तेरापंथ भवन में सामूहिक खमत खामणा एवं तप अभिनन्दन समारोह का भव्य आयोजन हुआ

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जैन महासभा द्वारा 133 तपस्वियों का तप अभिनन्दन एवं बहुमान

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बीकानेर ,1 अक्टूबर । अलग अलग दिन सम्वत्सरी मनाने वाले लोग सामूहिक रूप से क्षमायाचना करते हैं, यह इस युग की अच्छाई का प्रतीक है। यह बात साध्वी श्री शशि रेखा जी ने तेरापंथ भवन में जैन महासभा द्वारा आयोजित समग्र जैन समाज के सामूहिक क्षमतक्षामना एवं तप अभिनन्दन समारोह को सम्बोधित करते हुए कही।उन्होंने कहा कि क्षमा मित्रता की मंगल ध्वनि है। मैत्री के लिए चाहिए नम्रता एवं उदारता। खमत खामणा की प्रक्रिया बताते हुए साध्वीश्री ने कहा कि मन की मलिनता, वाणी की वक्रता और काया की कुटिलता त्यागें।साध्वी श्री ने कहा की तपस्या का क्रम तीर्थंकरों से लेकर अभी तक चल रहा है। तपस्वियों का अभिनन्दन व अनुमोदना करना बहु बड़ी बात है। उन्होंने ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी ने संवत्सरी को एक ही दिन करने के लिए मिठाई का त्याग कर दिया था।

समारोह को संबोधित करते हुए शांत क्रांति संघ बीकानेर से पधारी साध्वी श्री साधना श्री जी ने कहा कि भगवान महावीर का संदेश है कि हमें उन व्यक्तियों से क्षमा मांगनी चाहिए जिनसे हमारा वैर विरोध हो परन्तु हम उन लोगों से क्षमा मांग लेते है जिनसे हमारा कोई वैर विरोध नही होता, यह सही मायने में क्षमायाचना नही होती है। उन्होंने कहा की क्षमा से मैत्री भाव का विकास होता है। किसी भी जीव के प्रति मन में शत्रुता का भाव न रखें। चाहे एकेन्द्रिय से लेकर पन्चेन्द्रिय कोई भी जीव हो।
अरिहंतमार्गी जैन श्रावक संघ की साध्वी श्री अनुपम श्री जी ने कहा कि जैन एकता के लिए और अधिक प्रयास करने व प्रमोद भावना बढ़ाने की आवश्यकता है। साध्वी श्री जी ने कहा कि हम सभी एक दूसरे के अच्छे कार्यों को देखें व कमियों को सुधारने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि विश्व के सभी प्राणी हमारे मित्र है। प्यार दिमाग से नहीं दिल से करें। सास बहु के रिश्तों पर अपने सन्देश में कहा की जिसकी कोख में मेरा सुहाग पला वह मेरे लिए भगवान है , यह भावना बहु में होगी तो सास – बहु के रिश्ते में दिल से प्यार होगा।

तेरापंथ समाज की साध्वी श्री ललितकला जी ने कहा कि हम दूसरों को अन्तर्मन से क्षमा प्रदान करें। ऐसा कोई अवसर न आये कि हमारे मन में दूसरों के प्रति दुर्भावना आए। उन्होंने कहा कि क्षमत क्षामना से पारिवारिक सामंजस्य बढता है तथा जीवन को बदलने की प्रक्रिया प्रारम्भ होती। साध्वीश्री ने कहा कि क्षमायाचना के दिन भीतर के कांटो को बाहर निकाल देना चाहिए। यह कलुषिता धोने का दिन होता है।यही उत्तम क्षमा है। उन्होंने एक प्रसंग से बताया की संथारा से मृत्यु को प्राप्त करने वाला व्यक्ति अगर किसी के प्रति मन में क्रोध व वैर रखे हुए जाता है तो उसको त्रियंच गति में जन्म लेना पड़ता है। साध्वीश्री जी ने कहा कि जैन महासभा के 21 व्यंजन अभियान को पुरे समाज में लागू करने की आवश्यकता है। पेट को कूड़ादान ना बनाएं। बीमारियों से बचने के लिए खाने में संयम करें।
साध्वीश्री कांत प्रभा एवं योगप्रभा जी ने गितिका के माध्यम से अपने भाव व्यक्त किये।


मुनिश्री चैतन्य कुमार अमन ने कहा कि क्षमा शब्द में शक्ति है। इसके प्रभाव को प्रत्यक्ष देखा जा सकता है। क्षमा वीरों का आभूषण है। क्षमापना का दिन अपने आपको देखने का दिन होता है। उन्होंने कहा कि क्षमा की अराधना करने वालों पर क्रोध का जहर नहीं चढता। मुनिश्री ने कहा कि क्षमा वह चिकित्सा पद्धति है जिससे सम्पूर्ण जीवन का कायाकल्प हो सकता है।


जैन महासभा के प्रथम अध्यक्ष विजय कोचर ने इस अवसर पर कहा कि क्षमत क्षामना समारोह की सार्थकता तभी है जब हम न की गांठे खोलें। दूसरे क्या कर रहें है, यह ख्याल रहता है परन्तु हम क्या कर रहे है यह ख्याल नहीं रहता है। उन्होंने जैन महासभा की गतिविधियों के बारे में बताते हुए कहा कि विनोद जी बाफणा ने अध्यक्ष बनते ही शिव वैली में जैन महासभा का नया कार्यालय बनाकर शुभारम्भ कर दिया है। इस वर्ष जरूरतमंद बच्चों के फीस के लिए सहयोग राशि 39 लाख रुपयों की भराये जाने की व्यवस्था की गयी है जो एक नया रेकार्ड है। कोचर ने समाज के हर व्यक्ति से कहा की अपनी आय का कुछ हिस्सा समाज सेवा में लगाए। उन्होंने प्रतिभा सम्मान समारोह इस वर्ष आयोजित करने तथा वर्षीतप करने वाले तपस्वियों का अभिनन्दन समारोह आयोजित करने की योजना बताई।

जैन महासभा के अध्यक्ष विनोद बाफना ने कहा कि जिन व्यक्तियों के साथ राग-द्वेष होता है उनसे क्षमायाचना अवश्य करें। उन्होंने कहा कि क्षमा याचना का दिन मैत्री का यह संदेश देता है कि कदम से कदम मिलाकर चलो। बाफना ने कहा कि तप जीवन का श्रृंगार है, यह कर्म निर्जरा की जीवन की उत्कृष्ट स्थिति है। बाफना ने सभी चारित्रात्माओं का व समाज के सभी घटकों व सम्पूर्ण समाज व तपस्वियों का स्वागत करते हुए सभी से खमत खामणा किया।

समारोह को सम्बोधित करते हुए निवर्तमान अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि जैन संस्कृति के अवदानों को दुनिया अपना रही है, हमें अपनी संस्कृति व संस्कारों के प्रति जागरूक होना चाहिए। जैन महासभा के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि जीवन में हमें क्षमा, सहनशीलता व ऋजुता का विकास करना चाहिए। छाजेड़ ने सभी से खमत खामना किया। उन्होंने समाज में स्नेह भोज के आयोजन पर आडम्बर और प्रदर्शन कम करने के लिए 21 व्यंजन सीमा अभियान अपनाने की बात पर जोर दिया। छाजेड़ ने कहा कि महिलाओं व युवकों को इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए पूरा प्रयास करना चाहिए। पूर्व अध्यक्ष छाजेड़ ने बताया की जैन महासभा के तत्वावधान में महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव का आयोजन एकरूपता का परिचायक है। उन्होंने कहा की महावीर जयन्ति के दिन सभी लोग मुख्य समारोह में व शोभायात्राओं में अवश्य शामिल होवें।


समारोह को सम्बोधित करते हुए साधुमार्गी जैन श्रावक संघ गंगाशहर, भीनासर के चंचल बोथरा ने कहा कि सबके प्रति मैत्री का भाव क्षमत क्षामना है। तप:गच्छ श्री संघ के विकास सिरोहिया ने कहा कि जो सहन कर सकता है वही क्षमा कर सकता है। उन्होंने कहा कि निंदा व प्रशंसा, मान व अपमान में समभाव से रहने वाला व्यक्ति ही क्षमा कर सकता है। खतरगच्छ संघ बीकानेर केअजित खजांची ने कहा कि खमत खामणा से घृणा की गांठे लुप्त हो सकती हैं। समारोह में दिगम्बर समाज के धनेश जैन, हुकमगच्छीय श्रावक संघ गंगाशहर के मेघराज सेठिया, बीकानेर के विनोद सेठिया , तेरापंथी सभा गंगाशहर के मंत्री रतनलाल छलाणी , तेरापंथी सभा बीकानेर से श्रीमती दीपिका बोथरा, अरिहंत मार्गी जैन महासंघ के पूनम चंद सुराणा , श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ से इन्दर मल सुराणा , साधुमार्गी जैन श्रावक संघ बीकानेर की तरफ से प्रीति डागा ने भी अपने अपने संघों की तरफ से क्षमतक्षामना करते हुए इसके महत्व पर प्रकाश डाला। समारोह का शुभारम्भ साध्वीवृंद द्वारा नवकार महामंत्र के पाठ से हुआ। मंगलाचरण करते हुए जैन महासभा महिला मंडल ने मधुर संगान किया। स्वागत भाषण जैन महासभा के अध्यक्ष विनोद बाफणा ने किया।

पूर्व अध्यक्ष चम्पक मल सुराणा ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुंह से निकला शब्द वापस नहीं आ सकता। गलती करके क्षमा मांगने की अपेक्षा मन, वचन कर्म से ऐसा कोई कार्य न हो जिससे किसी के दिल को ठेस पंहुचे, एसा विवेक जागृत होना चाहिए। सुराणा ने कहा कि सामूहिक क्षमापना दिवस मनाने की परम्परा को सम्पूर्ण जैन समाज ने बीकानेर जैन महासभा की परम्परा को मान्यता दी है।इसके लिए सभी का आभार।

133 व्यक्तियों का अभिनन्दन

समारोह में 8 से 40 दिनों तक की तपस्या करने वालों 133 व्यक्तियों का अभिनन्दन करते हुए विनोद बाफना , कन्हैयालाल बोथरा , पूर्व मेयर नारायण चोपड़ा , दिलीप कातेला , एडवोकेट महेन्द्र जैन , जसकरण , सुमन छाजेड़ ,अणुव्रत समिति के झंवरलाल , मनोज सेठिया , इन्दर चन्द सेठिया , धनराज गुलगुलिया, शिखरचन्द सुराणा एवं सभी भामाशाह व प्रीतिडागा, कंचन छलाणी , संतोष बोथरा , सुनीता बाफना , शांता भूरा , अंजु बोथरा इत्यादि अनेक गणमान्य व्यक्तियों द्वारा तपस्वीजनों को अभिनन्दन पत्र, स्मृति चिन्ह एवं शॉल आदि भेंट करके उनके तप कि अनुमोदना की । इस वर्ष 40 की तपस्या करने वाले सुरेश बाफणा , बज्जू भी समारोह में उपस्थित हुए।

समारोह को सान्निध्य प्रदान कर रहे मुनिश्री श्रेयांश कुमार जी ने गीतिका का संगान करके क्षमा व तप की महत्ता बताई। मुनिश्री विमलविहारी जी ने भी पुरे कार्यक्रम में सानिध्य प्रदान किया तथा मुनि श्रेयांश कुमार जी ने मगल पाठ सुनाया। समारोह का सफल संचालन संगठन मंत्री जतनलाल संचेती ने किया। समारोह में सम्पूर्ण जैन समाज की उपस्थिति कार्यक्रम की सफलता का परिचायक थी।

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