महाराजा गंगासिह, विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग द्वारा कतरियासर और पूनरासर धाम का शैक्षणिक भ्रमण आयोजित

shreecreates

बीकानेर , 27 फ़रवरी। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग ‌द्वारा विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान में अभिवृद्धि करने हेतु उन्हें संत जसनाथ जी की तपोभूमि कतरियासर धाम और पूनरासर का शैक्षणिक भ्रमण करवाया गया। शैक्षणिक भ्रमण पर जाने वाली बस को एस.एफ.एस प्रभारी डॉ. धर्मेश हरवानी ने हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया ।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
DIGITAL MARKETING

राजस्थानी विभाग के अतिथि व्याख्याता डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने संत जसनाथ जी का जीवन परिचय देते हुए बताया कि संत परम्परा में जसनाथ जी प्रमुख संत थे। जसनाथ जी हमीर जी जाणी और रूपा दे के पौष्य पुत्र थे। उनको यह जंगल में डाबळा के तालाब के पास मिले थे। बारह वर्ष की आयु में साधना शुरू कर दी थी और बारह वर्ष तक गोरखमालिया नामक स्थान पर तपस्या करने के पश्चात 24 वर्ष की आयु में कतरियासर गाँव मे जीवित समाधि ले ली थी।उनके साथ इनकी सगाई की हुई मंगेतर काळलदे ने भी जीवित समाधि ले ली थी।

pop ronak
महावीर जयंती की शुभकामनाएं

अतिथि व्याख्याता डॉ. मनोज आचार्य ने बताया कि जसनाथ जी एक चमत्कारी सिद्‌ध पुरुष थे। इन्होंने छतीस धर्म नियम बनाए और लोहापांगळ और सिंकदर लोदी जैसे लोगों को भी चमत्कार दिखाया था । क्षैणिक भ्रमण के प्रभारी रामावतार उपाध्याय ने वि‌द्यार्थियों का मार्गदर्शन किया और पूनरासर धाम की महत्ता बताते हुए वि‌द्यार्थियो को राजस्थानी संस्कृति और प्राकृ‌तिक सौन्दर्य के साथ पर्यावरण का महत्व बताया।

राजस्थानी विभाग के विद्यार्थी शुभकरण ,नखतुचंद , परमेश्वर, दिनेश , पप्पू सिंह, कोमल, मोनिका आदि ने जसनाथ जी से संम्बधित अपने अपने अनुभवों को भी साझा किया और बताया कि इनका अग्नि नृत्य विश्व प्रसिद्ध है। जिसको देखने के लिए देशी -विदेशी सैलानी बड़ी संख्या में आते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *