मुख्यमंत्री शर्मा का दावा: सिंधु जल समझौते का बचा हुआ पानी बीकानेर संभाग को मिलेगा, ट्रॉमा सेंटर का भी वादा

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बीकानेर, 8 जुलाई। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आज दावा किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान से रद्द हुए सिंधु जल समझौते से बचने वाला पानी बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और चूरू जिलों को मिलेगा। उन्होंने इन चारों जिलों को “बड़े सौभाग्यशाली” बताया और कहा कि सरकार अपने सभी वादों को पूरा करेगी। मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए उनके अधूरे वादों पर सवाल उठाए।

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मुख्यमंत्री शर्मा मंगलवार को बीकानेर के गुंसाईसर बड़ा में पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़े के तहत आयोजित शिविर का अवलोकन करने पहुंचे थे। उनके साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ भी मौजूद थे।

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सिंधु जल का लाभ और ट्रॉमा सेंटर का आश्वासन
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि “ऑपरेशन सिंदूर” के परिणामस्वरूप सिंधु जल समझौते से जो पानी बचेगा, वह विशेष रूप से बीकानेर संभाग के चार जिलों – बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और चूरू को आवंटित किया जाएगा।

इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री शर्मा ने श्रीडूंगरगढ़ में एक ट्रॉमा सेंटर स्थापित करने का भी आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि सरकार इसके लिए जमीन उपलब्ध कराएगी और आवश्यक बजट भी देगी। उन्होंने कांग्रेस पर इस मामले में सिर्फ घोषणाएं करने का आरोप लगाया, जिसमें एक व्यापारी को शामिल किया गया था, लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ट्रॉमा सेंटर के निर्माण को अंजाम देगी।

अंतिम व्यक्ति के कल्याण पर जोर
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि मोदी का मानना है कि जब तक समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का भला नहीं होगा, तब तक राजस्थान उत्कृष्ट नहीं बन पाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने “गरीब की परिभाषा ही बदल दी है।” मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर गरीबी हटाने की बात करने लेकिन गरीबों से दूर रहने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि सरकार गांव, गरीब और पिछड़े वर्ग के पास पहुंच रही है और इन शिविरों के माध्यम से अंतिम पंक्ति के व्यक्ति का सहयोग कर रही है, चाहे वह नामांतरण, हिस्सा बंटवारा, या रास्ते का काम हो। उन्होंने पशु टीकाकरण, पशु बीमा, पानी की टंकी की सफाई और बिजली व्यवस्था में सुधार जैसे कार्यों का भी उल्लेख किया।

डेढ़ साल में कोई पेपर लीक नहीं और किसान कल्याण
मुख्यमंत्री शर्मा ने युवाओं के लिए सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले डेढ़ साल में कोई पेपर लीक नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि अब तक 69 हजार लोगों को नियुक्ति दी गई है, और भर्ती प्रक्रिया का कैलेंडर जारी कर दिया गया है, जिससे युवाओं को अपने सपनों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

किसानों के लिए, मुख्यमंत्री ने किसान निधि, गेहूं के लिए बढ़ा हुआ समर्थन मूल्य और मूंगफली खरीद के लिए बढ़ा हुआ समय जैसी पहल गिनाईं। उन्होंने बताया कि 33 हजार गोपालकों को ऋण दिया गया है, और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए एक लाख रुपये का सहयोग दिया गया है। मुख्यमंत्री ने ईआरसीपी और यमुना जल समझौते के माध्यम से पानी के मुद्दों को हल करने और इंदिरा गांधी नहर के लिए चार हजार करोड़ रुपये आवंटित करने की बात कही, जिससे बीकानेर, चूरू और श्रीगंगानगर को लाभ होगा। उन्होंने यह भी बताया कि खाद्य मंत्री सुमित गोदारा द्वारा खाद्य सुरक्षा में 51 लाख नए नाम जोड़े गए हैं।

मुख्यमंत्री का विलंब से आगमन और जनसंवाद
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा निर्धारित समय से करीब डेढ़ घंटे विलंब से पहुंचे। उन्हें दोपहर 2:50 बजे गुसांईसर बड़ा हेलीपैड पहुंचना था, लेकिन वे लगभग 4 बजकर 20 मिनट पर पहुंचे। हेलीपैड पर खाद्य मंत्री सुमित गोदारा, विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड के चेयरमैन रामगोपाल सुथार, विधायक ताराचंद सारस्वत, डॉ. विश्वनाथ मेघवाल, अंशुमान सिंह भाटी, सिद्धि कुमारी, भाजपा अध्यक्ष सुमन छाजेड़ और श्याम पंचारिया, जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि, एसपी कावेंद्र सागर सहित अन्य अधिकारियों और नेताओं ने उनका स्वागत किया।

विधायक की मांगें और मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
श्रीडूंगरगढ़ विधायक ताराचंद सारस्वत ने मुख्यमंत्री के सामने ट्रॉमा सेंटर और एक सरकारी कॉलेज स्थापित करने की मांग रखी। सारस्वत ने हाईवे पर दुर्घटनाओं के कारण हो रही मौतों का जिक्र करते हुए ट्रॉमा सेंटर की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बीस-पच्चीस किलोमीटर के दायरे में कोई सरकारी कॉलेज नहीं है। विधायक के लंबे भाषण के बाद, मुख्यमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि उनके विधायक “होशियार” हैं और उन्होंने “दो मिनट के बजाय पूरे तीन पन्नों का भाषण” दिया है, जिसमें सभी मांगें और अधूरे काम शामिल हैं।

मुख्यमंत्री ने ‘भारत माता की जय’ के नारे के दौरान कम आवाज आने पर जनता को टोका और जोर से बोलने के लिए कहा। इसके बाद जब तेज आवाज में नारे लगे, तो उन्होंने पूनरासर और तौलियासर सहित सभी देवी-देवताओं के नारे लगवाए।

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