संस्कार संवर्धन की प्रथम पाठशाला होती मां – डॉ साध्वी गवेषणाश्री
तेममं द्वारा ‘पौध को सिंचे’ कार्यशाला का आयोजन
चेन्नई/कांचीपुरम , 5 अप्रैल। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के तत्वावधान में तेरापंथ महिला मण्डल की आयोजना में, युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या डॉ. साध्वी गवेषणाश्रीजी आदि ठाणा-4 के सान्निध्य में काँचीपुरम में ‘पौध को सींचे’ कार्यशाला का आयोजन हुआ।
साध्वीश्री के नमस्कार समुच्चारण के बाद, महिला मंडल की बहनों ने प्रेरणा गीत का संगान किया।
डॉ साध्वी गवेषणाश्रीजी ने उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा कि माँ बच्चों की प्रथम पाठशाला होती हैं, संस्कारों का बीजारोपण करने वाली होती हैं। संस्कृति संवर्धन की संवाहक होती हैं। साध्वी श्री ने विशेष आह्वान करते हुए कहा कि महिला मंडल की सदस्यों को परिवार में बच्चो पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उनको संस्कारों की शिक्षा पर बल देने के साथ, चिंता को चिंतन में परिवर्तन करने का प्रयास करना चाहिए।
साध्वीश्री ने कहा कि बच्चो को जब कभीं दोस्तो के साथ पार्टी जावे, तब आप बच्चो को समझाइये और कहे कि केक हो या कुछ खाने की चीज, पहले पूछे यह शाकाहारी है या मांसाहारी। शाकाहारी हो तो खावे, नही तो छोड़ दे। आज के युग में बहुत ही जरूरी है, बच्चों पर ध्यान देने की। साध्वी गवेषणाश्रीजी ने सभी महिलाओं को भी आध्यात्मिक संकल्प दिलवायें।
साध्वी मयंकप्रभाजी ने बच्चो में संस्कार, जीवन मे मर्यादित बने, ऐसी जीवन शैली अपनाने के लिए सभी महिलाओ को प्रेरित किया।
महिला मंडल अध्यक्षा प्रेमलता खांटेड ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किया। सुनीता सिसोदिया ने आभार व्यक्त किया। उपासिका रेखा खांटेड, ममता धोका ने अपने विचार व्यक्त करते हुए अपने आध्यात्मिक विकास के चारित्र आत्माओं के सान्निध्य का लाभ उठाने के साथ नियमित या साप्ताहिक एक स्थान पर इकट्ठे हो धार्मिक उपक्रम चलाने का कहा। मुख्य व्यक्ता, अतिथियों का सम्मान किया गया। कार्यशाला में तेरापंथ महिला मंडल की सदस्यों के साथ, कन्याओं, किशोरों के साथ श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति रही।