नंदिनी का स्कूल बाल उपन्यास का लोकार्पण
बीकानेर, 01 जनवरी। आज का समय बदल गया है और जब लंबी रचनाएं बड़े नहीं पढ़ रहे हैं ऐसे में कविता मुकेश का बाल उपन्यास का आना अपने आप में महत्त्वपूर्ण इसलिए है कि इस सरस बालोपयोगी उपन्यास को पढ़कर बच्चों में पढ़ने की आदत का विकास होगा।
उक्त उद्गार जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादेमी के पूर्व उपाध्यक्ष, राजस्थानी-हिंदी के वरिष्ठ व्यंग्यकार-कथाकार एवं सम्पादक बुलाकी शर्मा ने पवनपुरी स्थिति स्वांगन में आयोजित कवयित्री, कथाकार कविता मुकेश के पहले बाल उपन्यास ‘नंदिनी का स्कूल’ का लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बाल साहित्य के अंतर्गत ऐसी बहुत कम रचनाएं हैं जिनको बच्चों के अनुकूल उनकी मनोभावनाओं को समझते हुए लिखा और प्रकाशित किया गया हो, यह उपन्यास इस मायने में एक सफल बाल उपन्यास कहा जाएगा।
नेगचार संस्था की ओर से आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थानी के कवि, कथाकार, आलोचक डा. नीरज दइया ने उपन्यास की बाल नायिका नंदिनी के क्रमिक विकास के साथ स्वभाविक विकास को महत्त्वपूर्ण बताते हुए कहा कि उपन्यास में नंदिनी के चरित्र का इस प्रकार विकास हुआ है कि उसे एक बार पढ़ जाने पर हम सदैव याद रखेंगे यही इस उपन्यास की सार्थकता है।
विशिष्ट अतिथि कवि-कहानीकार नवनीत पाण्डे ने कहा कि कविता मुकेश बालमन को पढ़ने वाली रचनाकार है और इस उपन्यास में उन्होंने नंदिनी के माध्यम बच्चों के दैनिक जीवन की प्रवृतियों यथा स्कूल टाइम और अपने परिवेश के प्रति सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार को केंद्र में रखते हुए बच्चों के बारे में बहुत ही महत्त्वपूर्ण समस्याओं को उठाया है।
कहानीकार मुकेश पोपली ने कहा कि यह उपन्यास बहुत सरल भाषा में लिखा गया है और इसमें बाल मनोविज्ञान को ध्यान में रखते हुए नंदिनी के जीवन के अनेक पक्ष प्रस्तुत हुए हैं। गीतेश पोपली ने आभार व्यक्त किए।