राजनीति में बड़ा भूचाल, JDU के 15 नेताओं ने एक साथ दिया इस्तीफा

shreecreates

पटना , 8 अप्रैल। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। एक ओर जहां विपक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत और नीतियों पर लगातार सवाल उठा रहा है, वहीं दूसरी तरफ जनता दल यूनाइटेड (JDU) को अंदर से झटके लग रहे हैं। ताजा मामला मोतिहारी जिले के ढाका विधानसभा क्षेत्र से आया है, जहां जेडीयू के 15 पदाधिकारियों ने एक साथ इस्तीफा देकर पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यह घटनाक्रम न केवल जेडीयू बल्कि पूरे NDA गठबंधन के लिए चुनौती बन सकता है।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
DIGITAL MARKETING

वक्फ संशोधन विधेयक बना विवाद की जड़
जेडीयू के इन नेताओं ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर अपनी नाराजगी जताई है। उनका साफ कहना है कि यह बिल मुस्लिम समाज के अधिकारों के खिलाफ है और अगर सरकार ने इसे वापस नहीं लिया तो वे गांधीवादी तरीके से धरना-प्रदर्शन कर आंदोलन शुरू करेंगे। गौरतलब है कि वक्फ एक्ट में संशोधन को लेकर जेडीयू के कई मुस्लिम नेताओं में पहले से नाराजगी देखी जा रही थी, और अब यह सामूहिक इस्तीफा उसी गहरी असंतुष्टि का संकेत माना जा रहा है।

pop ronak
महावीर जयंती की शुभकामनाएं

इस्तीफा देने वाले नेताओं की सूची
जिन नेताओं ने एकसाथ पार्टी से इस्तीफा दिया है, वे ढाका प्रखंड और नगर स्तर के जेडीयू के पदाधिकारी हैं। इन नामों में युवा विंग से लेकर अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ तक के प्रतिनिधि शामिल हैं। इनमें प्रमुख हैं:

गौहर आलम – प्रखंड अध्यक्ष युवा जदयू , मो. मुर्तुजा – कोषाध्यक्ष नगर परिषद, शबीर आलम – प्रखंड उपाध्यक्ष युवा जदयू, मौसिम आलम – नगर अध्यक्ष अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ,जफीर खान – नगर सचिव, मो. आलम – नगर महासचिव, तुरफैन – प्रखंड महासचिव युवा जदयू , मो. मोतिन – नगर उपाध्यक्ष , सुफैद अनवर – करमावा पंचायत अध्यक्ष, मुस्तफा कमाल (अफरोज) – युवा प्रखंड उपाध्यक्ष, फिरोज सिद्दीकी – प्रखंड सचिव युवा जदयू ,सलाउद्दीन अंसारी – नगर महासचिव,सलीम अंसारी – नगर महासचिव, एकरामुल हक – नगर सचिव ,सगीर अहमद – नगर सचिव , नेताओं का एलान – आंदोलन शुरू करेंगे।

इस्तीफा देने वाले नेताओं ने साफ कहा है कि वे सरकार के खिलाफ गांधीवादी तरीकों से आंदोलन और विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे। उनका कहना है कि जब तक वक्फ बिल वापस नहीं लिया जाता, वे चुप नहीं बैठेंगे। इससे जेडीयू के अंदर चल रहे असंतोष और आगामी चुनाव में पार्टी की रणनीति पर सवाल खड़े हो गए हैं।

क्या मुस्लिम वोट बैंक खिसक रहा है?

ढाका विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल इलाका है। यहां के नेता और कार्यकर्ता अगर पार्टी से दूरी बना रहे हैं, तो यह जेडीयू के लिए खतरे की घंटी हो सकती है, खासकर तब जब बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर मुस्लिम वर्ग में पहले से संदेह बना हुआ है।

2020 चुनाव में क्या रहा था हाल?

2020 के विधानसभा चुनाव में पूर्वी चंपारण के 12 सीटों में से केवल केसरिया सीट पर जेडीयू जीत सकी थी। वहीं ढाका से बीजेपी के पवन जायसवाल विधायक चुने गए थे। जेडीयू के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रमोद सिन्हा ने भी पार्टी छोड़कर बीजेपी से रक्सौल सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी। यह बताता है कि पार्टी का जनाधार पहले से ही कमजोर हो चुका है।

जेडीयू की सफाई – साजिश है यह इस्तीफा ड्रामा

इस इस्तीफे को लेकर जेडीयू के ढाका प्रखंड अध्यक्ष नेहाल अख्तर ने कहा है कि इनमें से सिर्फ एक नेता पार्टी से जुड़े हैं, बाकी सभी का पार्टी से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि यह जेडीयू को बदनाम करने की सोची-समझी साजिश है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *