गुजरात में डिजिटल अरेस्ट करने वाला रैकेट बेनकाब-रोज 10 करोड़ की ठगी का टारगेट

  • 5000 करोड़ चीन-ताइवान भेजे; देशभर में इनके खिलाफ 450 केस

अहमदाबाद , 16 अक्टूबर। देश भर में ‘डिजिटल अरेस्ट’ रैकेट चलाने वाले नेटवर्क का पर्दाफाश कर अहमदाबाद पुलिस ने सोमवार को 18 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनसे पूछताछ में कई खुलासे हुए हैं। गैंग ने ठगी के 5 हजार करोड़ रु. चीन व ताइवान भेजे हैं।

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गैंग ठगी के लिए गेमिंग ऐप, शेयर बाजार इन्वेस्टमेंट और डिजिटल अरेस्ट जैसी तरकीबें अपनाता है। आरोपियों में 4 ताइवानी नागरिक हैं, बाकी 14 अहमदाबाद-वडोदरा सहित गुजरात के हैं। देश में इस गैंग के पर करीब 450 केस दर्ज हैं।

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आरोपी CBI और साइबर क्राइम अधिकारी बन टारगेट पूरे करते थे। गैंग के गुर्गे हर दिन करीब 1.5 करोड़ रु. ताइवान भेजते थे। हालांकि, माफिया ने रोज 10 करोड़ भेजने का टारगेट दिया था।

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गैंग के ठिकानों से 761 सिम कार्ड, 120 मोबाइल, 96 चेकबुक, 92 डेबिट कार्ड और 42 बैंक पासबुक आदि चीजें भी बरामद हुई हैं। अहमदाबाद के पॉश इलाके के एक बुजुर्ग दंपती को इस गैंग ने 10 दिन डिजिटल अरेस्ट रखकर 79.34 लाख ऐंठ लिए थे।

इस मामले की जांच में परतें खुलती गईं। ताइवान गैंग के गुर्गे टूरिस्ट वीसा पर 2 बार भारत भी आए।

पहली बार डार्क रूम पकड़ने में सफलता मिली है डिजिटल ठगी के लिए ताइवान और चीन के माफिया सक्रिय होने का खुलासा हुआ है। देशभर में लोगों को ठगने के लिए इन माफिया ने वडोदरा-दिल्ली-मुंबई-बेंगलुरु में 4 डार्क रूम बनाए थे। जहां से मोबाइल से नेट बैंकिंग की मदद से चंद सेकंड में ठगी का पैसा चीन-ताइवान और दुबई भेजा जाता था। ऐसा पहली बार है, जब साइबर पुलिस को कोई डार्क-रूम पकड़ने में सफलता मिली है।

ताइवान में वॉलेट से रु. निकालते थे, गूगल शीट में लेखा-जोखा मिला, उससे पोल खुली गुजरात पुलिस को गैंग की एक गूगलशीट हाथ लगी। इसमें लेखा-जोखा मिला है। इसी से दिल्ली-बेंगलुरु, मुंबई होटल में ठहरने-टैक्सी-खाने के बिल सहित हिसाब-किताब मिले। इससे सुराग मिला कि ताइवान माफिया गैंग के गुर्गे भारत आते हैं।

गैंग 6 यूनिट बनाकर ठगी कर रहा था। ये अलग-अलग यूनिट प्री-पेड सिम कार्ड, बैंक एकाउंट खुलवाना, डार्कवेब एवं पब्लिक डोमेन से लोगों की जानकारी जुटाना, एक्सपर्ट टीम, टेक्निकल टीम और कॉल सेंटर के लिए भर्ती का काम करती थीं।

दिल्ली का सैफ हैदर देश में रैकेट हैंडल कर रहा ​था यह रैकेट दिल्ली का सैफ हैदर चला रहा था। पुलिस को लीलेश-जयेश से जानकारी मिली थी। दो ताइवानी नागरिक, वांग चुन वेई और शेन वेई, बेंगलुरु में डॉर्करूम चला रहे थे। मुख्य सूत्रधार, ची संग उर्फ मॉर्क और चांग हाव यून, ने 10 अक्टूबर को दिल्ली में ताज होटल में ठहरकर लैपटॉप खोला, तब साइबर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

ठगी करने के लिए विदेश में नौकरी का झांसा देते थे ताइवान-चीन के माफिया गुजरात के लोगों से ठगी करने के लिए नौकरी का जाल बिछाते थे। झांसे में आए युवाओं को मालदीव व वियतनाम में नौकरी देने का वादा करके फिलीपींस से कंबोडिया होते हुए ले जाते थे, जहां पासपोर्ट छीन कर कॉल सेंटर में जबरन नौकरी करवाते थे। 3 माह बाद पासपोर्ट देकर वापस रवाना कर देते ​थे।

 

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