लक्ष्मीनारायण रंगा की स्मृति में रचना वाचन प्रतियोगिता के विजेता पुरस्कृत हुए

बीकानेर, 9 जनवरी। हिन्दी-राजस्थानी साहित्य के ख्यातनाम साहित्यकार, रंगकर्मी, चिन्तक एवं शिक्षाविद् लक्ष्मीनारायण रंगा की स्मृति में आयोजित दसवीं साहित्य एवं सृजनात्मक श्रृंखला में इस बार बालक-बालिकाओं द्वारा रंगा की रचित राजस्थानी-हिन्दी की कविताओं के साथ उनकी बोधकथाओं एवं लघुकथाओं आदि से ‘रचना वाचन प्रतियोगिता’ का आयोजन नालन्दा परिसर स्थित सृजन सदन में आज दोपहर आयेाजित किया गया।
प्रज्ञालय संस्थान एवं श्रीमती कमला देवी-लक्ष्मीनारायण रंगा ट्रस्ट के साझा आयोजन में इस बार बतौर सहयोगी संस्था नालन्दा करूणा क्लब इकाई ने भी अपनी रचनात्मक सहभागिता का निवर्हन किया। नगर में पहली बार किसी वरिष्ठ साहित्यकार की दो भाषाओं और विधाओं की रचनाओं का बालक एवं बालिकाओं के लिए रचना वाचन प्रतियोगिता का आयोजन होना नवाचार है।
आयोजक शिक्षाविद् राजेश रंगा ने बताया कि लक्ष्मीनारायण रंगा की चर्चित काव्य कृति ‘सावण फागण‘ से कविता एवं ‘आज के दोहे‘ पुस्तक से दोहों का वाचन प्रतिभागियों ने किया तो उनकी ‘बाल लोककथाएं’ ‘जंगल चेहरों का’ से बोधकथाएं एवं ‘टुकडा-टुकड़ा चेहरा’ पुस्तक की लघुकथाओं के साथ उनके पुरस्कृत नाटक ‘पूर्णमिद्म’ के संवादो का रचना वाचन करीब पांच दर्जन से अधिक प्रतिभागियों ने किया।
कार्यक्रम के प्रभारी हरिनारायण आचार्य ने बताया कि उक्त रचना वाचन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर हरेन्द्र बोड़ा रहे ,  द्वितीय स्थान पर राम कला सारण एवं तृतीय स्थान पर कृतिका बोडा रही। रचना वाचन प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में श्रीमती वंदना व्यास, श्रीमती प्रीति राठौड़ एवं चन्द्रशेखर स्वामी थे। कार्यक्रम संयोजक आशिष रंगा ने बताया कि रचना वाचन प्रतियोगिता में सफल रहे प्रथम तीन प्रतिभागियों को श्रीमती कमला देवी-लक्ष्मीनारायण रंगा ट्रस्ट के द्वारा प्रतीक चिह्न के माध्यम से सम्मान अर्पित किया गया अर्पित करने वाले शिक्षक भवानी सिंह, प्रियंका व्यास एवं रमेश हर्ष थे।
प्रतियोगिता के साथ ही रंगा की वाचित रचना पर संक्षिप्त चर्चा का आयोजन भी इस अवसर पर रखा गया जिसमें गिरधर पारीक, मनमोहन जी सुथार, किशोर जोशी, मुकेश स्वामी, मुकेश तंवर, विजय गोपाल पुरेाहित, सीमा पालीवाल, सीमा स्वामी, अविनाश व्यास, प्रियदर्शनी शर्मा, मुकेश देराश्री, प्रताप सोढा, दुर्गारानी व्यास, प्रवीण राठी, हेमंत व्यास आदि ने चर्चा में अपनी सहभागिता निभाते हुए कहा कि लक्ष्मीनारायण रंगा की कविताएं, बोधकथाएं, लघुकथाएं एवं राजस्थानी बाल कथाएं काफी रोचक और आज भी प्रासंगिक तो है ही साथ ही शिक्षाप्रद एवं बालोपयोगी रचना है।
इस अवसर  पर उपस्थित गणमान्य लोगों ने जिनमें प्रमुख रूप से गिरिराज पारीक, संजय सांखला, गंगाबिशन विश्नोई सहित सभी ने इन रचनाओं का बालक बालिकाओं द्वारा प्रतियोगिता में वाचन करना वो भी बतौर प्रतिभागी के रूप में एक नई पहल है। जिससे निश्चित तौर पर बालकों में साहित्य के प्रति लगाव और गहरा होगा और उनकी पठन पाठन की आदत में भी इजाफा होगा। जिससे पुस्तक संस्कृति को बल मिलेगा।

bhikharam chandmal

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