बेटे की इच्छा पूरी करने के लिए मां ने किया शर्मनाक काम

  • जज बोले-महिला के नाम पर यह कलंक ह ये लेडी

जयपुर में एक मां ने अपने बेटे की इच्छा पूरी करने के लिए 13 साल की लड़की का अपहरण कर लिया। बेटे द्वारा शोषण के बाद उसे बेचने का प्रयास किया गया। कोर्ट ने मां को उम्रकैद की सजा सुनाई।

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जयपुर ,15 जनवरी। हाल ही में जयपुर महानगर प्रथम की पॉक्सो कोर्ट-2 ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए नाबालिग लड़की के यौन शोषण और उसे देह व्यापार के लिए बेचने की कोशिश करने वाली महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह मामला समाज में महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ते अपराधों की गंभीरता को दर्शाता है।

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कई दिनों तक बेटे ने मासूम को नोचा, बाद में उसे बेंच डाला

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यह घटना 10 साल पुरानी है, जिसमें करिश्मा उर्फ कस्सो ने अपने नाबालिग बेटे के साथ मिलकर एक 13 साल की मासूम लड़की के जीवन को बर्बाद करने का प्रयास किया। बेटे ने मां से कहा कि उसे गांव की लड़की पसंद है। मां ने उसका अपहरण कर लिया । कई दिनों तक बेटे ने उसे नोचा, बाद में उसे दलाल के जरिए बेचने की तैयारी कर ली। लेकिन पैसा कम मिला , इसलिए लड़की को नहीं बेचा, बाद में पुलिस ने मां बेटे समेत चार लोगों को अरेस्ट कर लिया ।

कोर्ट ने कहा-यह अपराध कांटों से भी अधिक खतरनाक

अदालत ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा अपराध करने वाली महिला समाज के लिए कांटों से भी अधिक खतरनाक है। अपराध की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने करिश्मा पर 61 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसके अलावा, साजिश में शामिल अन्य चार लोगों को भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। न्यायालय ने पुलिस की कार्यवाही पर भी सवाल उठाते हुए उनकी लापरवाही को कठघरे में खड़ा किया। पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को छोड़ दिया था । बाद में कोर्ट ने 18 गवाहों के बयान और 14 दस्तावेज के आधार पर यह फैसला सुनाया है।

जज बोले-महिला के नाम पर यह कलंक ह ये लेडी

जज ने कहा खुद महिला होते हुए एक मासूम बच्ची के साथ इस तरह का रवैया बेहद शर्मनाक है। कोर्ट ने गंभीर धाराओं में सजा सुनाई है और समाज को बड़ा संदेश दिया है। पुलिस को भी सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार और समाज को भी इस दिशा में सक्रिय होकर कार्य करना होगा। पुलिस विभाग को अपनी जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ त्वरित जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही, जागरूकता अभियानों के माध्यम से बच्चों और महिलाओं को उनके अधिकारों और सुरक्षा उपाय के प्रति शिक्षित करना चाहिए।

 

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