राम नाम जप के साथ हजारों श्रद्धालुओं के सैलाब ने हवनशाला की निकाली परिक्रमा संत-महात्माओं ने किया शाही स्नान


जगद्गुरु ने कहा- ‘नारी शक्ति का स्वरूप होती हैÓ यही भारतीय संस्कृति, रामायण-
महाभारत ने नारी सम्मान का सिखाया सबक
बीकानेर , 23 नवम्बर ।
मिनी अयोध्या बन गया है बीकानेर, मानो साक्षात् रामलला यहां विचरण कर रहे हैं। चहुंओर हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब राम नाम का जप करते हुए हवनशाला की परिक्रमा लगा कर पुण्य कमा रहे हैं।
गंगाशहर-भीनासर-सुजानदेसर गोचर भूमि में अस्थाई रूप से बसे सियाराम नगर में आयोजित 108 कुंडीय रामचरित मानस महायज्ञ आयोजन के पांचवें दिवस एकादशी के दिन संत-महात्माओं ने शाही स्नान किया। रामझरोखा कैलाशधाम के पीठाधीश्वर श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि आयोजन स्थल पर संत-महात्माओं के शाही स्नान हेतु कृत्रिम तालाब का निर्माण किया गया है, यहां विशेष अवसरों पर संत-महात्मा स्नान कर रहे हैं। जगद्गुरु पद्मविभूषित श्रीरामभद्राचार्यजी महाराज ने आज पांचवें सत्र की कथा में सीता-राम विवाह और लक्ष्मण का सखियों से संवाद सुनाया।

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जगद्गुरु ने कहा कि 10 हजार राजाओं के बीच शिवधनुष तोड़कर रामजी ने सीता के साथ विवाह किया। इसके बाद मारीच व सुबाहु वध का वर्णन भी किया गया। उन्होंने बताया कि आज हरित प्रबोधनी एकादशी के दिन मीराजी मेड़ता में प्रकट हुई थी उनको अब पूरे 525 वर्ष हो गए हैं। जगद्गुरु ने कहा कि जिसके जीवन में धर्मानुकूल आचरण होता है उसे ही विद्या मिलती है, जिसका जीवन धर्मपरायण होता है उस पर ही गुरुकृपा होती है। सीतारामजी हमारे प्राणधन हैं। इस जीवन में मर्यादा है तो सबकुछ है, मर्यादा ही नहीं तो कुछ नहीं।
जगद्गुरु पद्मविभूषित रामभद्राचार्यजी ने कहा कि जो सनातन धर्म पर कुठाराघात करें उनका साथ कभी न दें। उन्होंने कहा कि रामायण-महाभारत दोनों ग्रंथ महिला सम्मान के लिए लिखे गए। रावण ने सीताजी की परछाई का अपमान किया तो रावण का सर्वनाश हुआ और दुर्योधन ने जब द्रोपदी के चीरहरण का प्रयास किया तो उसका भी सर्वनाश हो गया। जगद्गुरु ने कहा कि अब विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम में रामायण-महाभारत पढ़ाए जाएंगे यह प्रस्ताव कमेटी द्वारा पारित किया गया है। यह काफी सुखद है कि बच्चे ग्रंथों को पढ़ेंगे तो महिला सम्मान का संस्कार रोपित होगा। जगद्गुरु ने आह्वान किया कि सभी बहनें लक्ष्मी बाई बनकर शत्रुओं को दंड देने के लिए तैयार रहे। अन्य देशों के मुकाबले हमारे देश में नारी का सम्मान अधिक है। यहां ‘या देवी सर्वभूतेष शक्तिरुपेण संस्थिाय कहा जाता है, नारी को शक्ति का रूप कहते हैं यही भारत की संस्कृति है।
कार्यक्रम संयोजक अशोक मोदी ने बताया कि आरती में मुख्य यजमान अविनाश मोदी, चंद्रेश अग्रवाल, राजाराम धारणिया, रूपचंद अग्रवाल, हितेश अग्रवाल, जसोदा गहलोत शामिल रहे। सचिव श्रीभगवान अग्रवाल ने बताया कि मनोज चांडक, जुगल अग्रवाल, रूपचंद अग्रवाल, किशनलाल मोदी, भंवरलाल मोदी, मूलचंद मोदी, डॉ. विकास पारीक, रामचंद्र अरोड़ा, मनीष मोदी ने पादुका पूजन किया एवं किशन कुमावत, प्रभुदयाल, हरिप्रकाश सोनी, दाऊ, जगदीश बुढानिया, हीरालाल कुलरिया, जेठमल गहलोत, रामजी, दिनेश गहलोत, मुरलीमनोहर, शिल्पा शर्मा, गोविन्द नैना, पूजा नैना ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।

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हजारों लोगों को सुबह अल्पाहार, दोपहर-शाम को वितरित हो रही भोजन प्रसादी, 120 कार्यकर्ताओं की टीम ने संभाल रखी है कमान

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108 कुंडीय रामचरित मानस महायज्ञ और श्रीराम कथा के इस दिव्य आयोजन ने सियारामनगर को अघोषित कुम्भ का रूप दे दिया है। हजारों श्रद्धालुओं के लिए अल्पाहार व भोजन की व्यवस्था भी नि:शुल्क की गई है। भोजन व्यवस्था प्रभारी कैलाश सोलंकी ने बताया कि लगभग 15 हजार लोगों के लिए भोजन तैयार होता है। सुबह 8 बजे अल्पाहार पोहा, उपमा, नमकीन, बिस्किट, ब्रेड, चाय-कॉफी व दूध नाश्ते में दिया जाता है। सुबह करीब ३500 जनों का अल्पाहार तथा शाम को 5000 से अधिक लोगों के लिए अल्पाहार तैयार होता है। करीब 12 बजे के बाद भोजन की सेवा शुरू हो जाती है, जिसमें रोजाना पहले से ही मैन्यू फिक्स रहता है। सब्जी-पूड़ी के साथ निश्चित रूप से मिठाई परोसी जाती है। इसी तरह शाम को लगभग 7 बजे कथा के पश्चात् भोजन शुरू हो जाता है, जो कि लगभग 10 बजे तक जारी रहता है। भोजनशाला प्रभारी कैलाश सोलंकी ने बताया कि पहले दिन सुबह-शाम मिलाकर कुल 7-8 हजार जनों का भोजन किया गया और अब निरन्तर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ते हुए दोनों समय करीब 16-17 हजार श्रद्धालुओं को भोजन करवाया जा रहा है।

एकादशी को देखते हुए व्रत करने वालों के लिए भोजन की व्यवस्था अलग से की गई थी, व्रत करने वालों के लिए अलग पांडाल और सहगार भोजन भी तैयार किया गया था। खास बात यह है कि यहां प्रभु की प्रसादी को सब एक समान रूप से ग्रहण करते हैं, बिना किसी अमीर-गरीब व ऊंच-नीच भेदभाव के एक पंक्ति बना कर प्रसादी ग्रहण करते हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि जितने भी जूठन पात्र हैं वहां एक व्यक्ति स्पेशल खड़ा रहता है ताकि यदि कोई भोजन की बर्बादी या जूठन छोड़ रहा हो तो उसे रोका जाता है। भोजन व्यवस्था से जुड़े लक्ष्मीनारायण सुथार ने बताया कि केवल एक दिन के लिए बाहरी लोगों के लिए टोकन की व्यवस्था की गई थी, बाद में उसे भी निरस्त कर सबके लिए भोजन व अल्पाहार नि:शुल्क कर दिया गया है। भोजन व्यवस्था में मुख्यरूप से सत्यनारायण सोलंकी, संतराम कच्छावा, लक्ष्मीनारायण सुथार, एके मोदी, एस भादानी, महेन्द्र शर्मा, दूलीचंद भाटी, शांतिलाल गहलोत, हनुमान गहलोत, मेघराज कच्छावा, मेघराज गहलोत, अजय गहलोत, प्रभु पडि़हार, जितेन्द्र गहलोत, भवानी जाजड़ा, लोकेश गहलोत, जयश्री भाटी, बेबी शर्मा, उषा गहलोत चंद्र पडि़हार आदि अनेक कार्यकर्ताओं का सहयोग रहता है।

24 घंटे चाय-कॉफी-दूध सेवा

दिव्य आयोजन में सेवाओं का दौर जबरदस्त देखा जा रहा है। 24 घंटे चाय-कॉफी व दूध की सेवा देना वाकई श्रद्धा को दर्शाता है। चाय-कॉफी-दूध व्यवस्था प्रभारी मनु सेवग ने बताया कि रोजाना लगभग 1100-१२०० लीटर दूध क्रय किया जाता है। लगभग आठ स्थानों पर चाय के स्टाल लगाए गए हैं। एक स्टाल पर तीन कार्यकर्ता हर समय उपलब्ध रहते हैं। प्रभारी मनु सेवग ने बताया कि चाय-कॉफी व दूध व्यवस्था के लिए भी मुख्य कार्यकर्ता बाला महाराज जोशी, अरविन्द सेवग, सैणसा जोशी, मांगीलाल जोशी ने कमान संभाल रखी है जो दूध-चायपत्ती, कॉफी, चीनी, इलायची, अदरक व केसर, गैस टंकी, चूल्हा, कप-गिलास आदि की सामग्री की उपलब्धता का ध्यान रखते हैं। इसके बाद सेवा शिविरों में, साधु-महात्माओं आदि शिविरों में केतली से चाय पहुंचाने के लिए 12 कार्यकर्ताओं की टीम भी अलग से बनाई गई है।

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