बीकानेर जिले के अली-गनी की जोड़ी को पदमश्री सम्मान, राजस्थान से चार तथा देश में कुल 132 पद्म पुरस्कार

नयी दिल्ली , 26 जनवरी। देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार में शामिल पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री की घोषणा गुरुवार को की गई है। इस वर्ष दिए जाने वाले 132 पद्म पुरस्कारों में 5 पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 110 पद्मश्री पुरस्कार शामिल हैं। पद्मश्री पाने वालों में राजस्थान की चार हस्तियां शामिल हैं।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

राजस्थान के लक्ष्मण भट्ट तैलंग, माया टंडन, अली-गनी मोहम्मद और जानकीलाल को मिलेगा पद्मश्री सम्मान

mmtc
pop ronak
जानकीलाल भांड

जानकीलाल भांड-पद्म अवॉर्ड हासिल करने वालों में पहला नाम भीलवाड़ा के जानकीलाल भांड का है, जो कि स्वांग कला के प्रसिद्ध कलाकार हैं। 81 वर्षीय जानकीलाल बहरूपिया कलाकार हैं और इन्हें बहरूपिया बाबा के नाम से भी जाना जाता है।

khaosa image changed
CHHAJER GRAPHIS
लक्ष्मण भट्ट तैलंग

लक्ष्मण भट्ट तैलंग – ध्रुपद गायक पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग, जिन्होंने दुनिया भर में ध्रुपद गायन को विशिष्ट स्थान दिलाया। 93 साल के सुविख्यात ध्रुवपदाचार्य को पद्म अवॉर्ड से सम्मानित किया जाना है।

डॉ. माया टंडन

डॉ. माया टंडन – जेके लोन अस्पताल की पूर्व अधीक्षक 85 वर्ष की डॉ. माया टंडन 1995 में सेवानिवृत्त होने के बाद से सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काम करती हैं। सहायता संस्था की अध्यक्ष हैं और सड़क हादसों में घायल हुए लोगों की जान बचानेमें जुटी हुयी है।

अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद

अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद – बीकानेर के तेजरासर गांव के रहने वाले अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद की जोड़ी ने संगीत के क्षेत्र में गजल संगीत के साथ ही मांड गायकी को भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया है।

 

गजल गायकी और मांड गायकी ‘उस्ताद’ अली-गनी भाई

 बीकानेर के तेजरासर जैसे छोटे से गांव से निकलने वाले अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद भाइयों की जोड़ी को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा. दोनों भाइयों की जोड़ी ने ग़ज़ल गायकी को नए मक़ाम पर पहुंचाया है. अली- गनी बंधुओं ने ग़ज़ल को सुगम और सहज संगीत के साथ जोड़ा.

बीकानेर के मूल निवासी दो भाइयों ने छह साल की आयु में शुरू किया था संगीत का सफर। मांड गायन और संगीत से ख्याति पाने वाली अली-गनी की जोड़ी को पदमश्री सम्मान से नवाजा गया है।

जिले के तेजरासर गांव से निकले दो भाइयों अली-गनी ने गायकी और अपने संगीत से दुनिया को अपना मुरीद बना लिया। छह साल की आयु में पिता सिराजुद्दीन से संगीत के सुर-ताल सीखे और फिर उस्ताद मुनव्वर अली से कोलकाता में शास्त्रीय संगीत के साथ ठुमरी, दादरा सीखी।

आकाशवाणी में गाने की शुरुआत करने के बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। राजस्थान की धरोहर मांड गायन में अपनी सुरीली आवाज से ख्याति दिलाने का श्रेय भी अली-गनी की जोड़ी को जाता है। भारत सरकार की ओर से इस जोड़ी को पदमश्री से नवाजने की घोषणा की गई है।

पिता बने पहले गुरु

अली-गनी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उस्तादों से मिली शिक्षा और जनता से गायकी और संगीत को मिले प्यार की बदौलत आज उन्हें यह सम्मान मिला है। उन्होंने अपनी संगीत और गायन की यात्रा के बारे में बताया कि 6 साल की आयु में पिता पहले गुरु बने। पटियाला संगीत घराने से ताल्लुकात रखते हैं। दोनों भाइयों की आयु अब 61 ओर 64 साल की हुई है। इस आयु तक जीवन यात्रा में संगीत की तपस्या से सम्मान मिलना उनके लिए बड़ी बात है।

गजल के 12 एलबम में दिए और संगीत से छा गए

अली-गनी ने गजल गायक पंकज उधास की 12 गजलों की एलबम के लिए संगीत संयोजन किया। इनमें तेरे हाथ में शराब है, सच बोलता हूं…, चुपके-चुपके सखियों से वो बातें करना भूल गई… को हर महफिल में गाते हैं। वर्ष 1996-97 में मांड गायन में मीरा के भजन का एलबम म्हारा सांवरिया और इस जोड़ी का गाया पधारो म्हारे देश को खूब पसंद किया गया। लता मंगेशकर भी इनकी गायकी की प्रशंसक थी।

 

bhikharam chandmal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *