तपस्वी संत मुनिश्री नमि कुमार की 39 की तपस्या पर तप अनुमोदना

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गंगाशहर , 23 फ़रवरी। उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी ने अपने सहयोगी तपस्वी संत श्री नमि कुमार जी को 39 की तपस्या पर रविवार को प्रातः प्रवचन के पश्चात तप अनुमोदन कार्यक्रम में तप में और आगे बढ़ने का आशीर्वाद फरमाया एवं सुमधुर गीतिका ” तपसी मुनि नमिवर ” गाकर अपने भावों को प्रकट किये। उन्होंने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण जी के सन्देश से इतनी ऊर्जा मिली कि 29 की तपस्या करने वाले संत ने 39 की तपस्या कर ली। इस तप के अवसर पर सकल श्रावक श्राविकाओं से भी तप की भेंट से मुनिश्री नमिकुमार की झोली भरने की प्रेरणा दी। मुनिश्री कमल कुमार जी ने कहा कि तपस्या से कर्म निर्जरा होती है जिससे आत्मा शुद्ध बन जाती है। उन्होंने कहा कि इन्होने लक्ष्य बद्ध तपस्या की है। उन्होंने बताया कि अपने सभी सामाजिक दायित्वों को पूरा करके भरी पूरी गृहस्थी और माया छोड़कर दीक्षा ली थी। दीक्षा लेने के बाद निरंतर तपस्या कर रहें हैं। मुनिश्री श्रेयांश कुमार ने 5 की तपस्या करके इनका अभिनन्दन किया।कार्यक्रम में ” तपस्या री आयी रे बाढ़, गंगाणे री नगरी में ” गीतिका के द्वारा अपने भावों की भेंट चढ़ाई।

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मुनि श्री विमल बिहारी जी ने नमिमुनि की तपस्या की अनुमोदना करते हुए कहा कि तपस्या से शारीरिक – मानसिक स्वस्थता बनी रहती है। तपस्या से मनोबल मजबूत होता है। तपस्या स्वास्थ्य व कर्म निर्जरा के लिए अच्छी है।

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तप अनुमोदना समारोह में उपस्थित श्रद्धालुजन

मुनि श्री प्रबोध कुमार जी ने तपस्या की अभ्यर्थना करते हुए कहा कि जीवन को पावन , पवित्र बनाने का मार्ग संवर और निर्जरा है। ये मोक्ष मार्ग की दो पटरियां है। निर्जरा के 12 भेदों पर प्रकाश डालते हुए फरमाया कि अनशन पहला भेद है। जैन इतिहास में चौविहार की अधिकतम 6 माह की तपस्या बतायी गयी है। उन्होंने कहा कि केवल शरीर को तपाना ही तप नहीं होता बल्कि उनोदरी , विगय वर्जन ,रस परित्याग साधना के द्वारा भी निर्जरा होती है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करना ही सर्वश्रेष्ठ तप होता है।

सर्वप्रथम मुनि श्री मुकेश कुमार जी ने कहा कि वर्तमान में जहां नवकारसी -पौरसी करना ही कठिन है वहां मुनि श्री ने 39 की तपस्या करके संघ की प्रभावना बढ़ाई है।उन्होंने कहा कि तेरापंथ धर्म संघ में कई तपस्वी साधू हुए हैं। तपस्या से कर्म निर्जरा होती है और मोक्षगामी बनने में तपस्या सहायक है।

तप अनुमोदना समारोह में उपस्थित श्रद्धालुजन

स्वयं मुनि श्री नमि कुमार जी ने अपनी तपस्या को गुरुदेव का आशीर्वाद ‘तप में आगे बढ़ते रहो” को माना और अपने अग्रगण्य उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी के आशीर्वाद व प्रेरणा को माना। उन्होंने सभी साधुओं के प्रति प्रमोद भावना व्यक्त करते हुए कहा कि सभी साधुओं ने बहुत ध्यान रखा और उनका पूरा सहयोग मिला।

तपस्या पर प्राप्त संदेशों का वाचन में जैन लूणकरण छाजेड़ ने मुनिश्री अमन कुमार का , हंसराज डागाने आचार्य श्री महाश्रमण जी का व जतनलाल संचेती ने मुनिश्री सुमति कुमार जी के भावों को प्रस्तुत किया।साध्वी श्री विनम्र यशा जी के हार्दिक उदगार प्राप्त हुए। इस तप अभ्यर्थना कार्यक्रम में शांतिनिकेतन प्रवचन पंडाल में सैकड़ों उपस्थित श्रद्धालुजनो ने सामायिक के बेले किये।

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