राजस्थान में एक बार फिर आरक्षण आंदोलन हाई वे जाम की चेतावनी
- धौलपुर-भरतपुर के जाटों ने डाला महापड़ाव
- पटरियां उखाड़ने, ट्रेनें रोकने और हाईवे जाम करने की चेतावनी
जयपुर , 17 जनवरी। राजस्थान में आरक्षण का जिन्न समय-समय पर बाहर आता रहा है और राजनीतिक पार्टियों ने भी इसे खूब भुनाया है। अब जाट समाज भी पुनः अपने लिए अलग से आरक्षण की मांग को लेकर उठ खड़ा हुआ है। जाट समाज ने आंदोलन की चेतावनी भी दे दी है।
बीकानेर के आसपास अभी इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है। लेकिन आंदोलन के गति पकड़ने पर इसका असर पूरे राजस्थान में देखने को मिल सकता है। जैसा नजारा गुर्जर आंदोलन के दौरान देखने को मिला था। गुर्जर आंदोलन के वक्त देखा गया था कि पूरे राजस्थान में हाईवे और रेल पटरियां जाम कर दी गई थी।
राजस्थान में एक बार फिर आरक्षण को लेकर आंदोलन शुरू हुए आन्दोलन में भरतपुर-धौलपुर के जाटों को केंद्र में आरक्षण की मांग को लेकर जाट समाज ने बुधवार से भरतपुर के जयचौली रेलवे स्टेशन के पास महापड़ाव डाल दिया है। सरकार को 22 जनवरी तक का अल्टीमेटम दिया गया है। अगर मांग पूरी नहीं हुई तो पटरियां उखाड़ने, ट्रेनें रोकने और हाईवे जाम करने की चेतावनी दी है।
भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने कहा– 7 जनवरी को डीग के जनूथर में हुंकार सभा में केंद्र सरकार को 10 दिन का समय दिया गया था। सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। आज से दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक के पास जयचौली में महापड़ाव डाला गया है। दूसरा महापड़ाव बेडम गांव (भरतपुर) और तीसरा रारह (भरतपुर) में होगा।
22 जनवरी तक हम गांधीवादी तरीके से आंदोलन करेंगे। अगर सरकार ने मांग पूरी नहीं की तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। इसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी। उन्होंने कहा- साल 2017 का आंदोलन सरकार देख चुकी है। हमने सरकार को पूरा मौका दिया है कि वो भरतपुर-धौलपुर के युवाओं के बारे में सोचे और फिर निर्णय ले।
महापड़ाव को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात
महापड़ाव को देखते हुए यहां पुलिस जाब्ता तैनात किया गया है। रेलवे ट्रैक पर भी पुलिसकर्मी मौजूद है। यहां से जयचौली का रेलवे स्टेशन 5 सौ मीटर की दूरी पर है। गांव में जगह-जगह पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। सुरक्षा के तहत यहां 6 आरएसी की कंपनी, संबंधित थाने समेत 180 पुलिसकर्मी, 100 RPF और GRPF के जवान मौजूद है।
2015 में केंद्र ने खत्म किया था आरक्षण
भरतपुर और धौलपुर जिले के जाटों को केंद्र में आरक्षण दिए जाने की मांग साल 1998 से चल रही है। 2013 में केंद्र की मनमोहन सरकार ने भरतपुर और धौलपुर जिलों के साथ अन्य 9 राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी का आरक्षण दिया था। 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेकर 10 अगस्त 2015 को भरतपुर- धौलपुर के जाटों का केंद्र और राज्य में ओबीसी आरक्षण खत्म कर दिया गया। लंबी लड़ाई लड़ने के बाद 23 अगस्त 2017 को पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार में दोनों जिलों के जाटों को ओबीसी में आरक्षण दिया गया था, लेकिन केंद्र ने यह आरक्षण नहीं दिया।
पूर्व सीएम आरक्षण के लिए केंद्र में कर चुके हैं सिफारिश
सितंबर 2021 में जब जाट समाज ने चक्का जाम का ऐलान किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 28 दिसंबर 2021 को दोनों जिलों के जाटों को केंद्र में ओबीसी में आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश पत्र लिखा था। जिसके बाद आरक्षण संघर्ष समिति से दिल्ली ओबीसी कमीशन मिला। केंद्र सरकार के मंत्रियों से भी मुलाकात की, लेकिन आरक्षण नहीं मिल सका।
क्यों नहीं मिला था आरक्षण
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सीकर में उन्हाेंने राजस्थान के जाटों को केंद्र में ओबीसी में शामिल करने की घोषणा की थी, लेकिन भरतपुर और धौलपुर को इसलिए शामिल नहीं किया गया था, क्योंकि वहां जाट पूर्व राजपरिवार से जुड़े थे।