नगर निगम बीकानेर – पूर्व में वृंदावन कॉलोनी और पश्चिम में नाल गांव तक होगी नगर निगम की सीमा

shreecreates

बीकानेर, 11 मार्च। नगर निगम की सीमा बढ़ाने का निर्णय एक बार और हुआ। अब नाल पंचायत नगर निगम की सीमा में शामिल होगी। ये पश्चिम विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा होगा। पूर्व विधानसभा में जयपुर रोड की वृंदावन कॉलोनी भी निगम सीमा में शामिल होगी। जोधपुर बाईपास से जोड़बीड़, उष्ट्र और अश्व अनुसंधान केन्द्र तक निगम की सीमा बनेगी।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

दरअसल जब निगम ने जयपुर रोड़ पर नहर को निगम की सीमा तय किया था तो उसमें वृंदावन कॉलोनी रह गई थी। उन लोगों ने प्रदर्शन किया। कलेक्टर ने निगम अधिकारियों को हालात का जायजा लेने के लिए कहा। जयपुर रोड पर प्राइवेट कॉलोनी में वृंदावन सबसे विकसित कॉलोनी है। निगम अधिकारियों ने अब वृंदावन कॉलोनी को भी निगम सीमा में शामिल करने का निर्णय किया है। इसके साथ ही जोधपुर बाईपास पर जोड़बीड़ को भी निगम सीमा में ही शामिल कर लिया। यहां अब कैमल फार्म तक निगम की सीमा होगी। जैसलमेर रोड पर नाल ग्राम पंचायत और एयरपोर्ट भी निगम सीमा में शामिल होगा।

pop ronak

सोमवार को निरीक्षण के बाद अधिकारियों ने प्रस्ताव बनाने शुरू कर दिए। क्योंकि कलेक्टर खुद चाहती थी कि निगम सीमा का विस्तार हो और इसीलिए उन्होंने अधिकारियों को मौके का जायजा लेने के लिए कहा। निगम में ये इलाके शामिल होने के बाद शहर की आबादी करीब 20 हजार और बढ़ जाएगी। यानी अब शहर की आबादी तकरीबन 9 लाख के करीब हो जाएगी। नोखा रोड पर आबादी नहीं इसलिए वहां विस्तार नहीं किया गया। श्रीगंगानगर रोड पर ज्यादातर आर्मी और सरकारी संस्थान हैं इसलिए शामिल नहीं किया गया। हालांकि बीछवाल वाले इंतजार कर रहे थे कि उसे भी निगम में शामिल किया जाए।

कॉलोनाइजर्स को फायदा

कॉलोनाइजर्स को अब लीगली मजबूती मिल गई। कायदा होता है कि कॉलोनी विकसित होने के बाद उसकी एक यूनियन बनती है और वही उसकी देखरेख करती है मगर अब कोई समस्या के लिए जाएगा तो कॉलोनाइजर्स उसे निगम के पास भेजेगा। निगम दायरे में आने से जमीन-मकानों की दरों में भी इजाफा होगा।

सुविधाएं विकसित कराने का दबाव अब कॉलोनाइजर्स की जगह सरकारी महकमों पर होगा। जो लोग अभी कॉलोनी को निगम में शामिल होने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे वही लोग अब सुविधाओं के लिए प्रदर्शन करेंगे जबकि इनमें से कोई कॉलोनाइजर्स के पास नहीं गया कि मैने भूखंड लिया तो सड़क, नाली, सीवरेज क्यों नहीं बनाई जबकि शर्तों में वो शामिल था। ऐसे में निगम पर वित्तीय भार बढ़ेगा।

ये हैं संभावित इलाके

जयपुर रोड पर उदासर के पूर्व दिशा में मयूर विहार, मोहन नगर, विराट नगर, डिफेंस कॉलोनी, मरु विहार, मरुधर विस्तार, सूरज कॉलोनी, शताब्दी नगर, दुर्गा कॉलोनी, वैष्ण विहार, आरके पुरम, श्याम नगर, श्याम नगर विस्तार, मातेश्वरी कॉलोनी, इंद्रप्रस्थ, उदासर कैंट, वृंदावन एक्सटेंशन एरिया होगा। रिडमलसर के पास स्वर्ण जयंति, स्वर्ण जयंति विस्तार, अशोक नगर के सभी ब्लॉक, पंजाबी बाग, गोकुल विहार, वीर तेजाजी कॉलोनी, सीएम जेएवाई के 1064 क्वार्टर, शिवबाड़ी समेत कैमल फार्म तक इलाका होगा।

वार्ड बढ़ने की जरूरत

सरकार के नियमों के तहत 10 लाख की आबादी पर 100 वार्ड हो सकते हैं। अभी निगम में 80 वार्ड हैं। ऐसे में अब जब कई कॉलोनियां और पंचायतें निगम सीमा में शामिल होंगी तो चार से पांच निगम के वार्ड भी बढ़ाने की जरूरत होगी। वो निर्णय भी प्रशासन को ही करना है।

आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया जैसे हालात

प्राइवेट कॉलोनी जितनी भी बसी हैं उन सबको तत्कालीन यूआईटी ने 90-बी दी है। 90-बी देते वक्त संबंधित कॉलोनियों में सड़क, नाली, सीवरेज, बिजली के खंभे, मार्केट और पार्कों को विकसित करने की शर्त होती है। एक मात्र वृंदावन को छोड़ जयपुर रोड पर किसी कॉलोनी में ये सुविधाएं नहीं हैं। सुविधाएं विकसित न करने पर यूआईटी ने प्रत्येक कॉलोनी में कुछ भूखंड अपने पास रखे थे ताकि कॉलोनाइजर्स अगर इन कॉलोनियों का विकास ना करे तो इन भूखंडों को बेचकर यहां का विकास किया जा सके।

अब यूआईटी बीडीए बन गई मगर न तो कॉलोनाइजर्स को विकास के लिए पाबंद किया गया न ही भूखंड बेचकर वो राशि संबंधित कॉलोनियों में लगाई। निगम के अधीन ये कॉलोनी आने के बाद वो भूखंड बीडीए के हो जाएंगे। अब सवाल ये है कि इन कॉलोनियों से कचरा उठाने के लिए करीब 20 टिपर, 2000 से ज्यादा रोड लाइटें, 300 से 400 करोड़ की सीवरेज बिछाने की जिम्मेदारी नगर निगम की होगी।

अब पीएचईडी पर भी दबाव पड़ेगा कि इन कॉलोनियों में पाइप लाइन बिछाकर यहां नहर का पानी दिया जाए। इसके लिए कई जगह नई टंकियां बनाने की जरूरत पड़ेगी। बीकेसीईएल को भी खंभे, लोड के हिसाब से ट्रांसफार्मर लगाने होंगे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *