मानवता की सेवा करने से ही जीवन सफल – मौलाना मोहम्मद उस्मान लुधियानवी
बीकानेर, 15 अक्टूबर। पंजाब राज्य के शाही इमाम व लुधियाना मस्जिद के मौलवी मोहम्मद उस्मान साहब ने मुस्लिम समुदाय बीकानेर की और से आयोजित कौमी एकता कॉन्फ्रेंस में हसनैन पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट में कहा की मानवता की सेवा करने से ही जीवन सफल हो सकता है ।
फतेह मक्का के समय जब पैगंबर मोहम्मद सल्ल. की ओर से सभी दुश्मनों को जब सामूहिक रूप से क्षमा याचना दी गई वह इतिहास में प्रत्यक्ष उदाहरण है । जवानी, दौलत, सियासत व शिक्षा का नशा जब सिर चढ़कर बोलता है, तब अधिकांश लोग इंसानों पर जुल्म करने लगते हैं, जबकि इस्लाम धर्म दुश्मनों को भी माफ करने की तालीम देता है।
पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्ल. व सभी धर्म की ईश्वरीय दूतों का उदाहरण देते हुए आपने कहा कि रसूल इस संसार में रहमत यानी परोपकारी बनकर आम जन को सही दिशा देने के लिए तशरीफ़ लाये और एक ईश्वर अर्थात अल्लाह की उपासना पर बल दिया । मौलवी उस्मान लुधियानवी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि पैगंबर साहब के जन्म से पूर्व दास प्रथा और लड़कियों को पैदा होते ही जिंदा दफन करने का रिवाज था, इस्लाम ने ऐसी प्रथाओं पर अंकुश लगाया एवं महिलाओं को कई अधिकार दिए । हमें भी चाहिए कि हम भी महिलाओं वह लड़कियों की इज्जत करें , क्योंकि बेटी सिर्फ बेटी होती है चाहे वह किसी भी जाति, समुदाय,नस्ल व धर्म की हो ।
लुधयानवी साहब ने कहा कि आज भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमान नमाज, रोजा, जकात, हज सभी अदा करते हैं लेकिन हमारा चाल चलन व चरित्र इस्लामी दृष्टिकोण के अनुसार सही नहीं है। लोगो के साथ भेदभाव व लोगो के साथ अन्याय करके हम खुद को तो राजी कर सकते है लेकिन अल्लाह को खुश नही रख सकते । हमें मोहम्मद साहब की जीवनी को पढ़कर उसे अपने जीवन में लागू करने की कोशिश करनी चाहिए । आपने कहा कि मस्जिद केवल नमाज पढ़ने का स्थान नहीं मस्जिदों से सभी धर्म के जरूरतमंद लोगों की मदद करने की जो शिक्षाएं इस्लाम में बताई गई है, उसे पर हमें धरातल पर काम करना होगा ।
मस्जिदों का वास्तविक अर्थ आपसी भेदभाव खत्म करना है इस्लामी इतिहास में मस्जिदों के अंदर गरीब और अमीर का भेदभाव नहीं देखा जाता । लेकिन आज हम लोग जरूरत के हिसाब से लोगों का इस्तेमाल करते हैं, जो की सही नहीं है । इससे पूर्व होटल रॉयल इन में नगर के सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल रऊफ राठौड़ से मौलवी साहब ने लंबी बात की। और कई सवालों के जवाब दिए । एक सवाल का जवाब देते हुए आपने कहा अधिकांश भारत के मौलवी व इस्लामी विद्वान अरबी और उर्दू भाषा का आमजन में इस्तेमाल करते हैं ,जबकि हमें वहां की स्थानीय भाषा में इस्लाम की बात को सरलता से रखना चाहिए। ताकि आमजन इसे आसानी से समझ सके । एक अन्य सवाल के जवाब में आपने कहा हमें सभी धर्मो का आदर करना चाहिए ।अगर हमारे परिचित व पड़ोसी चाहे वह किसी भी जाति में मजहब का हो उनकी हमें हर संभव मदद करनी चाहिए ।
मौलवी साहब ने चुटकी लेते हुए कहा कि हम मुसलमान लोग माहे रमजान में इफ्तार के वक्त बेहतरीन खाने का इंतजाम करते हैं, जबकि हमारे रिश्तेदार भाई बहन व पड़ोसी की हम ईद पर भी मदद नहीं कर पाते । हमें चाहिए कि हम लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार आमजन की मदद करने के लिए आगे आए ।इसे पूर्व पंजाब सरकार द्वारा विशेष सुरक्षा प्रदान आपका काफिला गंगानगर बाईपास पहुंचा जहां से सैकड़ो युवा शेरे पंजाब के नारे लगाते हुए रानी बाजार स्थित रॉयल इन होटल में स्वागत कार्यक्रम में पहुंचे ।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए मौलवी मोहम्मद फारूक ने उस्मान लुधियानवी साहब के परिवार का आजादी के आंदोलन में योगदान का जिक्र करते हुए बताया कि आपका परिवार भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, महात्मा गांधी सहित कई स्वतंत्रता सेनानियों के साथ आजादी आंदोलन में आपकी सक्रिय भागीदारी रही । स्वतंत्रता आंदोलन में आपके पूर्वजों को इसके लिए कई बार जेल भी जाना पड़ा ।
कार्यक्रम प्रभारी नवाज़ शरीफ़ ने बताया इस आयोजन में लगभग चार हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई व साजिद राठौड़ की ओर से महिलाओं, बच्चों के लिए लाइव प्रसारण का कार्यक्रम भी रखा गया।। कार्यक्रम में अब्दुल मजीद खोखर ,मोहम्मद इकबाल समेजा, मोहम्मद हारून राठौड़, अनवर अली एडवोकेट,मोहम्मद गुफरान , मौलवी मोहम्मद इरशाद कासमी ,हाफिज मोहम्मद शाहिद ,हाजी मकसूद अहमद ,गुलाम मुस्तफा बाबू भाई, मोहम्मद यूसुफ खाती, मोहम्मद शरीफ समेजा ,अकबर अली खादी, सहित मुस्लिम समाज के सभी पार्षदगण व सभी इस्लामी विद्वान एवं मस्जिदों के मौलवी साहब और सामाजिक संस्थाओं व आमजन की सक्रिय भागीदारी रही ।