मुनिश्री नमिकुमार के 39 की तपस्या की अनुमोदना रविवार को शांतिनिकेतन में होगी

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गंगाशहर , 22 फ़रवरी। लघुता से प्रभुता मिले प्रभुता से प्रभु दूरी । चींटी शक्कर ले चली, हाथी के सर धूरि। कबीर दास जी के इस वाक्य के द्वारा मुनि श्री कमल कुमार जी ने आज शान्ति निकेतन सेवा केन्द्र में में जनता को प्रतिबोध देते हुए कहा की हमें अपना बड़प्पन बनाए रखना चाहिए। हमेशा छोटा बनकर रहना चाहिए। मन में अहंकार नहीं करना चाहिए। साधु जीवन में तो अहंकार नरक का द्वार है, जो निरंकारी होते हैं वह मोक्ष के मार्ग में आगे बढ़ते हैं।

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मुनि श्री ने प्रेरणा देते हुए कहा कि अपने बच्चों को संस्कारी बनाओ बच्चों के कल्याण के निमित्त बानो जैन धर्म की सभी क्रियाएं ध्यान और योग से जुड़ी हुई है। हमें साधु संतों के पास केवल साधना करने के लिए जाना चाहिए। तेरापंथ धर्म संघ में सेवा भावना की प्रधानता है। एक गुरु और एक विधान मुख्य विशेषता है । आदमी अपने कर्मों से महान होता है। देव गुरु और धर्म के प्रति आस्था होने से हमें कहीं नहीं भटकना पड़ता। गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा हमें नरक गति से और तिर्यच गति से बचाती है एवं मोक्ष का मार्ग सुगम गुरु ही बना सकता है।

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इस अवसर पर मुनि श्री कमल कुमार जी ने कहा की कल शांति निकेतन सेवा केंद्र में मुनि श्री नमि कुमार जी के 39 दिवस के तप की अनुमोदना की जाएगी। कार्यक्रम प्रातः 8 . 41 बजे से प्रारम्भ होगा। तप की इस अनुष्ठान में सभी श्रावक- श्राविका समाज अपनी सामर्थ्य और सुविधा की दृष्टि योगभुत बने। तप में सहभागी बनकर कर्म निर्जला का लाभ लेवें। मुनि श्री प्रबोध कुमार जी ने प्रेक्षा ध्यान के प्रयोग करवाये।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गंगाशहर के मंत्री जतनलाल संचेती ने बताया की साधुओं में यहां इतनी बड़ी तपस्या का यह प्रथम अवसर है अतः सभी लोग इस कार्यक्रम के साक्षी बने।

 

 

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