जागरूक नागरिक और लोकतंत्र विषयक संगोष्ठी तथा सम्मान कार्यक्रम का आयोजन

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बीकानेर , 25 जनवरी। भारतीय लोकतंत्र विश्व में अहम स्थान रखता है तथा समय के साथ भारतीय लोकतंत्र निरंतर मजबूत होता रहा है एवं विश्व के समक्ष अनुकरणीय उदाहरण भी प्रस्तुत करता रहा है ।

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लेकिन देखना यह भी होगा कि क्या वोट देने वाले ही जागरूक नागरिक हैं ? यह सवाल उठाते हुए वरिष्ठ चिंतक ,विचारक, कवि उपन्यासकार ,पत्रकार हरीश बी शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र में वोट नहीं देने वाले भी सत्ता के साथ जुड़कर अपरिहार्य होते हुए भी देखे गए हैं । इसलिए लोकतंत्र की परिपेक्ष्य में जागरूक नागरिक कौन है यह भी एक बड़ा सवाल है जिसका हल हमें ही ढूंढना होगा ।

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हरीश बी शर्मा अस्मत अमीन हाउस, अमर सिंह पुरा में जागरूक नागरिक और लोकतंत्र विषयक संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में अपना वक्तव्य दे रहे थे । उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जागरुकता जरूरी है और यह लोकतंत्र का प्रमुख आधार भी है। लोकतंत्र को बनाए रखने की जिम्मेदारी भी मुख्य रूप से नागरिकों पर ही है। इसलिए आम अवाम को सार्थक रूप में जागना होगा तभी लोकतंत्र बचेगा। उन्होंने नागरिक शब्द को व्यापक परिपेक्ष्य में देखने की आवश्यकता पर बल दिया ।

कार्यक्रम के प्रारंभ में युवा कथाकार अरमान नदीम ने संस्था की ओर से अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की विस्तार से जानकारी दी। संविधान की उद्देशिका का पाठ सोशल प्रोग्रेसिव सोसायटी के अध्यक्ष साहित्यकार नदीम अहमद नदीम ने किया ।

सम्मान समारोह और संगोष्ठी में विचार रखते हुए वरिष्ठ साहित्यकार रवि पुरोहित ने कहा की सामाजिक सरोकारों को निभाने वाले तथा समाज को नवीन विचार देने वाले नागरिकों का सम्मान लोकतंत्र के लिए बेहद जरूरी है। रवि पुरोहित ने कहा की लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहना परम सौभाग्य की बात है।

रंगकर्मी जीत सिंह ने मंचीय अंदाज में बेहतरीन नज़्म प्रस्तुत की जिसकी सभी ने प्रशंसा की । जीत सिंह की प्रस्तुति ने सभी को भावुक कर दिया । शिक्षाविद और लेखक शिवनाम सिंह ,साहित्यकार अंक शास्त्री डॉ कुमार गणेश ,साहित्यकार इसरार हसन कादरी, चित्रकार अनिकेत कच्छावा, साहित्यकार श्रीमती मनीषा आर्य सोनी को संस्था की ओर से मुफ्ती सद्दाम हुसैन, इमरोज नदीम, राजाराम स्वर्णकार, डॉक्टर अजय जोशी, डॉक्टर मोहम्मद फारूक, सरदार दर्शन सिंह ,सरदार नरेंद्र सिंह ,मकसूद हसन कादरी ,एडवोकेट रईस अहमद कादरी, अनुराग शर्मा, हर्षवर्धन सिंह सिद्धू ने सम्मान पेश किया।

कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ शायर गुलाम मोहिउद्दीन माहिर ने सम्मान कार्यक्रम और संगोष्ठी की सार्थकता पर बात करते हुए कहा की वर्तमान में युवाओं को लोकतांत्रिक मूल्य से शिक्षित और दीक्षित करने के लिए ऐसे कार्यक्रम बहुत जरूरी है। सामाजिक विभूतियों को सम्मान पेश करने का अर्थ यह है कि समाज उनकी सेवाओं का आदर कर निरंतर कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है।

हाजी रफीक अहमद, एडवोकेट शमशाद अली, मकसूद हसन कादरी, अलादीन निर्बान ,अब्दुल रऊफ राठौड़,अनुराग शर्मा, श्रीमती तसनीम बानो, शेर मोहम्मद की गरिममय उपस्थिति रही । कार्यक्रम के अंत में इमरोज़ नदीम ने आभार व्यक्त करते हुए संस्था रचनात्मक सामाजिक कार्यों के लिए संकल्पित है।

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