शोक को अशोक बनाना,अंतस अव्यक्त को व्यक्त करना साहित्यकार का काम -विमर्शानन्द

shreecreates
congrtaulation shreyansh & hiri
  • नेम जी की उदात्त वृत्ति, कृति, स्मृति पर स्मारिका निकाली जाए, सच्ची श्रृद्धांजलि होगी

बीकानेर,18 मई। स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम के राष्ट्रीय कवि चौपाल की 516 वीं कड़ी साहित्य हृदयारविंद नेमचंद गहलोत को समर्पित रही। आज कीर्ति-स्मृति सभा 2 में साहित्य स्नेहिल सरस्वती पुत्र, राष्ट्रीय कवि चौपाल कालजयी दिल.. निश्छल, कर्मठ, भामाशाह, स्व. नेमचंद गहलोत साहब के व्यक्तित्व कृतित्व पर स्वामी विमर्शानन्द जी महाराज ने कहा उनमें मातृवत करूणा थी, पितृवत कठोरता भी, आचार्यवत कट्टर निष्ठा थी .. तीनों हमें साहित्य प्रेरणा देती है, शोक को अशोक बनाना,अंतस अव्यक्त को व्यक्त करना साहित्यकार का काम है, सत्यप्रकाश आचार्य ने कहा व्यक्ति आते हैं जाते हैं पर गुण गान उन्ही के,जो अद्वीतिय रच जाते हैं। गहलोत साहब के संस्मरण साझा करते हुए, राजस्थानी भाषा के मर्मज्ञ कमल रंगा ने एक यथार्थ सार बात और कही नेम जी की वृत्ति कृति स्मृति पर स्मारिका निकाली जाए और पुरस्कार सम्मान भी शुरु किया जाएगा।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
DIGITAL MARKETING
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी में उन्हें साहित्य संस्कृति एवं कला का पोषण करने वाला नेक इंसान बताया। सरदार अली परिहार ने कहा कि उन्होंने साहित्य की बेहतरीन खिदमत की। जुनून में साहित्य जगत में अमर हो गए, जुगल किशोर गहलोत ने कहा कि पिता के सत्कर्म कृपा बड़ी अनुठी जो संतान को मान सम्मान दिला देती है। बी एल नवीन ने कहा कि ऐसा साहित्य जुनून किसी में नहीं देखा, जो नेम जी में देखा, स्व दुःख भुल के पर दुःख में दुःखी होते मैंने देखा। रामेश्वर साधक ने श्रृद्धांजलि एक दोहे में व्यक्त करते हुए कहा, कर कृपा, कृपा निधान.. दिवंगत नेकनीयत जीव पर। दिव्यात्मा रहे.. तेरे चरणों में, कर दया-क्षमा.. तूं इस अदीब पर.. शिव दाधीच ने नेमीचंद जी जिनको ये जमाना याद रखेगा,बहुत कुछ भूलकर भी उनकी सेवा याद रखेगा।

pop ronak

विजय कोचर ने कहा कि गहलोत जी.. अनुठे साहित्यानुरागी बीकानेर रत्न के सही हकदार है। मनीषा आर्य सोनी ने कहा कि हजारों साल शबनम अपनी बेनूरी को रोती तब जाकर चमन में दीदावर पैदा होता है। राजकुमार ग्रोवर ने कहा कि राम गया रावण भी गया, गया कृष्ण और कंस। जग में कौवे बहुत ही ज्यादा थौडे होते हैं हन्स.. सिराजुद्दीन भुट्टा ने कहा कि सूनी रहेगी साहित्य महफिल,फक्र करती छोटी काशी तुम पर। लीलाधर सोनी ने कहा कि सरस्वती लक्ष्मी पुत्र के गो भक्त थे, साहित्य सेवा जुनून पर विरक्त थे। डॉ तुलसी राम मोदी ने म्हे बांध्यो म्हारे शब्दों में आभो पण नीं बांध सक्यो एक मुठ्ठी सरीर रो धणी। डॉ कृष्ण लाल विश्नोई ने कहा कि खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है। ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी थे। निधि भार्गव ने नेमचंदजी की जीवनी हमें अर्थ महत्व और सदुपयोग के लिए प्रेरित करती है। मोहम्मद शकील गौरी ने हर एक से मुहब्बत नहीं किसी के रकीब थे
गंगा विशन विश्नोई ‘ब्रह्मा’ ने.. इस धरा का इस धरा पर धरा ही रह जाएगा.. साहित्य साधना ने उन्हे अमर कर दिया। कृष्णा वर्मा ने सादा जीवन उच्च विचार, हंसमुख चेहरा छोड़ गया सबके दिलों में याद। मधुरिमा सिंह ने जब भी चौपाल में आती थी उनकी मुस्कान आशीर्वाद बन छा जाती थी। भानू प्रताप सिंह ने कहा कि नेमीचंद जी लाखिणा राष्ट्रीय कवि चौपाल री ज्योत, मां करणी रा लाडला। नृसिंह भाटी ने कहा कि हरदिल अजीज सेवाभावी साहित्यनुरागी ऐसे समाजसेवी थे जिन्हें सदियों जमाना याद रखेगा। महेश बड़गुर्जर ने फुलों जैसी महकती जिंदगी, वो शेर बनकर जी गया। महबूब अली ने कहा उन पर न मत संप्रदाय का असर था सबके दुःख का वो हम सफर था। माजिद खान माजिद ने कहा कि एक व्यक्तित्व क्या गया सारे शहर को विरान कर गया। के के व्यास ने ने कहा कि विराट व्यक्तित्व और कृतित्व के धनी दानवीर प्रसन्न मुखी थे।

एडवोकेट इसरार हसन कादरी ने नेमचन्द जी साहित्य के संरक्षक थे। मोइनुद्दीन कोहरी नाचीज़ ने कहा कि अनेक साहित्य विचारों में साहित्य आसान नहीं होता पर उन्होंने ऐसा सफ़र किया है। महेश बड़गुर्जर ने कहा कि ऐसे कम लोग होते हैं जो अपने जीवन के बाद कालजयी यादें छोड़ जाते हैं। ओम प्रकाश भाटी नेम जी सभी हृदय सिंहासन पर हृदय सम्राट बन बसे हैं। शमीम अहमद शमीम ने कहा कि ये क्या क्या मंज़र हो चला वो खुदा की राह में अमन-चैन की नींद सो चला। पवन चड्ढ़ा ने कहा कि सबको साथ ले चलने वाले सही अर्थों में साहित्यकार थे। हरि किशन व्यास ने कहा कि निर्मल मन सेवाधारी कर्मठ, उद्धार मन, रच गये नया इतिहास। घनश्याम सिंह ने कहा कि साहित्य प्रेमी, उद्योगपति, कहां तूम चले गए
आज के कार्यक्रम में अनिल गहलोत, हरिश गहलोत, ईश्वर गहलोत, डालचंद गहलोत, परमेश्वर सोनी, मनस्वीनी सोनी, राजू लखोटिया, हनुमान कच्छावा, दिनेश प्रसाद काकड़ा, निसार, हनुमान प्रजापति, मूलचंद सोनी सम्पत सोनी भारत गोस्वामी आदि कई गणमान्य साहित्यानुरागी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन रामेश्वर साधक ने किया, कार्यक्रम के बाद में दो मिनट का मौन रखा गया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *