जल ही जीवन है: कोयम्बतूर तेरापंथ महिला मंडल द्वारा जल संरक्षण पर प्रेरणादायक कार्यशाला का आयोजन


कोयम्बतूर, 18 अप्रैल। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार, कोयम्बतूर तेरापंथ महिला मंडल ने एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया, जिसका विषय था — “एक बूंद: एक सागर: जल संरक्षण”। इस सार्थक कार्यक्रम की शुरुआत नमस्कार महामंत्र के पावन उच्चारण से हुई। तत्पश्चात मंडल की बहनों ने प्रेरणा गीत के मधुर स्वरों से वातावरण को भावमय बना दिया।



मंडल अध्यक्ष श्रीमती मंजू सेठिया ने उपस्थित सभी अतिथियों व सहभागियों का हार्दिक स्वागत करते हुए उनके आगमन पर आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण के महत्व को जन-जन तक पहुँचाना था, जिसमें मंडल की पांच प्रमुख बहनों — रुपकला भंडारी, गुण बोहरा, निर्मला कांकरिया, सुरेखा सेमलानी एवं कुसुम बुच्चा — ने अत्यंत प्रभावी और सरल भाषा में अपने विचार प्रस्तुत किए।



इन वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि जहाँ भोजन के बिना कुछ दिन जीवन संभव है, वहीं जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जल संरक्षण में महिलाओं की विशेष भूमिका होती है, जिसे उन्होंने रसोई घर से उदाहरण देकर समझाया — जैसे कि उपयोग किए गए पानी को दोबारा कैसे काम में लाया जा सकता है।
जैन धर्म के सिद्धांतों को आधार बनाते हुए यह बताया गया कि संयमपूर्वक जल का उपयोग कर न केवल जल-संरक्षण में योगदान दिया जा सकता है, बल्कि अनगिनत जलजीवों की हिंसा से भी बचा जा सकता है। सभी उपस्थित बहनों ने जल संयम का संकल्प लेकर कार्यक्रम को सार्थकता प्रदान की।
कार्यक्रम का संचालन कुशलता से श्रीमती अपराजिता नाहटा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन एक बार पुनः मंजू सेठिया ने प्रस्तुत किया। कार्यशाला ने निश्चित ही जल संरक्षण के प्रति एक नई जागरूकता की लहर उत्पन्न की।