शरद संगत की दूसरी कड़ी में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुआ

बीकानेर , 17 अक्टूबर। शरद पूर्णिमा पर दमकते चाँद की रोशनी तले आध्यात्मिक ब्रह्म बगीचा परिसर में शिवशक्ति साधना पीठ द्वारा आयोजित दक्ष के शरद संगत की दूसरी कड़ी के रूप में सांस्कृतिक सरिता की कलकल में सैकड़ों श्रोताओं ने स्वयं को सारोबार किया। अवसर था शरद पूर्णिमा की रात बीकानेर के पहचान स्वरुपी सांस्कृतिक कार्यक्रम का और इसके आयोजकों में शिवशक्ति साधना पीठ, शशांक शेखर जोशी, ज्योतिप्रकाश रंगा, दक्ष परिवार, रोटरी बीकानेर रॉयल्स, एकलव्य आर्चरी एकेडमी और अनिल जोशी आदि शामिल थे।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

शाम साढ़े सात बजे शुरू हुए कार्यक्रम का आगाज राजनारायण पुरोहित द्वारा ‘गणेश वंदना, सरस्वती वंदना और तुम गगन के चन्द्रमा हो’ गीतों से हुआ। वहीं बीकानेर के श्रोताओं में अपनी पैठ बना चुके युवा गीतकार गोपाल पुरोहित के प्रसिद्ध गीत ‘एक ख़त निकला है फिर दराज से बाहर’ पर श्रोतागण न केवल झूम उठे बल्कि वंस मोर की पेशकश से पूरा प्रांगण गूँजायमान हो उठा।

mmtc
pop ronak

नवाचार की कड़ी में युवा गायक रवि मोहता और उनकी टीम ने वोकल्स और विभिन्न इंस्ट्रूमेंट्स के साथ 70-80 के दशक के गीतों का मैशअप प्रस्तुत कर उपस्थित अपार जानसमूह को एक साथ झूमने पर मजबूर कर दिया। बांसुरी वादक बसंत ओझा की एकल प्रस्तुति की मीठी स्वर लहरियों ने इस धवल कांति में श्रोताओं को दैवीय अनुभूति करवाने में कोई कसर बाकी न रखी।

khaosa image changed
CHHAJER GRAPHIS

बीकानेर के मौजीज गीतकार एवं कवि संजय आचार्य ‘वरुण’ की प्रस्तुति में श्रोताओं ने एक सुखद एहसास को प्राप्त किया जब उन्होंने अपना गीत ‘तुमने बांधा आवाजों को’ सुनाया। हास्य कवि कैलाश टाक की प्रस्तुति ने पूरे प्रांगण को ठहाकों से भर दिया जब उन्होंने अपनी कविता ‘तू बता कियां करां ऐश’ सुनाई। राजस्थानी के युवा एवं जनप्रिय रचनाकार विप्लव व्यास की लोकप्रिय रचना ‘रैई पीड़ री पीड़’ को दर्शकों की खूब दाद मिली। राजाराम स्वर्णकार ने जहां शरद पूर्णिमा पर अपनी कविता को विस्तार दिया वहीं अपनी राजस्थानी कविता ‘पंचलड़ी त्योंहार’ से दर्शकों को आनंदित किया।

वरिष्ठ कवि एवं गीतकार जुगल पुरोहित की कविता ‘पूनम की रातों’ ने शरद पूर्णिमा के संदर्भ को दर्शकों के सामने भावों के साथ प्रस्तुत किया।अब्दुल शकूर सिसोदिया ने भी अपने गीतों और कविताओं से दर्शकों को आनंदित किया। डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने भी अपनी प्रमुख राजस्थानी रचनाएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम में रातभर राज नारायण पुरोहित और उनकी टीम के रूप में तबला वादक ठाकुर जी, ऑर्गन पर उपेंद्र व्यास तथा बांसुरी पर बसंत ओझा ने दर्शकों को गज़लों, गीतों और ठुमरीयों की सरिता में बहाये रखा। राजनारायण एंड टीम के दो गीत ‘दिल हूम हूम करे और ओ गंगा तुम बहती हो क्यूं’ ने इस कार्यक्रम में और अधिक रोमांच भर दिया।

कार्यक्रम के दौरान सभी प्रस्तुतकर्ताओं एवं दर्शकों के लिए पारंपरिक तौर पर खीर के प्रसाद का आयोजन भी किया गया था। सभी कलाकारों को भगवान बांके बिहारी के अंग वस्त्र, कलम तथा आकाशवाणी के दिवंगत उद्घोषक एवं बीकानेर के सर्वप्रिय कलाकार स्वर्गीय चंचल हर्ष की पुस्तक ‘भावों की सरिता’ भेंट स्वरूप प्रदान की गई। शुरुआत से अंत तक कार्यक्रम में बने रहने वाले दर्शकों का भी आयोजन मंडली द्वारा सम्मान किया गया।

रोटरी बीकानेर रॉयल्स के सचिव सुनील चमड़िया का उनके इस कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु सहयोग के लिए सम्मान किया गया। कार्यक्रम के सारथी के रूप में बीकानेर के प्रतिभावान मंच संचालक ज्योति प्रकाश रंगा ने जहां सबको अपनी वाणी के सम्मोहन में बांधे रखा वहीं कवि कथाकार राजेंद्र जोशी ने इस कार्यक्रम को नवाचार और परंपरा के एक सेतु के रूप में परिभाषित करते हुए इस तरह के कार्यक्रमों की महत्ता पर जोर दिया।

शरद पूर्णिमा के इस कार्यक्रम की परिकल्पना करने वाले शशांक शेखर जोशी ने सभी कलाकारों और आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया तथा दर्शकों की मांग पर अपनी चुनिंदा राजस्थानी कविताएं भी प्रस्तुत की। साथ ही आयोजन टीम ने यह वादा भी किया कि अगले साल फिर शरद पूर्णिमा पर इस कार्यक्रम की तीसरी कड़ी लेकर हम बीकानेर के दर्शकों के सामने अवश्य प्रस्तुत होंगे।

इस कार्यक्रम में बीकानेर के चिकित्सा, उद्योग, कला, वाणिज्य, खेल, पत्रकारिता, प्रशासन, राजनीति, शिक्षा आदि क्षेत्रों के प्रमुख हस्ताक्षरों के साथ-साथ युवाओं तथा विद्यार्थियों ने भी अपनी जबरदस्त उपस्थिति दर्ज कराई और सभी के सभी इस सांस्कृतिक रात्रि के साक्षी बनाकर स्वयं को अभिभूत एवं आनंदित महसूस कर रहे थे।

 

bhikharam chandmal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *