महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला सम्पन्न

पर्सनालिटी डेवलपमेंट एवं कम्यूनिकेशन स्किल” पर आयोजित हुई कार्यशाला

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बीकानेर, 27 जनवरी। एमजीएसयू में अंग्रेजी विभाग एवं कौशल एवं उद्यमिता विकास केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का शनिवार को समापन हुआ।
कार्यशाला में सहायक आचार्य डॉ प्रगति सोबति ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान कार्यशाला में 80 प्रतिभागी शामिल हुए और विभिन्न विषयों के विषय विशेषज्ञों ने समय प्रबंधन ,संप्रेषण कला, पर्सनेलिटी डेवलपमेंट आदि पर विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे गए।

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उन्होंने बताया कि प्रथम सत्र में सह आचार्य, गवर्नमेंट डूंगर कॉलेज के डॉ मनीष महर्षि ने संप्रेषण की प्रगमेटिक्स पर व्याख्यान दिया । सेंटर फॉर एंटरप्रेन्योर और स्किल डेवलपमेंट की डायरेक्टर डॉ सीमा शर्मा ने तीन दिवसीय कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत की। सत्र की अध्यक्षता करते महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुल सचिव अरुण प्रकाश शर्मा ने कहा कि ऐसी कार्यशालाएं समय-समय पर आयोजित की जानी चाहिए ताकि छात्र-छात्राओं का चहुंमुखी विकास हो सके। उन्होंने युवाओं को जीवन के हर पल को पूरी तरह से जी लेने का जज्बा पैदा करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में छात्र प्रतीक ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि कार्यशाला से जीवन में समय का सदुपयोग, ज्ञान, उपयोगी साहित्य का अध्ययन, संप्रेषण की अलग-अलग कलाएं महत्व एवं बॉडी लैंग्वेज आदि की महत्ता की जानकारी मिली।छात्रा लविका वर्मा ने भी अपने अनुभव साझा किए ।

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सहायक रजिस्ट्रार डॉ बिट्टल बिस्सा ने कहा कि “आज संप्रेषण का महत्त्व हमारे जीवन के सामाजिक, आर्थिक, प्रशासनिक एवं शिक्षा जैसे आदि क्षेत्रों में बढ़ गया है। तकनीकी विकास ने इसके महत्त्व को और बढ़ा दिया है। ज्ञान-विज्ञान और सूचना को लोगों तक पहुँचाने में संप्रेषण की उपयोगिता बढ़ गई है। साथ ही इसके समक्ष सूचना को सरल, सुगम और कम से कम समय में जन सुलभ बनाने की चुनौती है।

अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार छंगाणी ने बताया कि परिवार से लेकर जनसमूह, राष्ट्र या विश्व तक के सुचारु संचालन में संप्रेषण की महती भूमिका है। इसके अभाव में न समाज टिक सकता है और न ही राष्ट्र या विश्व।”

सत्र के मुख्य अतिथि डॉ रविंद्र मंगल ने छात्र-छात्राओं को पुस्तकों की महता बताते हुए सफल संप्रेषण के लिए ज्ञान सुनने की दक्षता सीखने का गुण विकसित करने को प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि “समय प्रबंधन व्यक्ति को समय का पाबंद और अनुशासित बनाता है । प्रभावी समय प्रबंधन के परिणाम स्वरूप व्यक्ति तब काम करना सीखता है जब वास्तव में इसकी आवश्यकता होती है। समय का विवेकपूर्ण उपयोग करने के लिए, व्यक्तियों को दिन की शुरुआत में एक “कार्य योजना” या “करने योग्य” सूची तैयार करनी चाहिए ताकि किसी विशेष दिन में उनके महत्व और तात्कालिकता के अनुसार की जाने वाली गतिविधियों को सूचीबद्ध किया जा सके।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ चक्रवर्ती नारायण श्रीमाली ने छात्रों को कहा कि व्यक्तित्व विकास से जीवन में निखार आता है। उन्होंने दृष्टांतों के माध्यम से सकारात्मक सोच के साथ अपने जीवन शैली को सुधारने के उपाय विद्यार्थियों के साथ साझा किये और कहा कि वह उन्हें भविष्य की और ऊर्जा एवं आत्मविश्वास से आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अंग्रेजी विभाग की सहायक आचार्य डॉक्टर संतोष शेखावत ने कहा कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला में बहुत कुछ छात्र-छात्राओं ने सीखा है और उन्होंने यह बदलाव अपने जीवन में लाना अभी से आरंभ कर दिया है। इस अवसर पर शिक्षक,अधिकारी, गेस्ट फैकेल्टी ने शिरकत की।

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