दीपावली व भगवान महावीर के निर्वाण कल्याणक पर विशेष व्याख्यानमाला शुरू
- एक नवम्बर भगवान का निर्वाण कल्याणक, 2 को होगा गौतम रास का वाचन
बीकानेर, 24 अक्टूबर। जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी महाराज के सानिध्य में गुरुवार को ढढ्ढा चौक के प्रवचन पंडाल में दीपावली व भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस पर उत्तराध्ययन सूत्र की विशेष व्याख्यान माला शुरू हुई। जैनाचार्य के सान्निध्य में दीपावली पर्व व भगवान महावीर के निर्वाण कल्याणक पर जप,तप की साधना होगी। भगवान महावीर का निर्वाण कल्याणक एक नवम्बर शुक्रवार को मनाया जाएगा तथा 2 नवम्बर को निर्वाण लड्डू चढ़ाया जाएगा।
जैनाचार्य श्री ने धर्म चर्चा में बताया कि भगवान महावीर स्वामी (वर्तमान अवसर्पिणी काल के अंतिम तीर्थंकर) को चर्तुदशी के प्रत्युष काल में मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। चर्तुदशी का अंतिम पहर होता है इसलिए जैन श्रावक-श्राविकाएं दीपावली अमावस्या को मनाते है। उन्होंने बताया कि उतराध्ययन सूत्र में भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के कुछ समय पहले दिए गए उपदेश संग्रहित है। इसको भगवान महावीर स्वामी की अंतिम वाणी, संदेश या देशना कहते है।
बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर ने राम चर्चा में कहा कि दीपावली पर्व के दिनों में भगवान महावीर की वाणी को उत्तराध्ययन सूत्र के माध्यम से पांच महाव्रत धारी मुनि व साध्वी वृंद से सुनने पर पापों का क्षय व पुण्यों का उदय होता है। उन्होंने चक्षु दर्शनावरणीय कर्म पर विशेष व्याख्यान में कहा कि आत्मा ही अपने कर्म की कर्ता व भोक्ता है। अटल व शाश्वत नियम है कि कर्मों का क्षय नहीं करने पर उनका परिणाम भुगतना पड़ता है । सभी क्रियाकलाप कर्मसत्ता करती है।
जैन दर्शन व संदेश सार्वभौमिक है, जीव मात्र के कल्याण के लिए है। उन्होंने कहा कि चक्षु दर्शनावरणीय कर्म के उदय होने उदय होने पर इससे नेत्र संबंधी अनेक विकार होते है। देव,गुरु व धर्म अंतर चक्षु को खोलते है तथा सन्मार्ग दिखाते है।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ व मंत्री मनीष नाहटा ने बताया कि मुनि संवेग रतन सागर महाराज ने दीपावली पर्व व भगवान महावीर के निर्वाण कल्याणक पर्व पर उत्तराध्ययन सूत्र का विशेष व्याख्यान दिया तथा मंगल पाठ सुनाया।