यास के बीच अपने परिजनों से मिलने लखनऊ नहीं जा सकी। हालांकि उन्होंने नई दिल्ली में अपने मामा से मुलाकात की।
दोनों सेना ने फील्ड इंजीनियरिंग पर भी किया काम
पूरे अभ्यास के दौरान भारत की राजपूत रेजिमेंट और अमेरिका की अलास्का में तैनात एयरबोन विंग के जवान बड़े हथियारों के संचालन की ट्रेनिंग ले चुके हैं। इसके अलावा सैन्य इंजीनियरों ने युद्ध के दौरान फील्ड इंजीनियरिंग पर भी काम किया है। युद्ध में जवान को किस तरह स्वयं को बचाते हुए दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त करना है, इसकी ट्रेनिंग दी गई।
युद्धाभ्यास का कल होगा समापन
युद्धाभ्यास 9 सितंबर को शुरू हुआ था और 21 सितंबर को समाप्त होने वाला है। शुरुआती कुछ दिनों में कमांड पोस्ट सेशन हुए, जिसमें जवानों को शांति काल में आतंकी गतिविधियों से निपटने के अभियानों की जानकारी दी गई थी।