सूक्ष्म सिंचाई की तकनीकें विषय पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का आयोजन

  • खेती में जल बचत हेतु सूक्ष्म सिंचाई अपनाएं – पवन कुमार कस्वां

 

बीकानेर 1 फरवरी। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद कृषि संग्रहालय में शनिवार को ”सूक्ष्म सिंचाई की तकनीकें” विषय पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।सुनियोजित खेती विकास केन्द्र बीकानेर द्वारा आयोजित एवं राष्ट्रीय सुनियोजित कृषि और बागवानी समिति, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वित्त नियंत्रक पवन कुमार कस्वां थे।

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मुख्य अतिथि कस्वां ने किसानों को सलाह दी कि खेती में जल बचत हेतु ड्रिप सिंचाई, फव्वारा सिंचाई व रेनगन के तरीकों को अपनाएं। उन्होंने कहा कि नहर बन्दी के चलते तथा गिरते भू-जल स्तर को ध्यान में रखते हुए खेती में जल का सुनियोजित उपयोग आज महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भू सदृश्यता एवं राजस्व सृजन निदेशक डॉ दाताराम ने कहा कि सूक्ष्म सिंचाई के तरीके अपनाकर ज्यादा क्षेत्र में काश्त करना संभव है। बूंद-बूंद सिंचाई के साथ घोलकर फर्टिलाइजर देकर 25 प्रतिशत तक फर्टिलाइजर की बचत की जा सकती है।

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विशिष्ट अतिथि स्वामी विवेकानन्द कृषि संग्रहालय के प्रभारी एवं पूर्व निदेशक कृषि प्रसार शिक्षा डॉ. सुभाष चंद्र ने कहा कि ऊंची-नीची जमीन में भी सूक्ष्म सिंचाई से समरूप में सिंचाई की जा सकती है। सुनियोजित खेती विकास केन्द्र के प्रधान अन्वेषक डॉ. पी. के. यादव ने कहा कि पी.एफ.डी.सी. केन्द्र बीकानेर पर जल बचत हेतु किए गए अनुसंधान किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। लो टनल व गीन हाउस में भी सिंचाई की सूक्ष्म तकनीक ही अपनाई जा रही है।

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प्रशिक्षण समन्वयक इंजी. जे. के. गौड़ ने बताया कि किसान को जल का मापन तथा उपलब्धता सीख कर सूक्ष्म सिंचाई स्थापना की प्लानिंग करनी चाहिए। प्रशिक्षण में उद्यान विभाग के कृषि अधिकारी श्री मुकेश गहलोत, उद्यानविज्ञ डॉ. जे. के. तिवारी, ऑटोमेट इंडस्ट्रीज प्रा.लि. दिल्ली के इंजी. प्रेम कुमार ने ड्रिप सिंचाई की स्थापना, फव्वारा सिंचाई, सूक्ष्म सिंचाई, सरकारी अनुदान, बागवानी फसलों में ड्रिप सिंचाई, ड्रिप के स्व चालन तथा सूक्ष्म सिंचाई घटकों के बी.आई.एस.मानकों पर जानकारी दी।

प्रशिक्षण में किसानों को ड्रिप सिंचाई क्षेत्रों का भ्रमण करवाकर प्रायोगिक जानकारी भी दी गई। प्रशिक्षण में बीकानेर जिले के विभिল गांवों के 32 किसानों ने भाग लिया।

 

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