वसुंधरा राजे बनेंगी BJP की राष्ट्रीय अध्यक्ष ? पद – मद-कद को लेकर दिया बड़ा बयान

नयी दिल्ली , 29 सितम्बर।सूत्रों की मानें तो बीजेपी के नए अध्यक्ष के लिए वसुंधरा राजे, संजय जोशी और शिवराज सिंह चौहान का नाम सामने आया है. इसमें आरएसएस वसुंधरा राजे के नाम को सबसे बेहतर मान रही है.
भारतीय जनता पार्टी अक्सर चौंकाने वाले फैसले लेने के लिए जानी जाती है. चाहे किसी राज्य में सीएम का चयन हो या फिर पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी हो, इन सबमें पार्टी आलाकमान ने कई बार मास्टरस्ट्रोक खेलकर विपक्ष को पटखनी दी है. एक बार फिर बीजेपी बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेलने की तैयारी में है. सूत्रों की मानें तो पार्टी आलाकमान इस बार राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकती है. चर्चा है कि जल्द ही इसकी घोषणा हो सकती है.

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सूत्रों का ये भी कहना है कि वसुंधरा राजे के अलावा संघ की तरफ से संजय जोशी का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए रखा गया था. इन सबके अलावा ये भी चर्चा है कि पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने शिवराज सिंह चौहान का नाम आगे करके मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. हालांकि, संघ भी वसुंधरा राजे के नाम को सबसे बेहतर मान रहा है. अभी अंतिम फैसला लेना बाकी है, लेकिन वसुंधरा राजे को सोशल मीडिया पर अभी से ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की अग्रिम बधाइयां मिलने लगी हैं.

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वसुंधरा की अध्यक्ष बनने की अटकलें
वसुंधरा राजे सिंधिया फिलहाल में बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की अटकलें अचानक से चर्चा का विषय बन गई हैं. सवाल उठता है कि क्या उपाध्यक्ष से अध्यक्ष की कुर्सी तक का सफर इतना आसान है? अगर वसुंधरा को अध्यक्ष बनाया जाता है, तो वह बीजेपी की पहली महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगी. हालांकि वह पहले भी कई ऐतिहासिक पदों पर रह चुकी हैं, जैसे कि वह राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और दो बार इस पद पर काबिज हो चुकी हैं.

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संघ और पार्टी के समीकरण
वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही कहते हैं कि अगर वसुंधरा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है, तो इसके पीछे संघ(RSS) की भी अहम भूमिका हो सकती है. RSS चाहता है कि नया अध्यक्ष संघ निष्ठ हो और पार्टी को विचारधारा के स्तर पर मजबूत बनाए. संघ को एक ऐसे नेता की तलाश है, जो सरकार चलाने और प्रशासनिक कार्यों का अनुभव रखता हो. इसके अलावा संघ को ऐसा नेता चाहिए जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘भक्त’ न हो, बल्कि एक बैलेंस दृष्टिकोण रखता हो. अब सवला उठता है कि क्या वसुंधरा इन अपेक्षाओं पर खरी उतरती हैं?

वसुंधरा का एक्सपीरियंस और मोदी से मतभेद
वसुंधरा राजे का राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव काफी लंबा रहा है. वह दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. इसके अलावा वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं. वसुंधरा राजे विदेशी मामलों के साथ-साथ संगठन चलाने का भी अनुभव रखती हैं. इसके बावजूद, वसुंधरा और प्रधानमंत्री मोदी के बीच मतभेद की खबरें भी लंबे समय से चलती रही हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद वसुंधरा ने कहा था कि यह जीत पूरे नेतृत्व की है, जबकि हर कोई इसे मोदी की व्यक्तिगत जीत मान रहा था. इस बयान के बाद से नरेंद्र मोदी और वसुंधरा राजे के बीच दूरी बढ़ने की खबरें आने लगीं.

RSS की बैठक में वसुंधरा राजे के नाम पर चर्चा
मीडिया के अनुसार संघ की बैठक में महिला नेतृत्व पर चर्चा हुई और यह सवाल उठा कि बीजेपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष कभी कोई महिला क्यों नहीं रही? इस संदर्भ में वसुंधरा का नाम सामने आया. राजस्थान में उनकी लोकप्रियता और उनका राजनीतिक अनुभव उनके पक्ष में जाते हैं, लेकिन क्या RSS और पार्टी के अन्य नेताओं के बीच इस पर आम सहमति बन पाएगी?

वसुंधरा राजे के बीजेपी अध्यक्ष बनने की अटकलें भले ही चर्चा में हैं, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि संघ और पार्टी हाईकमान इस पर क्या फैसला लेते हैं ? वसुंधरा का नाम इसलिए भी योग्य है क्योंकि वह बीजेपी की कुछ प्रमुख महिला नेताओं में से एक हैं. हालांकि, यह भी सवाल है कि क्या यह महज एक अफवाह है या इसके पीछे कुछ ठोस विचार-विमर्श हो रहा है. अब यह देखना बाकी है कि वसुंधरा को बीजेपी की कमान सौंपी जाती है या नहीं.

 

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