सुख- दु:ख का कर्त्ता जीव स्वयं – डॉ बी जीवगन

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महावीर जयंती की शुभकामनाएं
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मद्रास विश्वविद्यालय में आचार्य श्री तुलसी स्मृति में प्रवचन माला का आयोजन

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चेन्नई , 21 दिसम्बर। मद्रास विश्वविद्यालय जैनोलाॅजी विभाग के तत्वावधान मे एवं तेरापंथ ट्रस्ट ट्रिप्लिकेन द्वारा प्रायोजित आचार्य तुलसी मेेमोरियल एंडोवमेंट व्याख्यानमाला 2024-2025 के अंतर्गत प्रखर वक्ता श्री डाॅ बी जीवगन- तमिल जैन साहित्य में जैन दर्शन के सर्वेक्षण ने अपनी प्रभावक शैली में अपना अभिभाषण प्रस्तुत किया। विविध संस्थाओं के पदाधिकारीगण, कार्यकर्तागण एवं विद्यार्थी आयोजन मे संभागी बने।

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अपने ओजस्वी एवं प्रेरक वक्तव्य मे मुख्य वक्ता ने कहा कि जीव को प्रबल पुण्याई से ही दुर्लभ मनुष्य जीवन मिलता है। उसमे भी हमारा सौभाग्य है कि हम जिनवाणी श्रवण करने हेतु यहा उपस्थित हुए है। कर्मवाद के सिद्धांत से अपने- अपने कर्मानुसार हर जीव सुख- दु:ख भोगता है। सुख- दु:ख का कर्त्ता जीव स्वयं ही है। इसलिए अपने जीवन को व्यर्थ मे न गवांते हुए संसार से मुक्ति ही अपना अंतिम लक्ष्य होना चाहिए। इस पंचम आरे मे मुक्ति संभव नही है। इसलिए कर्म के मर्म को समझते हुए स्वयं को कर्म बंधन से हल्का रखना है। सभी जीव एक समान है,भले वह कुन्थु हो या हाथी। हमे किसी भी जीव को अपनी ओर से कष्ट नही पहुचाना चाहिए। अपने जीवन को सुव्यवस्थित एवं सुसंस्कारी बनाने के लिए परिग्रह को कम करे, अहिंसात्मक संयममय जीवन जीने का प्रयास करे। आचार्य श्री तुलसी द्वारा नैतिक उत्थान सहेतुक प्रदत्त अणुव्रतों के नियमों को अपनाएँ। जाति भेद रूढिवाद को प्रश्रय न दे।

आपने आचार्य श्री तुलसी द्वारा लोक कल्याणकारी अवदानों की भी विस्तृत चर्चा की। तमिल जैन साहित्य में वर्णित गुढ़ रहस्यों का भी जिक्र किया। उन्होने साहित्यकारों के आधार पर बताया कि तमिल ग्रंथ तिरुकुलर की रचना प्रसिद्ध जैनाचार्य कुन्दकुन्द ने की।

श्री जीवगन पिछले 27 वर्षो से आध्यात्मिक सेमिनार का आयोजन कर अपने प्रखर वक्तव्य के माध्यम से जन- जन के व्यावहारिक जीवन मे धार्मिक विचारधारा को सम्पुष्ट बनाने का कार्य कर रहे है। श्रोताओं को अपने वक्तव्य से एकिभुत बनाकर रखने की विलक्षण कला आप में है।

कार्यक्रम का प्रारंभ मंगलाचरण से हुआ। जैनोलोजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर श्रीमती प्रियदर्शना जैन ने मुख्य वक्ता का परिचय प्रस्तुत किया। प्रत्यक्ष के साथ जूम एप्प के माध्यम से भी करीबन 50 श्रोतागण लाभान्वित हुये। मुख्य वक्ता ने श्रोताओं की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया।

मुख्य वक्ता जीवगन का शाॅल व माल्यार्पण से स्वागत कर साहित्य भेट किया। कार्यक्रम में प्यारेलाल पितलिया, तनसुखलाल नाहर, ललित आंचलिया, ललित दुगड, अशोक खतंग, संदीप मुथा, गौतमचन्द सेठिया, सुरेशकुमार संचेती, ट्रिप्लीकेन तेरापंथ ट्रस्ट अध्यक्ष संतोषकुमार धाडीवाल, मंत्री अशोककुमार लुंकड, विजयकुमार गेलड़ा, सुरेशकुमार बोहरा, दिपक कात्रेला, श्रीमती माला कात्रेला आदि अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। श्रीमती माला कात्रेला ने अपनी अलबेली शैली से मुख्य वक्ता के तमिल अभिभाषण का हिंदी अनुवाद कर सुनाया। श्रीमती डाॅ प्रियदर्शना ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। ट्रिप्लीकेन तेरापंथ ट्रस्ट के उपाध्यक्ष विजयकुमार गेलड़ा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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