श्रीमती सरोज भाटी की पुस्तक सनातन सार सहस्त्र धार का हुआ विमोचन

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  • सनातन के मूल्यों और सिद्धांतों को नए और रोचक तरीके से प्रस्तुत करती है पुस्तक

बीकानेर, 16 फरवरी। मुक्ति संस्था, सूर्य प्रकाशन मंदिर और शब्दरंग के संयुक्त तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती सरोज भाटी द्वारा रचित हिन्दी दोहों की पुस्तक ‘सनातन सार सहस्त्र धार’ का लोकार्पण शनिवार को होटल राजमहल में किया गया।

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समारोह की अध्यक्षता शिक्षाविद-आलोचक डॉ. अन्नाराम शर्मा ने की। मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्य डाॅ. उमाकांत गुप्त थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में राजभाषा संपर्क अधिकारी श्री हरिशंकर आचार्य एवं व्यंग्यकार-संपादक डॉ.अजय जोशी रहे। स्वागताध्यक्ष कवि-कथाकार श्री राजेन्द्र जोशी थे।

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जोशी ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि श्रीमती सरोज भाटी की पुस्तक ‘सनातन सार सहस्त्र धार’ अद्वितीय और अर्थपूर्ण कृति है। यह सनातन के मूल्यों और सिद्धांतों को नए और रोचक तरीके से प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को समझने और उसका रसस्वादन करने में मदद करती है।

अध्यक्षता करते हुए डॉ. अन्नाराम शर्मा ने कहा कि सरोज भाटी की पुस्तक हिंदी साहित्य की समृद्धि में योगदान देती है। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करती है। उन्होंने कहा कि यह सनातन और उसके लोक सामर्थ्य की ओर ले जाने वाली पुस्तक है। आज के दौर में सनातन के सार को सारगर्भित रूप से समाज के सामने केवल साहित्यकार-कलाकार ही ला सकता है। संवेदनशील व्यक्ति ही समाज को सही अर्थों में सनातन के सार से जोड़ सकता है। साहित्यकार श्रीमती सरोज भाटी इसमें सफल हुई है।

मुख्य अतिथि डॉ. उमाकांत गुप्त ने कहा कि यह पुस्तक सनातन के मूल्यों और सिद्धांतों को नए दृष्टिकोण से देखने में मदद करती है। प्रसिद्ध धर्म ग्रंथों को सरल और सहज तरीके से प्रस्तुत कर श्रीमती भाटी ने समाज को बेहतरीन पुस्तक दी है। विशिष्ट अतिथि हरिशंकर आचार्य ने कहा कि ‘सनातन सार सहस्त्र धार’ अर्थपूर्ण कृति है। आज के दौर में युवाओं को सनातन संस्कार से जोड़ने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण साबित होगी।

डॉ. अजय जोशी ने कहा कि हमारे ऋषि मुनियों की सदियों की साधना को सरल और पठनीय रूप से प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में ऐसी पुस्तकों की जरूरत है। इससे पूर्व अतिथियों ने पुस्तक का विमोचन किया। श्रीमती सरोज भाटी ने पुस्तक की सृजन यात्रा के बारे में बताया और पुस्तक के अंशों का वाचन किया।

इस दौरान डॉ. रेणुका व्यास नीलम, डॉ. समीक्षा व्यास, श्रीमती नीतू बिस्सा और डॉ. प्रशांत बिस्सा ने पुस्तक पर अपनी टिप्पणी की। गीतकार राजाराम स्वर्णकार ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन ज्योति प्रकाश रंगा ने किया। इस अवसर पर तीनों संस्थानों की ओर से लेखिका सरोज भाटी को ‘शब्द शिरोमणि’ सम्मान अर्पित किया गया। अतिथियों ने श्रीमती भाटी का अभिनंदन करते हुए उन्हें शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह एवं अभिनंदन पत्र भेंट किया। कार्यक्रम के दौरान अनेक संस्थाओं की ओर भी से श्रीमती सरोज भाटी का अभिनंदन किया गया।

कार्यक्रम में डॉ. एस. एन. हर्ष, डॉ. बसंती हर्ष, कमल रंगा, के.के.शर्मा, अखिलानंद पाठक, एड. महेंद्र जैन, मोहम्मद फारूक चौहान, जुगल किशोर पुरोहित, बी.एल.नवीन, अब्दुल शकूर सिसोदिया, प्रो. बृजमोहन खत्री, डॉ. गौरी शंकर प्रजापत, पूर्णचंद राखेचा, ताराचंद सोनी, कीर्ति गहलोत, आशा शर्मा, योगेंद्र पुरोहित, मनीष जोशी, शिव शंकर शर्मा और आत्माराम भाटी सहित अनेक लोग मौजूद रहे।

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