प्रथम ‘राष्ट्रीय गो उद्यमिता प्रोत्साहन पुरस्कार’ डॉ. कथीरिया को दिया जाएगा

stba

हमारे सोशल मीडिया से जुड़े!

बीकानेर, 11 जनवरी । राजस्थान गौ सेवा परिषद, ने ‘गौ टेक-2023’ के दौरान स्व. भंवर लाल जी कोठारी की स्मृति में ‘गो उद्यमिता प्रोत्साहन’ के क्षेत्र में प्रथम पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की थी। जीसीसीआई के संस्थापक डॉ. कथीरिया को गौ सेवा और उनके अथक प्रयासों के लिए 13 जनवरी, 2024 को सुबह 11 बजे बीकानेर के जिला उद्योग संघ में सम्मानित किया जाएगा।

L.C.Baid Childrens Hospiatl

हेम शर्मा, अध्यक्ष, रा.गो.से.प. ने बताया कि इस समारोह में स्वामी विमर्शानंद गिरि, महंत लालेश्वर महादेव मंदिर का सान्निध्य प्राप्त होगा। वहीं, अध्यक्षता पूर्व सिंचाई मंत्री व भाजपा नेता देवी सिंह भाटी करेंगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सहकार भारती के राष्ट्रीय प्रमुख- दीनानाथ ठाकुर एवं विशिष्ट अतिथि- विधायक जेठानंद व्यास, अंशुमान सिंह भाटी होंगे। विशेष वक्तव्य प्रो. सतीश के. गर्ग, कुलपति राजुवास का होगा। वहीं स्वागत भाषण राजुपास के पूर्व कुलपति डॉ. ए. के. गहलोत देंगे। समारोह समापन के बाद इसी दिन 13 जनवरी, 2024 को दोपहर 2 बजे जीसीसीआई राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की पहली ऑफलाइन बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।

mona industries bikaner

हेम शर्मा ने बताया कि हम उपरोक्त समारोह में आपकी सम्मानित उपस्थिति चाहते हैं। साथ ही जीसीसीआई राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की पहली बैठक के लिए सुझावों के रूप में सक्रिय भागीदारी की मांग करते हैं। पुष्टि की एक पंक्ति की अत्यधिक सराहना की जाएगी।

राजस्थान गो सेवा परिषद के राष्ट्रीय संयोजक पूर्व कुलपति डॉ. ए. के. गहलोत ने बताया कि “राष्ट्रीय गो उद्यमिता प्रोत्साहन पुरस्कार भंवर लाल कोठारी की स्मृति में डॉ. वल्लभ भाई कथीरिया को दिया जाएगा। इस समारोह में जीसीसीआइ के देशभर से प्रतिनिधि शिरकत करेंगे। राजस्थान गो सेवा परिषद ‘देश में गो पालकों को गोबर और गोमूत्र का पैसा मिले, गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बने’ इस उद्देश्य को लेकर साल 2016 से कार्यरत है। इस मुद्दे पर प्रदेश और राष्ट्रीय स्तरीय कई सम्मेलन करवाए गये।

राज्य सरकारों, केंद्र सरकार, भारत सरकार के नीति आयोग और राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का ध्यान आकृष्ट किया गया। हमने इस बात पर बल दिया कि विभिन्न स्तरों पर ऐसी नीतियां बननी चाहिये जिससे गो पालक को गोबर-गोमूत्र का पैसा मिले और देश में गो उत्पाद आधारित उद्यमिता का नया सेक्टर विकसित हो। इसके लिए परिषद 13 राज्यों की 168 संस्थाओं के संपर्क में है।”

गोबर खाद और गोमूत्र से बने कीट नियंत्रक रसायनिक खेती का विकल्प बने। मृदा रसायन से मुक्त हो। जैविक कृषि उत्पादों से मानव स्वास्थ्य सुरक्षित रहे। कृषि उत्पाद रसायनिक दुष्प्रभाव मुक्त रखे जाएं। मिट्टी, पानी, हवा और पर्यावरण पर रासायनिक खेती के जीव जगत पर होने वाले घातक प्रभावों से मुक्ति मिले। अगर गोबर-गोमूत्र का गो पालकों को पैसा मिलेगा तो गाय पालन और ज्यादा फायदे का काम हो सकेगा। देश में गो धन आधारित आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। दूध का उत्पादन बढ़ेगा। आर्थिक समृद्धि आएगी।

भारत दुनिया का वो देश है, जहां गो आधारित उद्यमिता (नया औद्योगिक सेक्टर) का विकास हो रहा है। अभी 300 से ज्यादा गो आधारित उत्पादों का विपणन हो रहा है। इस उद्योग की इंडस्ट्री के लिए मशीनरी बनाई जा चुकी गई है। गो आधारित उद्यमिता का भविष्य में विकास होगा। इसी भावना से राजस्थान गो सेवा परिषद ने राष्ट्रीय गो उद्यमिता प्रोत्साहन पुरस्कार की घोषणा की है। जिसका पहला पुरस्कार राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री भारत सरकार और जीसीसीआई के अध्यक्ष डॉ. वल्लभ भाई कथीरिया को दिया गया है।

डॉ. गहलोत ने यह भी बताया कि “राजस्थान गो सेवा परिषद का राजस्थान सरकार, विभिन्न प्रदेशों की सरकारें, नीति आयोग और भारत सरकार से अपील है कि ऐसी नीतियां बनाएं जिससे गोपालक को गोबर गोमूत्र का पैसा मिल सकें। यह प्रमाणित है कि गोबर गोमूत्र ऊर्जा का सतत स्रोत है। जमीन का पोषण है। गोबर-गोमूत्र का महत्व पौराणिक ग्रंथों में भी वर्णित है। वैज्ञानिक रूप से इनकी उपादेयता सिद्ध है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान गो सेवा परिषद तो सबका ध्यान आकर्षित करने और इस मुद्दे पर पर काम करने का एक मंच है। इसमें राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विवि के एमओयू के तहत परिषद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम रहा है। जीसीसीआई भी परिषद के इस उद्देश्य में नीतिगत रूप से सहयोगी है। आप सबके सहयोग से इस उद्देश्य को संबल मिलेगा।

थार एक्सप्रेसCHHAJER GRAPHISshree jain P.G.College

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *