एनआरसीसी में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ

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बीकानेर ,14मार्च । भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र में आज दिनांक से दो दिवसीय (14-15 मार्च) राष्ट्रीय संगोष्ठी सह हितधारक बैठक का शुभारम्भ हुआ । सफल उद्यमिता के लिए गैर-गोजातीय पशु उत्पादों का प्रसंस्करण, नवाचार और सुधार‘ विषयक इस संगोष्ठी में करीब 100 पशुपालकों, उद्यमियों, अनुसंधानकर्त्ताओं, एनआरसीसी स्टाफ आदि ने भाग लिया तथा विषय-विशेषज्ञों से चर्चा की।

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उदघाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.ए.के.तोमर, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर ने कहा कि गैर-गोवंशीय पशुओं में भेड़, बकरी, ऊँटनी का दूध औषधि के समान है, इनसे प्राप्त उत्पादों पर अपेक्षित ध्यान दिया जाना चाहिए, पशुपालक इनका बाजार मूल्य उसी अनुरूप निर्धारित कर विपणन के क्षेत्र में आगे आएं। डॉ.तोमर ने किसानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि बदलते परिवेश में खेती-पशुपालन को एक उद्योग के रूप में अपनाएंगे तो आगे जाकर यह जीवन को समृद्धि की ओर ले जाने हेतु पूर्णतः सक्षम है।

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इस अवसर पर केन्द्र के निदेशक एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ.आर्तबन्धु साहू ने कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा कि गैर-गोवंशीय पशु उत्पादों के महत्व को इंगित करने के लिए पशुपालकों, उद्यमियों, हितधारकों को एक मंच पर लाया गया है। उन्होंने कहा कि ऊँट, भेड़, बकरी, गधा प्रजातियों के दूध की दृष्टिकोण से महत्व को समझा जाना चाहिए, दूधारू पशुओं से इनकी तुलना न करते हुए मानव में स्वास्थ्य लाभ हेतु इनके दूध में विद्यमान औषधीय गुणधर्माें को समझें। डॉ.साहू ने गैर-गोवंशीय पशुओं के दूध, ऊन आदि का उत्पादन, उनका मूल्य-संवर्धन, सुलभता आदि को उद्यमिता से जोड़ने की बात कही।

विशिष्ट अतिथि प्रो.आर.के.धुरिया, निदेशक प्रसार शिक्षा एवं अधिष्ठाता, राजुवास, बीकानेर ने भी गैर-गोवंशीय पशु उत्पादों के महत्व को उजागर करते हुए इनमें विशेषतः बकरी के दूध में उद्यमिता की प्रबल संभावनाएं बताई। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि जसवंत सिंह भाटी, मोदी डेरी प्रबंधक, बीकानेर ने ऊँटनी के दूध के प्रसार-प्रसार का जिक्र करते हुए उद्यमियों को योजनाबद्ध रूप में आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर काजरी, जोधपुर के प्रभागाध्यक्ष डॉ.सुमन्त व्यास, एनआरसीई बीकानेर के प्रभागाध्यक्ष डॉ.एस.सी.मेहता ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

आयोजन सचिव डॉ.योगेश कुमार ने बताया कि इस अवसर पर एनआरसीसी द्वारा लघु पुस्तिका ‘कैमल मिल्क: अनलोकिंग नेचरस् हीलिंग पॉवर‘, द्विभाषी विस्तार पत्रक ‘ऊँटनी के दूध में गुणवत्ता सुधार से आय में वृद्धि‘ एब्सट्रेक्टस् बुक-2024, चार ट्रेड मार्क यथा-कैमप्रो, कैमकूल, कैमिलेटस्, कैमस्प्रेड तथा एक कैलेंडर ‘वार्षिक उष्ट्र पालन कार्यक्रम 2024 का विमोचन किया गया। वहीं प्रगतिशील पशुपालकों एवं उद्यमियों जिनमें बारां से भँवरलाल, झालावाड़ से सोभागचंद, जैसलमेर से सुमेरसिंह, भारजां सिरोही से सेवाराम तथा वीरेन्द्र लूणू को सम्मानित किया गया।

प्रथम दिवस पर तकनीकी सत्रों में एनआरसीसी के डॉ.आर्तबन्धु साहू, निदेशक, डॉ.आर.के.सावल, प्रधान वैज्ञानिक, श्री यशपाल शर्मा, प्रभागाध्यक्ष, आईसीएआर-सीआईआरबी,हिसार ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए तथा प्रतिभागियों ने विविध विषयक मौखिक एवं लिखित पेपर प्रस्तुत किए। केन्द्र द्वारा इस अवसर पर प्रौद्यागिकी प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया जिसमें एनआरसीसी, एनआरसीई, सीएसडब्ल्यूआरआई, राजुवास, एफएसएसएआई, सारास, लोटस डेयरी व हस्तशिल्प संस्थानों/केन्द्रों/संस्थाओं ने सहभागिता निभाई ।

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