भिक्षु चेतना वर्ष पर चेन्नई में भिक्षु भजनोत्सव का भव्य आयोजन

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ऋषि दुगड़ की स्वर लहरियों से गूंजा भिक्षु निलयम, मुनि मोहजीतकुमार ने कहा – आचार्य भिक्षु थे विधिवेता, कवि व साहित्यकार

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किलपॉक, चेन्नई , 10 जुलाई । आचार्य श्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के प्रथम चरण में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, किलपॉक द्वारा मुनिश्री मोहजीतकुमार के सान्निध्य में ‘भिक्षु भजनोत्सव’ एवं धम्मजागरणा का भव्य आयोजन भिक्षु निलयम के महाश्रमणम हॉल में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अर्हत वंदना व नमस्कार महामंत्र के साथ हुआ, जिसके बाद संगीतमय संध्या ने श्रद्धालु जनसमूह को भक्ति-रस में सराबोर कर दिया। सभा अध्यक्ष अशोक परमार ने इस अवसर पर भीलवाड़ा से विशेष आमंत्रण पर पधारे प्रसिद्ध संगायक ऋषि दुगड़ और समस्त श्रावक-श्राविकाओं का स्वागत किया। ऋषि दुगड़ ने तीन घंटे तक धर्मसंघ के नए व लोकप्रिय गीतों की मधुर प्रस्तुति से वातावरण को ‘भिक्षुमय’ कर दिया। उनकी स्वर-लहरियों ने उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया। मुनिश्री मोहजीतकुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्य भिक्षु केवल एक संत नहीं, बल्कि एक महान विधिवेता, सहज कवि और अद्भुत साहित्यकार भी थे। वे जब तक जिए, ज्योति बनकर जिए। उनका जीवन पुरुषार्थ की गाथाओं से भरा पड़ा है। मुनिश्री ने कहा कि जैसे हर हाथी के मस्तक पर गजमुक्ता नहीं होती, वैसे ही स्वर एक विशेष वरदान होता है, जिसे ऋषि दुगड़ जैसे कलाकार साधना से प्राप्त करते हैं।

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मुनि भव्यकुमार, मुनि जयेशकुमार और स्वयं मुनि मोहजीतकुमार ने भी आचार्य भिक्षु की आराधना में गीतों की प्रस्तुति देकर श्रद्धांजलि अर्पित की। तेरापंथ महिला मंडल की सदस्याओं ने ‘भिक्षु श्रद्धा स्वर’ गीत से भावांजलि दी, जिससे कार्यक्रम की गरिमा और अधिक बढ़ गई। इससे पूर्व प्रातः प्रवचन में मुनि मोहजीतकुमार ने भिक्षु चेतना वर्ष के प्रथम चरण की शुरुआत करते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु का जन्म केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि क्रांति, सिद्धांत, सहिष्णुता और शुद्ध साधना के संकल्प का जन्म था। उन्होंने सम्यक आचार और कठोर अनुशासन का पालन करते हुए जीवन को तप, त्याग और साधना का पर्याय बना दिया।

इस अवसर पर सभा मंत्री विजय सुराणा, महिला मंडल मंत्री श्रीमती वनिता नाहर सहित अनेक गणमान्यजनों ने अपने विचार रखे। श्रावक समाज द्वारा जप, तप व प्रत्याख्यान के माध्यम से भावांजलि समर्पित की गई। कार्यक्रम का समापन मंगल पाठ के साथ हुआ।

(समाचार सम्प्रेषक -स्वरूप चन्द दांती )

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