क्या अब नहीं मिलेंगे पिस्ता-बादाम ? क्या है इसके पीछे का ईरान-इजराइल कलेक्शन


Israel Iran War : नई दिल्ली , 19 जून। विश्व स्तर पर छिड़े तनाव का असर अब भारतीय रसोई और मिठाई की दुकानों तक पहुंच गया है। ईरान और इजराइल के बीच चल रही जंग और पाकिस्तान बॉर्डर के सील होने के बाद विदेशों से आने वाले ड्राईफ्रूट्स की सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसका सीधा असर बाजारों में पिस्ता, मामरा बादाम, किशमिश, अंजीर और अखरोट जैसे लोकप्रिय ड्राईफ्रूट्स के भावों पर पड़ा है। भारत में ज्यादा असर राजस्थान पर होगा, जहां सबसे ज्यादा मिठाई बनाई जाती है।




ड्राईफ्रूट्स की थाली से गायब हो सकते हैं पिस्ता-बादाम
ड्राईफ्रूट्स व्यापारियों के अनुसार, बीते एक महीने में ईरान से आने वाले पिस्ता के दाम 1500 से बढ़कर 2000 रुपये किलो हो गए हैं। मामरा बादाम 2000 से 3000 रुपये तक पहुंच चुका है, जबकि कुछ खास वैरायटी 5000 रुपये किलो तक बिक रही हैं। वहीं, किशमिश, अंजीर, काली दाख और सूंडेखानी जैसी वैरायटी के भावों में भी 30% से ज्यादा की वृद्धि देखी गई है।


पाक बॉर्डर सील के कारण व्यापार बाधित
पाकिस्तान बॉर्डर सील होने के बाद वहां से होकर आने वाली कई सूखी मेवा की खेप अटक गई है। इसका असर खासकर कंछारी किशमिश, सत्तार भाई बादाम और गुरबंदी बादाम पर पड़ा है। पहले जो ड्राईफ्रूट्स 800 से 1200 रुपये में मिलते थे, अब उनकी कीमत 1500 से 2000 रुपये तक पहुंच चुकी है।
काजू बना राहत का जरिया
मंदी के इस दौर में एकमात्र राहत काजू के बाजार से मिली है। भारत में रत्नागिरी, गोवा और विदेशों से बम्पर फसल आने के चलते काजू की कीमतें घटकर 900 से 1400 रुपये किलो तक पहुंच गई हैं, जबकि पहले यह 1000 से 1500 रुपये में बिकता था।
राजस्थान में अब भी भारी डिमांड
राजस्थान जैसे शहरों में ड्राईफ्रूट्स की डेली खपत 5000 किलो तक पहुंचती है। यहां के लोग एनर्जी और इम्युनिटी के लिए इनका अधिक सेवन करते हैं। लेकिन लगातार बढ़ते दामों ने व्यापारियों और ग्राहकों दोनों की चिंता बढ़ा दी है। अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जल्द शांति नहीं बनी तो ड्राईफ्रूट्स आम थाली से गायब हो सकते हैं और त्योहारों की मिठाइयों से भी इनका स्वाद कम हो सकता है।