कांग्रेस सरकार के संविदा नियुक्ती वालों को हटाने के निर्णय पर हाई कोर्ट का स्टे

  • संविदा पर लगे कार्मिक को हटाने पर अदालत की रोक:कांग्रेस सरकार जाते ही संविदा टीचर को हटाने पर हाई कोर्ट की रोक, शिक्षा विभाग को नोटिस

बीकानेर , 19 जनवरी। सरकार बदलने के साथ ही संविदा पर लगे टीचर को हटाने के शिक्षा विभाग के आदेश पर जोधपुर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। इस टीचर को जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश पर लगाया गया लेकिन प्रिंसिपल ने संविदा सेवा खत्म करने के आदेश जारी कर दिए।

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इस टीचर को स्वायत शासन विभाग के आदेश का हवाला देते हुए हटाया गया, जिस पर टीचर ने आपत्ति दर्ज कराते हुए उच्च न्यायालय में रिट लगा दी।टीचर रमजान अली को सरकारी सीनियर सैकंडरी स्कूल गिन्नाणी पंवारसर में संविदा पर नियुक्ति प्राप्त की थी। वो पहले सरकारी सेवा में थे और सेवानिवृति के बाद फिर से काम शुरू किया था।

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प्रदेश में कांग्रेस की सरकार हटने के बाद भाजपा सरकार ने एक आदेश जारी कर संविदा पर लगे सभी कर्मचारियों को हटा दिया था। रमजान अली की सेवानिवृति 28 फरवरी 22 को ग्रेड थर्ड लेवल टू (सामाजिक विज्ञान) के पद से हुई थी। सेवानिवृति पश्चात दिनांक एक मई 23 को जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक शिक्षा (मुख्यालय), बीकानेर ने संविदा के आधार पर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गिन्नाणी पंवारसर में ग्रेड थर्ड के रिक्त पद पर पुनः नियुक्ति दी गयी।

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याचिका कर्ता के पुनः नियुक्ति आदेश में यह स्पष्ट रूप अंकित था कि “यह पुनः नियुक्ति आगामी एक वर्ष या नियमित अध्यापकों की नियुक्ति होने तक जो भी पहले हो” तक के लिये की जाती है। आठ महीने बाद ही राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गिन्नाणी पंवारसर के प्रिंसिपल ने 13 जनवरी को यह कहते हुए संविदा समाप्त कर दी कि स्वायत शासन विभाग ने संविदा के रूप में ली जा रही सेवानिवृति अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवायें समाप्त कर दी है। अतः प्रार्थी को विद्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। आगे का वेतन देय भी नहीं है।

इस पर अधिवक्ता एडवोकेट प्रमेंद्र बोहरा के माध्यम से रिट याचिका उच्च न्यायालय जोधपुर के समक्ष प्रस्तुत की। उच्च न्यायालय के समक्ष प्रार्थी के अधिवक्ता का यह तर्क था कि रमजान को जिला शिक्षा अधिकारी ने संविदा पर लगाया था, ऐसे में प्रिंसिपल को अधिकार ही नहीं है कि उसे हटा सके। दूसरा आदेश में स्पष्ट अंकित था कि यह नियुक्ति एक वर्ष या नियमित अध्यापक मिलने तक के लिये की गयी है। वर्तमान में प्रार्थी की नियुक्ति को ना तो एक वर्ष हुआ व ना ही नियमित अध्यापकों की नियुक्ति हुई।

दूसरा तर्क यह भी था कि प्रधानाचार्य द्वारा सेवा पृथक्करण आदेश में यह अंकित करना कि स्वायत शासन विभाग द्वारा सभी संविदा कार्मिकों की सेवायें समाप्त कर दी है अतः प्रार्थी की सेवायें भी समाप्त की जाती है वो सर्वथा विधि विरूद्ध व अनुचित है। क्योंकि प्रार्थी स्वायत शासन विभाग का कर्मचारी ना होकर माध्यमिक शिक्षा विभाग का कर्मचारी है।

अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए उच्च न्यायालय ने याचिका कर्ता रमजान अली के प्रधानाचार्य द्वारा जारी सेवा पृथक्करण आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत रिट् याचिका पर अंतरिम रोक लगा दी। माध्यमिक शिक्षा विभाग को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है।

 

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