नशामुक्त जीवन जीने से सफलता मिलती है – मुनिश्री कमल कुमार

  • नशामुक्त रहने व पान पराग , गुटका तथा जर्दा नहीं खाने के त्याग करवाए

उदासर , 05 फ़रवरी। व्यक्ति को अपने संकल्प मजबूत रखने चाहिए। जो व्यक्ति अपने संकल्पों को निभातें है उनको सफलता अवश्य प्राप्त होती है। यह बात उग्र विहारी व तपोमूर्ति मुनिश्री कमल मुनि जी ने आज दोपहर में मोना इंडस्ट्रीज में प्रवचन देते हुए कही। उन्होंने नशामुक्त जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहा कि सद्गुणी व्यक्ति की प्रशंसा हर जगह व हमेशा होती है। उन्होंने फैक्ट्री के लोगों को नशामुक्त रहने व पान पराग , गुटका तथा जर्दा नहीं खाने के त्याग करवाए। मुनिश्री ने कहा कि जैन धर्म में तीन करण व तीन योग से त्याग करने की बात पर बल दिया गया है। उन्होंने पच्चीस बोलों की चर्चा करते हुए बताया कि कल्याणकारी कार्यों में जुड़े रहें ताकि मृत्यु के बाद उच्च गति में जा सके।

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नशामुक्त रहने व पान पराग , गुटका तथा जर्दा नहीं खाने के त्याग करवाए

मुनिश्री कमल कुमार जी ने कहा कि मोक्ष मनुष्य जीवन से ही प्राप्त होता है। देवता भी मनुष्य जीवन के लिए तरसतें है। श्रम व पुरुषार्थ से भाग्य का निर्माण होता है। पुरुषार्थ असंभव को संभव बना देता है। पुरुषार्थ असंभव शब्द को शब्दकोष से हटा देता है। उन्होंने कहा कि सर्दी , गर्मी व वर्षात भी साधु के विहार को नहीं रोक सकते हैं। साधु के लिए विहार में एक रात से ज्यादा रहने का प्रावधान नहीं है। एक बार जब एक साधु संघ से अलग हो जाने के बावजूद भी इस नियम की पालना करते रहे और जब छः माह बाद पुनः संघ में आये तो आगे चलकर उनको शासन स्तम्भ का सम्बोधन मिला। यह नियमों की पालना के कारण संभव हुआ।

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मुनिश्री कमल कुमार जी ने साधु के समक्ष पद , धन का नहीं सेवा का महत्व होता है।पद के लिए प्रयास न करें , महत्वाकांक्षी न बने। उन्होंने कहा जब किसी से कोई भूल हो जाए तो उसको स्वीकार करें , प्रयाश्चित करें और भूल को स्वीकार करके अपने आप को सुधारें। उन्होंने कहा संयम से प्रगति और असंयम से दुर्गति होती है। महावीर की वाणी व्यक्तियों को जागृत कराती है। जीवन को नैतिक बनाने के लिए ह्रदय मेंअणुव्रत होना चाहिए। सभी के प्रती कल्याण की भावना रखनी चाहिए। मुनिश्री ने कहा कि ” जिंदगी इंसानियत से जिनी चाहिए, वक्त आये तो गर्दन कटानी चाहिए। मुनिश्री ने कहा कि मोक्ष का मार्ग ज्ञान , दर्शन और चारित्र से है। जीवन में नम्रता रखनी चाहिए , नम्रता जैन धर्म का मूल है , सभी समस्याओं का इससे समाधान हो जाता है। प्रवचन में उदासर , गंगाशहर व बीकानेर से अनेक लोग उपस्थित हुए। सभी का आभार जेठमल , मनीष व पवन छाजेड़ तथा बच्छराज भूरा ने किया।

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