वीर चक्र रफीक खान की याद में स्मारक बनाने के लिए अभियान चलाएं

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महावीर जयंती की शुभकामनाएं
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  • 19 71 के 53 वें विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि

बीकानेर, 16 दिसंबर। सामाजिक कार्यकर्ता मईनुदीन कोहरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि 1971 भारत पाक युद्ध के 53 वें विजय दिवस पर उस युद्ध के दौरान शहीद हुए उन महान सपूतों को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई । साथ ही सिन्धी सिपाही समाज के वीर चक्र शहीद रफ़ीक खान की शहादत को भी विजय दिवस पर याद किया गया। 53 साल बाद भी राज्य सरकार व जिला प्रशासन द्वारा वीर शहीद की याद में अधिकृत रूप से कोई तिराहा चौराहा या स्मारक नहीं बनाया 51 वर्ष बाद तत्कालिन संभागीय आयुक्त ने 18 नवंबर 2022 को रानी बाजार इंडस्ट्रियल एरिया 5 न रोड पर तिराहा स्वीकृत किया था जिसको निर्मित करने का जिम्मा U I T बीकानेर को सौंपा था जो आज तक नहीं बना। वीर चक्र शहीद रफ़ीक खान की उपेक्षा हो रही है। इस बारे में महामहिम राष्ट्रपति महोदया , पी एम ,सी एम तक वर्षों से गुहार लगा रहे हैं।

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ग्रेनेडियर शहीद रफीक खान 1971 भारत पाक युद्ध के जांबाज देशभक्त देश की पूर्वी सीमा पर तैनात थे ।नवंबर 1971 के दौरान, युद्ध के आसन्न होने के कारण, Gdr रफीक खान की यूनिट 5 ग्रेनेडियर्स को पूर्वी क्षेत्र में तैनात किया गया था। हालांकि कई इलाकों में रुक-रुक कर झड़पें जारी थीं। ऐसा ही एक ऑपरेशन 5 ग्रेनेडियर्स बटालियन द्वारा किया गया था। Gdr रफीक खान को दुश्मन की चौकी पर कब्जा करने का काम सौंपा गया था। दुश्मन की चौकी पर जीडीआर रफीक खान और उसके साथियों द्वारा सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया गया था लेकिन अलग-अलग दुश्मन सैनिकों द्वारा प्रतिरोध छोटे-छोटे इलाकों में जारी रहा।

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दुश्मन ने 5 ग्रेनेडियर्स के सैनिकों को हताहत करना जारी रखा। जीडीआर रफीक खान ने देखा कि बंकर में स्थित एक विशेष रूप से दुश्मन ,लाइट मशीन गन से हताहत कर रही थी। जीडीआर रफीक खान ने महसूस किया कि दुश्मन को किसी भी कीमत पर हलाक कराना होगा जीडीआर रफीक खान आगे बढ़े और बंकर की ओर एक हथगोला फेंका, जो बाहर ही फट गया, निडर होकर उसने एक और हथगोला फेंका और दुश्मन की लाइट मशीन गन को धराशाही कर दिया। ये काम बहादुरी का था इससे दुश्मनों के हौसले पस्त हो गए,हालांकि ऐसा करते समय वह लाइट मशीन गन के फटने की चपेट में आ गया और गंभीर रूप से घायल हो गया। जंग में उनके साथ के लोगो ने बताया कि वह जख्मी हालात में भी अपने साथियों को कंधे पर लाद के भारतीय सीमा में वापस लाए । दुश्मनों के ठिकानों को धराशाही करते हुए रफीक खान 14 नवंबर 1971 को वीर गति को प्राप्त हो गए।

कोहरी ने मीडिया ,स्थानीय प्रशासन व राजनैतिक दलों से गुहार की है कि 53 साल से उपेक्षित शहीद को अधिकृत रूप से उनकी याद अक्षुण्ण रखने के स्मारक बनाएं जाने का अभियान चलाएं। उन्होंने कहा कि शहीद को सम्मान दिलाने को बीकानेर का सर्वसमाज भी आगे आए । 53 वें विजय दिवस पर प्रशासन को याद कराने में हमारा निवेदन है ।

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